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mau jha

नारी कविता #Poetry

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दिल में उसके एक तमन्ना बाकी है
अभी कहानी का एक पन्ना बाकी है
वो लक्ष्मी है तुम भगवान तो बनो
वो सीता है, तुम राम तो बनो, हर जुल्म पर जो बोल उठे
ऐसी आवाम तो बनो,किसी की चीख किसी की कराह लिखूँ
एक मुस्कुराते हुए चेहरे की सिसकती हुई आह लिखूँ
क्योंकि ये सब कुछ उसके अंदर है
वो औरत नहीं, समंदर है.

©mau jha नारी कविता

mau jha

नारी कविता #Quotes

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पाई-पाई जोड़कर
वो तुम्हारे घर को बनाती है
हाथ उठाते उसपर
तुमको शर्म नहीं आती है,भूख उसे भी है
पर खाना उसने खाया नहीं
पता लगाओ देखो शायद
पति दफ्तर से आया नहीं ,हर दिन की देरी
उसके लिए समस्या भारी है
इसी समर्पण सहित
तपस्या उसकी जारी है भाग्य मनाओ फिर भी
तुमको छोड़ वो नहीं जाती है
हाथ उठाते जिसपर
तुमको शर्म नहीं आती हऐ

©mau jha नारी कविता

Siya

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K. s.

उठो,जागो नारी# कविता #RecallMemory

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Harshita sharma

"#इस युग की नारी" #कविता #coldnights

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"नारी हूं मैं इस युग की"
नारी हूं मैं इस युग की, नारी की अलग पहचान बनाऊंगी।
 
मुझे जिस भी क्षेत्र में भेजोगे, सर्वश्रेष्ठ कर दिखाऊंगी।
औरों से अलग हूं मैं, कुछ अलग करके ही जाऊंगी।।
                                 नारी हूं मैं इस युग की.......

चाह नहीं हैं एक अलग नाम की, इसी को महान बनाऊंगी।
दुनिया के इस कठिन मंच पर, एक प्रदर्शन मैं भी दिखलाऊंगी।।
                                   नारी हूं मैं इस युग की..........

कठपुतली नहीं किसी खेल की, अब स्वतंत्र मंचन पर अपना परचम लहराऊंगी।
ना किसी से कम हूं, और ना ही मैं पीछे हटूंगी।
जब-जब भी आह्वान होगा, अपनी योग्यता मनवाऊंगी।।
                                        नारी हूं मैं इस युग की.......

जीवन की हर विपरीत परिस्थिति में, पग-पग के हर संत्रस्त मोड़ पर,
रख हौसलों को बुलंद, उससे भी लड़ जाऊंगी।।
                                      नारी हूं मैं इस युग की..........

इस धरा पर मां-बेटी बनकर आई हूं, और अपना फर्ज निभाऊंगी।
मैं वचन तुझे देती हूं "भारत मां", तेरी कोख कभी न लजाऊंगी।।
                                         नारी हूं मैं इस युग की........

मैं भी सरहद पर लड़ने जाऊंगी, वीरों में शामिल हो जाऊंगी।
शेरनी बनकर टूट पड़ूंगी और झांसी की रानी कहलाऊंगी।।
                                       नारी हूं मैं इस युग की...........

मैं लेकर तिरंगा हाथों में, वंदे मातरम् गाऊंगी।
भारत के इतिहास में, मैं भी अमर हो जाऊंगी।।
                                    नारी हूं मैं इस युग की............

©Harshita sharma "#इस युग की नारी"
#कविता 

#coldnights

अभिजीत कुमार

https://youtu.be/1eDLTfxgjmg हारी न नारी कविता। जरूर सुनें

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https://youtu.be/1eDLTfxgjmg
हारी न नारी कविता। जरूर सुनें

Manoj Bhatt

# जयशंकर प्रसाद रचित "नारी" कविता 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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Pnkj Dixit

🌷 माता भार्या व भगिनी, रूप नारी अनेक। यह परिवर्तन आधार,सोच-समझ के देख।। २२/०२/२०२२ 🌷👰💓💝 ...✍️ कमल शर्मा‘बेधड़क’ नारी कविता नोजोटो हि

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🌷
माता  भार्या  व भगिनी, रूप  नारी अनेक।
यह परिवर्तन आधार,सोच-समझ के देख।।
२२/०२/२०२२
 🌷👰💓💝
...✍️ कमल शर्मा‘बेधड़क’

©Pnkj Dixit 🌷
माता  भार्या  व भगिनी, रूप  नारी अनेक।
यह परिवर्तन आधार,सोच-समझ के देख।।
२२/०२/२०२२
 🌷👰💓💝
...✍️ कमल शर्मा‘बेधड़क’
#नारी #कविता #नोजोटो #हि

Vikas Sharma Shivaaya'

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ 🙏महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन 🌹 मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक "औरत -स्त्री -नारी"कवि #समाज

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📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

🙏महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन 🌹

मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक "औरत -स्त्री -नारी"कविता जीवन की पाठशाला के रूप में ..  ,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हे स्त्री शक्ति तुम्हें प्रणाम 
हे आदि शक्ति तुम्हें प्रणाम 
हे मात्र शक्ति तुम्हें प्रणाम 
हे जगत जननी तुम्हें प्रणाम 
हे सबसे अधिक बोझ सहने वाली "धरती माँ "तुम्हें प्रणाम 
हे सर्वाधिक पापियों को तारने वाली "माँ गंगा" तुम्हें प्रणाम 
हे नवरात्रों की "नव दुर्गाओं" तुम्हें प्रणाम 
हे बेटी -बहिन -प्रेमिका -पत्नी -माँ और सास रूपा एक होते हुए अनेकों रूपों वाली शक्ति तुम्हें प्रणाम -1

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कौन कहता है की औरत कमजोर होती है 
कौन कहता है की औरत पैर की जूती होती है 
कौन कहता है की ये कुछ नहीं करती ,केवल गृहिणी है -2
                      
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो औरत बचपन से भाई बहिन का भेदभाव सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत समय से आने जाने कपडे पहनने के प्रतिबन्ध सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत मायके में भी पराई और ससुराल में भी पराई वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत हारी बीमारी में भी पूरे घर को सम्हालती है वो कमजोर कैसे हो सकती है -3

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो औरत अपने घर को छोड़ कर दुसरे घर को जाती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत अपना तन मन सर्वस्व एक नए रिश्ते  को सौंप देती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत सुबह सबसे पहले उठ कर रात्रि में सबसे आखिर में सोती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत 9 माह तक एक शिशु को अपने गर्भ में रखती है वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जो औरत प्रसव पीड़ा और ऑपरेशन की पीड़ा दर्द सहती है वो कमजोर कैसे हो सकती है -4

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कई राज्यों में आज भी एक औरत दो तीन भाइयों की पत्नी बन कर रहती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है 
जब सावित्री यमराज से सत्यवान के प्राण वापिस ला सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है 
एक औरत मदर मैरी -मदर टेरेसा -झाँसी की रानी -पन्ना धाय कल्पना चावला -सानिया मिर्जा हो सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है 
एक औरत एक कृर्तिम पैर के सहारे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ कर सिन्हा हो सकती है तो वो कमजोर कैसे हो सकती है -5

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक बात समझ नहीं आई की एक औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन कैसे होती है 
सास क्यों भूल जाती है की वो कभी बहु थी या आज किसी बेटी की माँ भी है 
एक औरत एक शादीशुदा मर्द के साथ संबध रख कर क्यों दूसरी औरत के साथ अन्याय करती है 
क्यों एक औरत षड़यंत्र रच कर परिवारों में दूरी पैदा करती है 
क्यों एक औरत लड़की होने पर दुखी होती है 
और ये कैसा विरोधाभास है की गाय -भैंस या बकरी के बीटा होने पर हम दुखी और बेटी होने पर सुखी 
वहीँ इंसान के बेटी होने पर दुखी  और बेटा होने पर सुखी -6

आखिर में एक ही बात समझ आई की क्यों हम इंसान इस बात को नहीं समझते की की अगर किसान से जमीन ही छीन ली जाए तो वो बीज कहाँ बोयेगा ,फसल कैसे तैयार होगी और बिना फसल बिना अन्न के इंसान -जीव जंतु सब मर जायेंगे 
ऐसे ही अगर स्त्री शक्ति नहीं होगी तो दुनिया कैसे चलेगी कैसे बढ़ेगी क्यूंकि ये हकीकत है की घर में स्त्री नहीं तो घर- घर नहीं मकान मात्र है ,घर उदास है 
इसीलिए तो कहा जाता है की :
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः
अर्थात जहाँ  स्त्रीजाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं । जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं ।-7 

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक 
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

🙏महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनायें एवं नमन 🌹

मेरे द्वारा स्वरचित एवं स्वमौलिक "औरत -स्त्री -नारी"कवि

Akash Yadav

कविता नारी शसक्तीकरण

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