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river_of_thoughts
"सिद्धि-हेतु स्वामी गए, यह गौरव की बात, पर चोरी-चोरी गए, यही बड़ा व्याघात, सखि, वे मुझसे कह कर जाते, कह, तो क्या वे मुझको अपनी पथ-बाधा ही पाते?" #यशोधरा ©river_of_thoughts #यशोधरा
अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज
जल में शतदल तुल्य सरसते तुम घर रहते हम न तरसते देखो दो-दो मेघ बरसते मैं प्यासी की प्यासी आओ हो बनवासी।।” (यशोधरा से) ©अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज यशोधरा
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
खुद को समझ ओ खुद को ख़ुदा समझने वाले । ना हम होंगे ना होंगे हमें इस जहां में समझने वाले ।। #इनसानियत की वेदना
अलौकिक "आलोक"
प्रेम की वेदना💕 कहाँ साध्य है इस दुनियां में प्रेम में पागल हो जाना, एक दिए के प्रेम की खातिर आग में जिंदा जल जाना। कहाँ साध्य है टूटे दिल का याद में उनकी मुस्काना। उठते गिरते गिरते उठते प्रेम की मंजिल को पाना। कहाँ साध्य है इस दुनियां में प्रेम में मीरा हो जाना, एक कन्हैया की ख़ातिर विष का प्याला पी जाना। कहाँ साध्य है इस दुनियां में विरह में राधा बन जाना, मिलन की इक उम्मीद से कान्हा की जोगन बन जाना। कहाँ साध्य है इस दुनियां में प्रेम में पागल हो जाना.... अलौकिक"आलोक" प्रेम की वेदना
अमित अनुपम
कर्ण की वेदना। मैं सूर्यपुत्र होकर भी सूत पुत्र कहलाया। क्या इतिहास कभी मेरे साथ न्याय, है कर पाया?? जिस मां ने जन्म दिया। उसी ने मुझको त्याग दिया। उसकी ममता भी उसको रोक न पाई। क्या मानवता को उस दिन लाज न आई? था भविष्य उस दिन ही मेरा सोया। भाग्य भी होगा मेरा जमकर रोया। मैं राधेय और हुई माता मेरी राधा। दूध उनका पीकर मैंने खुद को साधा। मैं गुरु द्रोण का दुत्कारा। मैं परशुराम शिष्य दुलारा। यहां भी भाग्य ने किया मुझे दंडित। गुरु सेवा निहित हुआ मैं शापित। मेरी विद्या मेरे काम न आए। जरूरत पर ही मुझको धोखा दे जाए। मेरे साथ इन्द्र ने किया भारी छल। मांग लिया मेरा कवच कुंडल। मैं अपनी किस्मत का मारा दुर्योधन का मुझे मिला सहारा। भड़ी सभा में था हो रहा मेरा अपमान। अंग नरेश बनाकर किया मेरा सम्मान। फिर मुझपर दुर्योधन का अधिकार था। धर्म अधर्म की बात अब मेरे लिए बेकार था। मित्रता भी अपने जगह धर्म है। निभाए वही जो समझे इसका मर्म है। फिर मैंने अपना मित्र धर्म निभाया। कौंतेय खुद को जान मैं पाला बदल न पाया। इंद्रप्रस्थ की गद्दी को मैंने ठुकराया। दांव पेंच कृष्ण का मैने झुठलाया। जिसने किया था मेरा सत्कार। उसके निहित मैं जीवन गया हार। इतिहास के करनी पर मुझको गम नहीं। था मैं पांडवों से कभी कहीं कम नहीं। फिर भी मुझे इस बात का ज्ञान है। सूत पुत्र कहलाना भी मेरा सम्मान है। महाभारत एक काव्य चेतना है जिसमे लिखी मेरी भी वेदना है। अमित अनुपम कर्ण की वेदना।
Anuradha Choudhury
वो तो पराई है । माइके में पराया धन ; ससुराल में पराइ लडकि ; वो तो पराइ है । आपके सम्मान की रक्षा करती है ; आपके वंशजों को जन्म देती है ; आपके घर को सवारती है ; न मन का कोई ठीकाना ; न सम्मान की परवाह ; # फिर भी वो तो पराइ है ।# अपनी सोच को बदलो और देखो , अगर यह पराइ लडकि न होती तो आप भी नहीं होते । %# नारी की वेदना #%