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Sopiya_Uday
चलें क्या दर्द-ए-मोहब्बत की दवा लेने। सुना है तबीयत आपकी भी बिगड़ी हुई है।। #तबीयत
-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam
*कुमार विश्वास जी को समर्पित* तेरा दुआ पढ़ना मेरी तबियत का आराम होना कुछ और नही जानां ये तेरा मुझ पर बेइंतेहा मोहब्बत है। और हा तेरा दुआ पढ़ देना ही काफी नही था मेरी जां तेरा ख़्वाबों में आना भी असर कर गया। #कुमार किशन #तबीयत
Abhi Gupta
तबियत ठीक है मेरी! जरा सी छींक ही तो अायी है । शायद उसने याद किया होगा मुझे। तबीयत
Deep Patel
मेने तो यू ही कहा था तबीयत खराब हे, मां ने पूरी रात दुआओं मे गुजार दी @तबीयत
Prabhat Singh Bharti
तबीयत” आज तबीयत में थोड़ी खराबी सी है। थोड़ी तीखी,थोड़ी मीठी जबाबी सी है।। उम्मीद ही तो नहीं की वो याद भी करती होगी। जाने क्यूं, मगर हिचकियां थोड़ी पहचानी सी है।। मौसम सर्द होरहा हैं, थोड़ा दर्द होरहा हैं। बैठा हूं तेरे यादों की जद में,मन भी थोड़ी गुलाबी सी हैं।। जिंदगी तो फ़ना: हो ही जायेगा, तेरे बाहों में सर रखकर सो ही जायेगा। मगर, उम्र का ये दौड़ भी कैसा मज़ेदार है, की,मन भी थोड़ी शराबी सी है, थोड़ी नबाबी सी है।। धैर्य की धूरी अब टूट गई, क्या हुआ.? जो सनम ही रूठ गई, सपनों सारे जाने मेरे ख़्वाबी सी है, शबाबी सी है। तेरी-मेरी कहानी “Prabhat” किताबी सी है…..2.।। शेर :- "अबकी सावन बरसी तो वो गमगीन थी बारिश। आंखो से उतरी तो वो नमकीन थी बारिश"।। ©Prabhat Singh Bharti तबीयत....
Vishal Pathak
बड़ी मसरूफियत में भी वो मेरे हाल पूछ रही है.. खुदा करे कि अब तबीयत मेरी यू ही नासाज रहे.. #तबीयत
मुकेश आनंद
बहुत सूनी सी लगती हैं ये गलियां, शहर और ये महफ़िल, तेरा यूं बीमार रहना शहर की तबीयत के लिए ठीक नहीं। #तबीयत
Manish Choudhary
हकीकत में हकीकत से हकीकत आजमा बैठे.... महफिलों में बेगानों से दिल लगा बैठे.... जमातों में अदीबों से लतीफे सुने हमने... नसीहत ना सुनी हमने तबीयत गवा बैठे.... ©Manish Choudhary #तबीयत
Prabhat Singh Bharti
“तबीयत” आज तबीयत में थोड़ी खराबी सी है। थोड़ी तीखी,थोड़ी मीठी जबाबी सी है।। उम्मीद तो नहीं की वो याद भी करती होगी। जाने क्यूं, मगर हिचकियां थोड़ी पहचानी सी है।। मौसम सर्द होरहा हैं, थोड़ा दर्द होरहा हैं। बैठा हूं तेरे यादों की जद में,मन भी थोड़ी गुलाबी सी हैं।। जिंदगी तो फ़ना: हो ही जायेगा, तेरे बाहों में सर रखकर सो ही जायेगा। मगर, उम्र का ये दौड़ भी कैसा मज़ेदार है, की,मन भी थोड़ी शराबी सी है, थोड़ी नबाबी सी है।। धैर्य की धूरी अब टूट गई, क्या हुआ.? जो सनम ही रूठ गई, सपने सारे जाने मेरे ख़्वाबी सी है, शबाबी सी है। तेरी-मेरी कहानी “Prabhat” किताबी सी है…..2.।। शेर :- "अबकी बरसी सावन तो वो गमगीन थी बारिश। आंखों से उतरी तो वो नमकीन थी बारिश"।। ©Prabhat Singh Bharti "तबीयत"