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Naresh Madhubniya
Ashutosh Choudhary
जय शिवशंकर मेरा भोला है भंडारी करे नन्दी की सवारी भोलेनाथ रे हो शम्भूनाथ रे #HansrajRaghuvanshi ji
Jyoti Kumari
सुख और दुख दोनों मांगे थे हमसे हमनें तो दोनों के पल पल दिए सुख में साथ निभाया अच्छे से दुख मे पीछा छुड़ाया चुपके से!! ©Jyoti Kumari #UskiAankhein पीछा छुड़ाया
MANISH PRAJAPAT
यह कहानी मधुबन गांव में रहने वाली उस सुमन की है जिसकी उम्र मात्र बारह साल थी, वह कभी स्कूल नहीं गयी, फिर भी वह कुछ ऐसा करने का सपना देखती थी जिससे वह पूरी दुनिया में मशहूर हो जाये सुमन के गाँव वाले हमेशा उसे पगली कहते थे क्योंकि वह कभी स्कूल नहीं गयो फिर भी वह जिन्दगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखती थी। गाँव वाले सुमन के पिता जी पर इस बात को लेकर दबाव बनाते थे कि सुमन पढ़ी-लिखी नहीं है, इसलिए जल्द से जल्द इसकी शादी कर दो वरना आगे चलकर बहुत मुश्किल होगी सुमन के पिता जी गाँव वालों की बात से पूरी तरह सहमत थे पर सुगन सहमत नहीं थी उसे तो शादी नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम कमाना था कुछ ऐसा करना था जिससे उस पर लोगों को बेटी होने पर गर्व होता तुमन के लिए यह सब कुछ करना आसान नहीं था । गाँव वाले इस बात से बेखबर थे कि वाकई सुमन करना क्या चाहती थी। यह किसी को इस बारे में नहीं बताई थी कि वह एक अच्छी चित्रकार है, उसे बचपन से चित्र बनाना अच्छा लगता था शायद यही वह वजह थी कि उसका मन पढ़ने में नहीं लगता था और इस वजह से वह कभी स्कूल ही नहीं गयी उसके पिता जी को उसका चित्र बनाना अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने कई बार सुमन के बनाए गए चित्र को आग के हवाले कर दिया था, फिर भी सुमत हार नहीं। मानी, वह चित्रकारी करती गयी और करती गयी। जब सुमन नहीं मानी तो उसके पिता जी ने उसे उसके हाल पर छोड़ दिया था। एक दिन सुमन अपने कमरे में चित्र बनाने में इतना खोई हुई थी कि उसके पिता जी उसके पास जाकर खड़े हो गये, उसे बिल्कुल ऐहसास नहीं हुआ " तो सुमन तुम नहीं मानोगी " सुमन के पिता जी ने कहा, "यह बेवकूफी बाला काम तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाला है। ©MANISH PRAJAPAT कभी हार नहीं मानूंगी #alone