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Kavya Goswami
Part - 2 रेत का समंदर था या हवाओं की चपलता थी चाँद निकल आया था या शाम ढ़ल रही थी l सांसे रुकती और जिस्म पिघलता जा रहा था मुझे कुछ खबर नही की मै क्यूं जल रही थी... ( कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े ) Part - 1 मेरे इश्क़ का वो इम्तिहान ले रहे थे या सिर्फ़ मुझे परेशान कर रहे थे । जब चुपके से उनके आंखो पर हाथ रखी वो और किसी का
Tera Sukhi
कम भी हो गर इश्क़ जाना निभाना तो चाहिए कतरा कतरा ख़फ़ा अश्क़ों को बहाना तो चाहिए बहाने बता कोई खुद से करूँ जो अब नही बनते खुद से मुलाकात करने का मुझे बहाना तो चाहिए FULL READ IN CAPTION 👇👇 * कम भी हो तो * कम भी हो गर इश्क़ जाना निभाना तो चाहिए कतरा कतरा ख़फ़ा अश्क़ों को बहाना तो चाहिए बहाने बता कोई खुद से करूँ जो अब नही बनते
RV Chittrangad Mishra
तलवारों पे सर वार दिए अंगारों में जिस्म जलाया है तब जाके कहीं हमने सर पे ये केसरी रंग सजाया है ए मेरी ज़मीं अफसोस नहीं जो तेरे लिए सौ दर्द सहे महफूज रहे तेरी आन सदा चाहे जान ये मेरी रहे न रहे ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी मेरी नस नस में तेरा इश्क बहे पीका ना पड़े कभी रंग तेरा जिस्म से निकल के खून कहे तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू वो ओ.. सरसों से भरे खलिहान मेरे जहाँ झूम के भांगड़ा पा न सका आबाद रहे वो गाँव मेरा जहाँ लौट के बापस जा न सका ओ वतना वे मेरे वतना वे तेरा मेरा प्यार निराला था कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे मैं कितना नसीबों वाला था तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे खेतों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू ओ हीर मेरी तू हंसती रहे तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो मैं मरता था जिस मुखड़े पे कभी उसका उजाला कम ना हो ओ माई मेरे क्या फिकर तुझे क्यूँ आँख से दरिया बहता है तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं और चाँद हमेशा रहता है तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी नदियों में बह जावां तेरे फसलों में लहरावां इतनी सी है दिल की आरजू तेरी मिट्टी में मिल जावां
मोहित पंडित
तेरी मिट्टी ----कवर मैं तेरी सुनूं तुझे कुछ ना कहूं तुझमें मुझे रब दिखता है तू मां है मेरी मैं हूं लाल तेरा मेरा तुझसे चेहरा मिलता है तेरी गोदी में रह जावा तेरे आंचल में मर जाबा इतनी सी है दिल की आरजू तेरी मिट्टी में मिल जावा गुल बनके में लहरावा इतनी सी दिल की है आरजू 2. मुझे जो भी मिला सब तूने दिया तेरे अहसानों का मैं आभारी हूं तूने इतना बनाया मुझको मेरी मां फिर बनना मैं जारी हूं तेरी मिट्टी में मिल जावा गुल बनके मैं खिल जावा इतनी सी है दिल की आरजू तेरे आंगन में बतियाना तेरे चूल्हे में खा जाना इतनी सी है दिल की आरजू 3. ओ माई मेरी क्यूं फिकर तुझे तू मुझको क्यूं अब रोके है एक तेरा प्यार ही सच्चा है बाकी सब तो बस धोखे है तेरे चरणों में गिर जावा सिर आगे तेरे झुक जावा इतनी सी है दिल की आरज़ू तेरी बाहों में पल जावा तेरी ममता में रह जावा इतनी सी है दिल की आरजू माई ओ माई माई ओ माई #_मोहित पाराशर तेरी मिट्टी कवर