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Swati Pandey

मंदिरों

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pradeep

मंदिरों में इतना चढ़ावा

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हे माँ माता जी ! मंदिरों में इतना चढ़ावा मंदिरों में इतना चढ़ावा

DR. LAVKESH GANDHI

GuzartiZindagi # # मंदिरों की शोभा #

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Akhilesh Mishra

मंदिरों में कौन है, सुनिएगा, #शायरी

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khadiya naga bhaihani

हिंदू मंदिरों में नारियल क्यों तोड़े जाते हैं #कहानी

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हिंदु मंदिर में नारियल क्यो फोड़ा जाता है??इसके बारे में यह ऐतिहासिक जानकारी होना जरूरी है.......

मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में चक्रवर्ति सम्राट अशोक के वंशज मोर्य वंश के बौद्ध सम्राट राजा बृहद्रथ मोर्य की हत्या उसी के सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से की थी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।
उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था।
*इसके बाद ब्राह्मण* *पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी साकेत को बनाया।
पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी*…
*राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, भगवाधारी बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।

*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ।

राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे ।

इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात “सरयू” हो गया*।
*इसी “सरयू” नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने “रामायण” लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।
*इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में “सरयू” नदी के किनारे हुई।
*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा’ कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी*।
*ध्यान रहे उक्त ब्रह्दथ मोर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था ना ही इस तरह की संस्क्रति थी।वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है*।
*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी ” सच्ची रामायण” पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया !
की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।
*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है!
कि ” रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।
*अथार्त् फर्जी है*। हिंदू मंदिरों में नारियल क्यों तोड़े जाते हैं

khadiya naga bhaihani

# हिंदू मंदिरों में नारियल क्यों तोड़े जाते हैं #विचार

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हिंदु मंदिर में नारियल क्यो फोड़ा जाता है??इसके बारे में यह ऐतिहासिक जानकारी होना जरूरी है.......

मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में चक्रवर्ति सम्राट अशोक के वंशज मोर्य वंश के बौद्ध सम्राट राजा बृहद्रथ मोर्य की हत्या उसी के सेनापति ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से की थी और खुद को मगध का राजा घोषित कर लिया था ।
उसने राजा बनने पर पाटलिपुत्र से श्यालकोट तक सभी बौद्ध विहारों को ध्वस्त करवा दिया था तथा अनेक बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम किया था।पुष्यमित्र शुंग, बौद्धों पर बहुत अत्याचार करता था और ताकत के बल पर उनसे ब्राह्मणों द्वारा रचित मनुस्मृति अनुसार वर्ण (हिन्दू) धर्म कबूल करवाता था।
*इसके बाद ब्राह्मण* *पुष्यमित्र शुंग ने अपने समर्थको के साथ मिलकर पाटलिपुत्र और श्यालकोट के मध्य क्षेत्र पर अधिकार किया और अपनी राजधानी साकेत को बनाया।
पुष्यमित्र शुंग ने इसका नाम बदलकर अयोध्या कर दिया। अयोध्या अर्थात-बिना युद्ध के बनायीं गयी राजधानी*…
*राजधानी बनाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने घोषणा की कि जो भी व्यक्ति, भगवाधारी बौद्ध भिक्षु का सर(सिर) काट कर लायेगा, उसे 100 सोने की मुद्राएँ इनाम में दी जायेंगी।

*इस तरह सोने के सिक्कों के लालच में पूरे देश में बौद्ध भिक्षुओ का कत्लेआम हुआ।

राजधानी में बौद्ध भिक्षुओ के सर आने लगे ।

इसके बाद कुछ चालक व्यक्ति अपने लाये सर को चुरा लेते थे और उसी सर को दुबारा राजा को दिखाकर स्वर्ण मुद्राए ले लेते थे। राजा को पता चला कि लोग ऐसा धोखा भी कर रहे है तो राजा ने एक बड़ा पत्थर रखवाया और राजा ,बौद्ध भिक्षु का सर देखकर उस पत्थर पर मरवाकर उसका चेहरा बिगाड़ देता था* । इसके बाद बौद्ध भिक्षु के सर को घाघरा नदी में फेंकवा दता था*।
*राजधानी अयोध्या में बौद्ध भिक्षुओ के इतने सर आ गये कि कटे हुये सरों से युक्त नदी का नाम सरयुक्त अर्थात “सरयू” हो गया*।
*इसी “सरयू” नदी के तट पर पुष्यमित्र शुंग के राजकवि वाल्मीकि ने “रामायण” लिखी थी।* *जिसमें राम के रूप में पुष्यमित्र शुंग और रावण के रूप में मौर्य सम्राट का वर्णन करते हुए उसकी राजधानी अयोध्या का गुणगान किया था और राजा से बहुत अधिक पुरस्कार पाया था।
*इतना ही नहीं, रामायण, महाभारत, स्मृतियां आदि बहुत से काल्पनिक ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की रचना भी पुष्यमित्र शुंग की इसी अयोध्या में “सरयू” नदी के किनारे हुई।
*बौद्ध भिक्षुओ के कत्लेआम के कारण सारे बौद्ध विहार खाली हो गए।तब आर्य ब्राह्मणों ने सोचा’ कि इन बौद्ध विहारों का क्या करे की आने वाली पीढ़ियों को कभी पता ही नही लगे कि बीते वर्षो में यह क्या थे* ?*
*तब उन्होंने इन सब बौद्ध विहारों को मन्दिरो में बदल दिया और इसमे अपने पूर्वजो व काल्पनिक पात्रो को भगवान बनाकर स्थापित कर दिया और पूजा के नाम पर यह दुकाने खोल दी*।
*ध्यान रहे उक्त ब्रह्दथ मोर्य की हत्या से पूर्व भारत में मन्दिर शब्द ही नही था ना ही इस तरह की संस्क्रति थी।वर्तमान में ब्राह्मण धर्म में पत्थर पर मारकर नारियल फोड़ने की परंपरा है ये परम्परा पुष्यमित्र शुंग के बौद्ध भिक्षु के सर को पत्थर पर मारने का प्रतीक है*।
*पेरियार रामास्वामी नायकर ने भी ” सच्ची रामायण” पुस्तक लिखी जिसका इलाहबाद हाई कोर्ट केस नम्बर* *412/1970 में वर्ष 1970-1971 व् सुप्रीम कोर्ट 1971 -1976 के बिच में केस अपील नम्बर 291/1971 चला* ।
*जिसमे सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस पी एन भगवती जस्टिस वी आर कृषणा अय्यर, जस्टिस मुतजा फाजिल अली ने दिनाक 16.9.1976 को निर्णय दिया !
की सच्ची रामायण पुस्तक सही है और इसके सारे तथ्य वेध है*।
*सच्ची रामायण पुस्तक यह सिद्ध करती है!
कि ” रामायण नामक देश में जितने भी ग्रन्थ है वे सभी काल्पनिक है और इनका पुरातातविक कोई आधार नही है*।
*अथार्त् फर्जी है*। # हिंदू मंदिरों में नारियल क्यों तोड़े जाते हैं

Rahul Jaiswal

मंदिरों मस्जिदों में दान करने वालों थोडा इधर भी देख लो

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गीत सुनाती थी हरियाली पनघट साया करता था मै वो सूखा ताल हूं जिसमें चांद नहाया करता था भूख के दरवाज़े पर मरना अब मेरी मजबूरी है सोने चांदी की थाली में भोग लगाया करता था मंदिरों मस्जिदों में दान करने वालों थोडा इधर भी देख लो

Ek villain

#ravishkumar समानता का सिद्धांत हो सुनिश्चित मंदिरों के पैसों से ना हो कार्य #Society

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राजीव सचान का आलेख समानता के सिद्धांत की धज्जियां आंखें खोलने वाला है भारत की विडंबना ही है कि पंथनिरपेक्षता के छल के नाम पर इमामो को सरकारी भत्ता दिया जाना भी इतने वर्षों से स्वीकार्य है दूसरी तरफ मंदिरों में आने वाले करोड़ों रूपए का चढ़ावा लेकर पुजारियों को मात्र न्यूनतम राशि देने वाले कुछ दक्षिण भारतीय राज्य यह दलील देते हैं कि अगर मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो गया तो हजारों पुजारी की देखभाल कौन करेगा बहुत से मामलों में यह तो भी पाया गया है कि मंदिरों के धन को दूसरे तथा पंत महाजनों के कामों के लिए सड़कों के निर्माण आदि के लिए बिना किसी अनुमति के प्रयोग किया जा रहा है ज्यादा समय नहीं बीता है जब महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी भूमि विक्रय का प्रकरण सामने आया था

©Ek villain #ravishkumar समानता का सिद्धांत हो सुनिश्चित मंदिरों के पैसों से ना हो कार्य

Brajesh Kumar Bebak

तू काशी के मंदिरों सी तू गंगा घाट सी लगती ।। (बृजेश कुमार बेबाक़) #शायरी

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BIPIN TIWARI 'Masoom'

मंदिरों से बाहर भगवान मिल जायेंगे चलो अब शहर में इंसान मिल जायेंगे। #lockdown #fightagainstcorona

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मंदिरों से बाहर भगवान मिल जायेंगे 
चलो अब शहर में इंसान मिल जायेंगे।
                        मंदिरों से बाहर भगवान मिल जायेंगे 
चलो अब शहर में इंसान मिल जायेंगे।
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