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Amit Singhal "Aseemit"
क़िस्मत के होते हैं खेल निराले, क्या पता क्या आए, किस किस के पाले। कोई तो फूलों का बिस्तर पाले, किसी को मिले काँटों की सेज नश्तर भाले। ©Amit Singhal "Aseemit" #काँटों #की #सेज
Shiv Narayan Saxena
पसंद अगर गुलाब हो तो कॉंटे मज़बूरी नहीं लगती तितलियाँ पसंद हों तो मधुमक्खी मज़बूरी नहीं लगती कहते हैं खुदा इश्क और इश्क ही तो खुदाई है 'शौक' जो पसंद तुझे महक है तो काँटों की चुभन नहीं खलती ©Shiv Narayan Saxena काँटों की चुभन नहीं खलती. . . . .
Namrata Srivastava Srivastava
फूलों की चोट से बेहतर है, काँटों की चुभन को सह लेना। जिनकी होवे कड़ुवी ज़ुबांन तुम उनके संग मे रह लेना। 1 अपनत्व दिखा बनके अपने, छलको छलका के छलते हैं । गर दाँव मिले, अपने हाथों जख्मों पर नमक मशलते हैं। गैरों से कहने से अच्छा, हालेदिल दिल से कह लेना। जिनकी होवे कड़ुवी जुबान तुम उनके संग मे रह लेना। दीपान्शु श्री "अनुपम" कैसरगंज जिला बहराइच। ©Namrata Srivastava Srivastava काँटों की चुभन को, #Mic
Sangeeta G
देती है सुकून रूह को काँटों की चुभन भी, खुशबू से कभी होती है सीने में जलन भी। ©Sangeeta G देती है सुकून रूह को काँटों की चुभन भी, #शायरी #शायर #Shayari #shayar #SAD #Love
Praveen Jain "पल्लव"
#FourLinePoetry पल्लव की डायरी गुमनामी मेरी,खामोश कर रही है चलन दुनिया से,दूर कर रही है मंजिलो की रोशनी काँटों भरी है जिंदगी मेरी, मुझ से मजाक कर रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #fourlinepoetry मंजिलो की रोशनी काँटों भरी है #fourlinepoetry
Parasram Arora
मै तो वही कर रह हूँ जो काम मुझे दिया गया है i इतिहास की पोथियों मे ढूंढ रहा हूँ उन हिंसक क्रूर शख्सियतों को जिनकी आंकांक्षाए और लालसाये धूल धूसरित हुई थी जिनकी कोशिश नाकामयाब हुई थी विश्व को नेस्तनाबूद करने की जिन्होंने पथ्हर की क्यारियों मे लगे फूलों को नष्ट किया और काँटों का वंशवाद दिया था काँटों का वंशवाद........
Amit Singhal "Aseemit"
यदि आपकी दिनचर्या रहेगी बहुत अस्त व्यस्त, आपके जटिल व्यवहार से हो जाएं सभी त्रस्त। तब मानिए आपका हो गया है काँटों सा जीवन, न स्वास्थ्य ठीक रहेगा और न प्रसन्न रहेगा मन। ©Amit Singhal "Aseemit" #काँटों #सा #जीवन
"Kumar शायर"
दूर से देखो तो हर चीज छोटी नजर आती है, मतलब के बुझते दियो के आगे तो हर किसी की तस्वीर धुंधली नजर आती है, वादे वफ़ा जो मतलब के आगे जताया करते है, वो अपने मतलब का साथ, पीछे से काटे बिछाया करते है, उनको नही ये मालूम के हम भी उन्ही काँटों पे अपना बिस्तर बिछाया करते है.✍️✍️✍️ Written:- By Umesh kumar #काँटों का बिस्तर
पंकज कुम्हार
संगत में रहकर काँटों की फूल भी चुभने लगे है देखा है कई दफा की संगत से फूलों की काँटे भी महकने लगे है #MeraShehar संगत में काँटों की फूल भी चुभने लगे है