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गजेन्द्र द्विवेदी गिरीश
ओस भले ढंक लें भौतिक दृश्य पर मन के भाव तो मन से देखे जाते हैं। मैं तो देख पाता हूँ और तुम।। शुभ दिन। गिरीश पोएम
Ashish Penart
उम्मीद राह बना देती है हर पत्थर में, कभी कभी मंजिल दिखाती है जुगनू की रौशनी भी। आशीष पोएम
D.M Bhosale
मुजोर मुजोर झालीय नोकरशाही उन्मत्त झालेत बाबू कुणाचाच नाही राहिला यांच्यावरती काबू काम चिमूटभर त्याला लाच खिसाभर सर्वदूर पाहिले तरी कारभार लालफिती ढेकणागत गरिबांचे रक्त सारे पिती हक्काच्या कामापायी मारावे किती खेटे तेंव्हा कुठे ७/१२ सारखा एखादा कागद भेटे जाग्यावर नसते कुणीच मोकळे असतात टेबल काय बोलावे तर प्रत्येकावरती पुढाऱ्याचे लेबल शौचालयाच्या अनुदानासाठीही द्यावी लागते लाच कुणाचीच कशी नाही यांच्यावरती टाच स्वार्थासाठी साहेबाची भांडीकुंडी घाशी हरामी साल्यांची जिंदगी अशी कशी ~DMB पोएम
krish
कौन कहता है की आसमन मे सुराग हो नही सकता ....2। एक पात्थर तो तबियत से उछालो यारो..। ©krish पोएम #candle
अन्यांश
ना जाने क्यों, ये अंधेरे कि खामोशी, दिल को बहुत भा रही है। ऐसा लगता है ये खामोशी , कुछ कहना चाह रही है। दिल चाह रहा है , बातें करने को । मगर क्या करें ,वो बोल नही पा रही है। #पोएम #poem
anushka pandit...😘
तुम हीरे की महंगी अंगूठी।मैं चांदी की सस्ती चैन प्रिये मैं csk पर मरने वाली तुम ठहरे mi के फैन प्रिये तुम रहते खुशहाल हर मौसम में मैं बिन कारण रहने वाली बेचैन प्रिये मैं अल्हड़ पागल लड़की हु तुम हो एक jentleman प्रिये ©Anushka pandit पोएम #Smile
Sunita Bishnolia
पर्यावरण (दोहे) हरी-भरी धरती रहे,नीला हो आकाश, स्वच्छ बहे सरिता सभी,स्वच्छ सूर्य प्रकाश।। पेड़ों को मत काटिए,करें धरा श्रृंगार। माटी को ये बांधते,ये जीवन आधार।। सुनीता बिश्नोलिया©® शुद्ध हवा में साँस लें,कोई न काटे पेड़। आस-पास भी साफ़ हो, सभी बचाएँ पेड़।। धरती माता ने दिए,हमें अतुल भण्डार, स्वच्छ पर्यावरण रखें, मानें हम उपकार।। कानन-नग-नदियाँ सभी,धरती के श्रृंगार। दोहन इनका कम करें,मानें सब उपहार।। साफ-स्वच्छ गर नीर हो,नहीं करें गर व्यर्थ। कोख न सूखे मात की, जल से रहें समर्थ। धूल-धुआँ गुब्बार ही,दिखते चारों ओर। दूषित-पर्यावरण हुआ,चले न कोई जोर।। कान फाड़ते ढोल हैं,फूहड़ बजते गीत, हद से ज्यादा शोर है,खोये मधुरिम गीत। हरी-भरी खुशहाली के,धरती भूली गीत। मैली सी वसुधा हुई,भूली सुर संगीत।। पर्यावरण स्वच्छ राखिये,ये जीवन आधार, खुद से करते प्यार हम,कीजे इससे प्यार। #सुनीता बिश्नोलिया #जयपुर #पर्यावरण #स्वच्छ #पर्यावरण