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Manjeet Singh Thakral
कल दिल्ली के लाल किला से शहीद पार्क (ITO) तक होने वाली मार्च को भूलना मत। कल के दिन ही राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़उल्लाह खान और रोशन सिंह की
MANJEET SINGH THAKRAL
मीडिया का असली कर्तव्य शिक्षा देना, लोगों से संकीर्णता निकालना, साम्प्रदायिक भावनायें हटाना, परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाना और भारत की सांझी राष्ट्रीयता मनाना था। लेकिन इन्होंने अपना मुख्य कर्तव्य अज्ञानता फैलाना, संकीर्णता का प्रचार करना, लोगों को साम्प्रदायिक बनाना, लड़ाई-झगड़े करवाना और भारत की सांझी राष्ट्रीयता को नष्ट करना बना लिया है। यही कारण है कि भारतवर्ष की वर्तमान दशा पर विचार करने से आँखों से रक्त के आँसू बहने लगते है और दिल मे सवाल उठता है कि "भारत का क्या बनेगा?" #आज़ाद_भारत_की_गुलाम_जनता #farzirashtrawad ©MANJEET SINGH THAKRAL मीडिया का असली कर्तव्य शिक्षा देना, लोगों से संकीर्णता निकालना, साम्प्रदायिक भावनायें हटाना, परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाना और भारत की सांझी राष्ट्र
Manjeet Singh Thakral
19 दिसंबर की तारीख भारत के इतिहास में काफी अहम है। यही वह तारीख है जब साल 1927 में देश के महान क्रांतिकारियों अशफाकउल्लाह खान और राम प्रसाद
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियों का कन्यादान ही क्यू होता है माना कि सबसे बड़ा दान माना गया है पर दान वो दिया जाता है , सर का भार उतरना होता है बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियां सबकी किस्मत नहीं होती है जहां प्रभु को लगे वहीं पख़ देकर परियां जन्म लेकर कृतार्थ कर घर की रौनक होती है बेटियां सर का ताज होती है, तो पैरो की जूती से उसकी तुलना कैसे होती है बेटियां घर का सुकून होती है तो किसी के घर की बर्बादी का कारण कैसे होती है बेटियां स्वर्ग सी ज़िन्दगी होती है तो किसी को नरक का द्वार कैसे होती है बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियां सर ऊंचा करती है तो किसी का सर नीचा कैसे हो जाते है बेटियां कोई चीज नहीं को दान में दी जाती है। सदियों की रीत भी इंसानों ने बनाई है बेटियों को प्यार इज़्ज़त जो दे वो दहेज में तोलकर कैसे दिया जाता है। बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है #women #aurat #kanyadaan #yqshayari #yqsahitya #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियों का कन्यादान ही क्यू होता है माना कि सबसे बड़ा दान माना गया है पर दान वो दिया जाता है , सर का भार उतरना होता है बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियां सबकी किस्मत नहीं होती है जहां प्रभु को लगे वहीं पख़ देकर परियां जन्म लेकर कृतार्थ कर घर की रौनक होती है बेटियां सर का ताज होती है, तो पैरो की जूती से उसकी तुलना कैसे होती है बेटियां घर का सुकून होती है तो किसी के घर की बर्बादी का कारण कैसे होती है बेटियां स्वर्ग सी ज़िन्दगी होती है तो किसी को नरक का द्वार कैसे होती है बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है बेटियां सर ऊंचा करती है तो किसी का सर नीचा कैसे हो जाते है बेटियां कोई चीज नहीं को दान में दी जाती है। सदियों की रीत भी इंसानों ने बनाई है बेटियों को प्यार इज़्ज़त जो दे वो दहेज में तोलकर कैसे दिया जाता है। बेटियां सबकी सांझी होती है पर फिर भी किसी और के घर की रौनक क्र्यूं बढ़ाती है Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 #rzpicprompt256 #yqrestzone #yqrz #collabwithrestzone #y
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
ਬੇਟੀ #बेटी# भगवान की दी हुई सबसे अनमोल धरोहर है बेटी.. क्या खूब लिखा है एक पिता ने... #हमें तो सुख मे साथी चाहिये दुख मे तो हमारी बेटी अकेली ही काफी है# नम्र निवेदन है— बेटियां सबकी सांझी होती हैं उनके लिए रास्तों की सीढ़ी बने कांटे नही कुछ भी टिपनी करने से पहले ये याद करले******* आप जिसके वजूद का एक तिनका है*** वो भी एक बेटी ही है या थी कभी जिसे आप मां कहते है। ©Ankur Mishra #बेटी# भगवान की दी हुई सबसे अनमोल धरोहर है बेटी.. क्या खूब लिखा है एक पिता ने... #हमें तो सुख मे साथी चाहिये दुख मे तो हमारी बेटी अकेली ह
Rakhee ki kalam se
वो किराए की साइकिल वाला अमीर बचपन ©Rakhee ki kalam se #साइकिल #worlsbicycleday2021 #बचपन #NojotoTrending #nojotospecial #फीलिंग्स साइकिल लेते थे किराए पर फिर भी वो बचपन अमीर था
Amit Mishra
घर से निकले हैं पढ़ने को जीवन के पथ पर बढ़ने को कदम है अगला आज बढ़ाया एक रोज शिखर पर चढ़ने को एक कविता उनके लिए जिन्हें उच्च शिक्षा एवं बेहतर भविष्य के लिए घर से दूर जाकर रहना पड़ता है.... घर से निकले हैं पढ़ने को जीवन के पथ पर
Writer1
"सुंदर मुंदरीय हो" सांझी संस्कृति का प्रतीक है लोहड़ी, प्यार व सौहार्द का प्रतीक है लोहड़ी, आपसी भाईचारे का प्रतीक है लोहड़ी, पौष मास की समाप्ति,माघ मास के प्रारभ है लोहड़ी, मोहब्बत की एहसास और बसंत ऋतु का आगाज़ है लोहड़ी। हर वर्ग और समुदाय खुशी-खुशी इसे मनाए, पुराने गिले-शिकवे भुलाकर रिश्तों को मज़बूत बनाए, वंश वृद्धि का सूचक जैसे नई दुल्हन, नन्हे मेहमान का आना, तिल-रेवड़ियों की आहुति के साथ अग्नि के चक्र लगाना, नाच गाकर पूरे हर्षोल्लास इसको मनाना। किसी के घर लोहड़ी मांगने जाओ तो "सुंदर मुंदरीय हो" दुल्ला भट्टी वाला, गीत गा कर लोहड़ी मांगी जाती है, यह बड़ी पुरानी और प्रसिद्ध कहानी है, इस गीत के के द्वारा याद कर आते वो कहानी है। नायक दुल्ला भट्ठी ने दो गरीब लड़कियों को बचाया था, सुंदरी और मुंदरी को मुगल शासकों से बचाकर, लगा जंगल में आग विवाह करवाया था, तबसे उसी को याद करके, यह सुंदर गीत पनप के आया था। सुंदर मुंदरीय हो" सांझी संस्कृति का प्रतीक है लोहड़ी, प्यार व सौहार्द का प्रतीक है लोहड़ी, आपसी भाईचारे का प्रतीक है लोहड़ी, पौष मास की सम