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Siddh Hansraj Manda
हम अगर इसी तरह चलते रहे तो बहुत जल्दी चाइना को पीछे छोड़ देंगे ©Siddh Hansraj Manda #जनसंख्या #वृद्धि
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
जब "हक" ही आपको एक बोझ लगने लगे बेटा बहू के समक्ष ज्यादा कमजोर लगने लगे सुबह -शाम "चाय" मिलने में देर लगने लगे बातों - बातों पर "बंदिशों" का ढ़ेर लगने लगे 'संतानों' को आप 'गठरी' सा बोझ लगने लगे तब समझो बहू नहीं 'लहू' तुझे धोखा देने लगे ©Anushi Ka Pitara #वृद्ध #वृद्धावस्था
Shradha Rajput
जनसंख्या वृद्धि तुम कहते हो महंगाई है तुम कहते रोजगार नहीं जनसंख्या से बड़ा दिया है बार पृथ्वी का शायद पृथ्वी पर इससे बड़ा कोई अत्याचार नहीं कर लिया है कब्जा बनो पर देखें कहीं दिखता अब मैदान नहीं भूखमरी बढ़ रही है देखो खाने को फसल 4 नहीं जनसंख्या का विस्फोट हो रहा शायद पृथ्वी पर अब बचा कुछ खास नहीं वह दिन अब दो नहीं जब इंसान इंसान को खाएगा जनसंख्या ऐसे बढ़ने से एक दिन महा प्रलय आ जाएगा ना होंगे संसाधन कुछ कैसे जीवन यापन हो पाएगा जनसंख्या अगर रुकी नहीं तो धरती का विनाश हो जाएगा अगर रुकी नहीं जनसंख्या वृद्धि तो एक दिन सचमुच खत्म हो जाएगी पूरी सृष्टि।। शारदा राजपूत जनसंख्या वृद्धि# #BoneFire
Ashish Mishra
जिन कन्धों पर बैठ कर दुनिया नापी थी, वो कन्धे आज कमजोर हो गए, वो माँ बाप आज वृद्ध हो गए। जिन्होंने जिन्दगी जीना सिखाया, हाथ पकड़ कर चलना सिखाया, वो माँ बाप आज वृद्ध हो गए। जिन्होने जिन्दगी पूरी बच्चों का, जीवन बनाने में ही बिता दी। वो आज खुद उन बच्चों की दुनिया से दूर हो गए, वो माँ बाप आज वृद्ध हो गए। जिन्होंने अपने बारे में न सोचकर बच्चों का घर बसाया, वो माँ बाप आज खुद के घर से बेघर हो गए। वो माँ बाप आज वृद्ध हो गए। #वृद्ध#हो_गए
Shubhendra Jaiswal
जिंदगानी पीर भरी लहराती झुर्रियाँ शेष भाग नोच रही खिसियाई बिल्लियाँ..! बैठने न दिया कभी नाकों पर मक्खियाँ आँत नहीं दाँत नहीं भरभराई हड्डियाँ..! पात पात जोड़ लिया काट पेट अतड़ियाँ स्वादहीन ही लगती मर कट कर मछलियाँ..! ताउम्र जोड़ता रहा तेरी मौज मस्तियाँ बाकी अभी जोड़ रहा साँसों की गिनतियाँ..! ©®शुभेन्द्र जायसवाल #शुभाक्षरी #अवस्था #वृद्ध
Writer Veeru Avtar
✍✍कविता 🙏🙏 एक वृद्ध जीवन जीवन की ये कैसी पहेली, वृद्ध जीवन बन न सका, मन की सहेली,, जीवन की ये....... डाली पर जैसे पका आम, पल-पल में बिखरते ,मन में प्राण,, चिंता चिंतन परिवार की करते, करते आशा, भ्रमण की डेली,, जीवन की ये....... स्वर्ण निद्रा, उल्लू के नैन, चिंतन में फिर होते बेचैन,, काम उमर में कर नहीं सकते, होते निराश, कर मन को मैली,, जीवन की ये........ न धन का मोह, न भिन्नता की आशा, ते देते प्रेरणा, पर मन की आभा,, जाते-जाते सिखा जाते, जीवन की एक अद्भुत शैली,, जीवन की ये.......... ©Writer Veeru Avtar वृद्ध जीवन #Mdh
Nandini Rastogi
अनुभवों से लदा एक वृक्ष! शब्दों की आरी से भीगते दृग! चहुँ ओर भीड़, पुष्पों पर टूटे, पर कोई न अपना सा विहग! ©Nandini Rastogi # वृद्ध एक बूढ़ा वृक्ष