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Deep Shikha
है न ये जानना जरूरी क्यूँ हुई ये दूरी हमारे साथ कभी ताउम्र संग रहने के वादे जो किए थे अब तो बता दो , क्यूँ न रही वो हाथों में हाथ #वैरी साथिया
Datta Dhondiram Daware
संगत तुझीच असावी जन्मभर, जगण्याला नसावे कसलेच भान...! नाव तुझेच धडधडत्या हृदयात, वैरी नाही मी तुझा असू दे जाण...! भर रक्ताने माझ्या मळवट तुझा, वचन दे मला मोडू नकोस ही आण...! *सम्राट दत्ता डावरे* ९७३००३७०५३ वैरी संजना #InspireThroughWriting
DrRavikirti Didwania
Sound Similar but Meaning Different Challenge People Become Too "Sel-fish" Sailing Somewhere else and Phishing Someone else... #ravikirtikikalamse #selfishworld #yqdidi #yqbaba #nazariya_badlo_janab #phishing #paraya #waqthitujebatayega द्विअर्थी समानार्थी शब्द प्रय
Ashif Bhai
दोस्तों की दुआ अब के सावन में ये शरारत हमारे साथ हुई अब के सावन में ये शरारत हमारे साथ हुई सारा शहर छोड़ कर मेरे ही घर बरसात हुई आई एम वैरी हैप्पी
brijesh mehta
तेरे और उनके प्रेम में जमीन आसमान का फर्क है तेरे प्यार में शक है, वहम है, भरोसा नहीं है। तेरा प्यार तुझे बहुत रुलाएगा, बहुत तड़पाएगा। — % & प्यार, प्रेम, विश्वास, भरोसा सब समानार्थी शब्द है। 💞💞 #मंमाधन #brijeshmehta #manmadhan #lovequotes #lifequotes #lovestory
Gopal Lal Bunker
वैरी ~~~~ वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच। काम क्रोध मद लोभ हैं, बसे मोह मन ढाँच।। मन पर हो आरूढ़ जब, माया चलती साथ। आते अवगुण साथ में, निज गुण रहे न हाथ।। फाँस मोह की फाँसती, भरकर भाव लगाव। भूल राम को सब मरें, हृदय मोह जड़ भाव।। बिठा हृदय में काम रति, दिया मदन उलझाय। उलझ मनुज घर नेह में, उलझ सुलझ हरसाय।। मनुज मरा जब लोभ में, मरी धर्म की रीत। नर ही नर को खा रहा, रही प्रयोजन प्रीत।। जर जोरू व जमीन का, करता नर अभिमान। मद में इनके सब लड़े, लेने देने जान।। #दोहा #दोहावली #वैरी #rztask405 #rzलेखकसमूह #glal #yqdidi #restzone
Gopal Lal Bunker
वैरी ~~~~ वैरी अपने पाँच हैं, वृत्ति बनाएं पाँच। काम क्रोध मद लोभ हैं, बसे मोह मन ढाँच।। मन पर हो आरूढ़ जब, माया चलती साथ। आते अवगुण साथ में, निज गुण रहे न हाथ।। फाँस मोह की फाँसती, भरकर भाव लगाव। भूल राम को सब मरें, मोह हृदय जड़ भाव।। बिठा हृदय में काम रति, दिया मदन उलझाय। उलझ मनुज घर नेह में, उलझ सुलझ हरसाय।। मनुज मरा जब लोभ में, मरी धर्म की रीत। नर ही नर को खा रहा, रही प्रयोजन प्रीत।। जर जोरू व जमीन का, करता नर अभिमान। मद में इनके सब लड़े, लेने देने जान।। पाल शील संयम सभी, बनो सतोगुण खान। कि तमोगुण ठहरे नहीं, ठहरे छवि भगवान।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #दोहा #दोहावली #दोहे #वैरी #glal #yqdidi #restzone #rzलेखकसमूह