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Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
Alok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
REETA LAKRA
वो किसी का दुश्मन नहीं हो सकता। तुम जिसके यार हो न वो किसी का याराना भुला नहीं सकता। तुम जिसके मित्र हो न वो किसी का शत्रु नहीं हो सकता। तुम जिसके साथी हो न वो किसी का साथ नहीं छोड़ सकता। तुम जिसके दिलदार हो न वो तुमसे दिलदारी नहीं छोड़ सकता। ३२४/३६६ तुम जिसके दोस्त हो ना... #जिसकेदोस्तहो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विलोम yreeta-lakra-9mba
KUNDAN KUNJ
हरि हरि से मिल,जलधि में रहे नहाय। हरि हरि को देख, हरि गई है मुरझाए।। @कुन्दन #Ram_Navmi हरि हरि से मिल,जलधि में रहे नहाय। हरि हरि को देख, हरि गई है मुरझाए।। @कुन्दन
REETA LAKRA
सोना जागना लगा रहेगा, उत्थान पतन लगा रहेगा, उपयोग दुरुपयोग लगा रहेगा, आदान प्रदान लगा रहेगा, आरंभ अंत लगा रहेगा, उधार नकद लगा रहेगा, रुकना चलना लगा रहेगा, जय पराजय लगा रहेगा, क्रय विक्रय लगा रहेगा, उतार चढ़ाव लगा रहेगा, जब तक जीवन है, तब तक मरण का डर लगा रहेगा। ३३७/३६६ पाना खोना लगा रहेगा, रोना धोना लगा रहेगा... #पानाखोना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विलोम yreeta-l
DR. SANJU TRIPATHI
रात-दिन तेरा खयाल बस तेरा इंतजार करते हैं, शाम ओ सवेरे अब हमको नागिन से डसते हैं। सोचा था तन्हाइयां और वीरानियां मिट जाएंगी, जीवन में बस प्यार की महफिलें सज जाएंगी। अमीरी गरीबी ने हमारे बीच में दीवारें उठा दी, हमारे रिश्ते में प्यार की जगह नफरत भर दी। हर मोड़ हर घड़ी हमारा ही था तिरस्कार किया , रख लेते रिश्ते का मान गर तुमने था प्यार किया। विलोम शब्द रात- दिन शाम- सवेरे तनहाई- महफिल अमीरी- गरीबी प्यार- नफरत तिरस्कार -मान
Bhaskar Anand
Vedantika
ज़िंदगी में सुख के साथ दुख होता ही हैं हँसने के बाद हर कोई एक बार रोता ही हैं मिलती नहीं क़भी जिन रास्तों पर मंज़िल पाकर हर ख़ुशी एक दिन कुछ खोता ही हैं जाने-अनजाने मिलते हैं सफ़र में सभी को कोई दोस्त है और कोई दुश्मन हैं तुम्हारा मिट जाती हैं दूरियाँ पास आते हुए फिर नदियों को जैसे मिल जाए एक किनारा रात के बाद जब आता हैं दिन जीवन मे तो आती हैं ख़ुशियाँ लेकर नया रूप बीता हुआ कल हो जाता हैं धुंधला आने वाले कल की एक नई उम्मीद में कुछ अधूरी कुछ पूरी सी ख्वाहिश कुछ जिद्दी सी हैं मेरी फरमाइश फिर भी ज़िंदगी चलती रहती हैं हर सुख दुख चुपचाप सहती हैं विलोम शब्द- रात-दिन सुख-दुख खोना-पाना बीता हुआ कल-आने वाला कल हँसना-रोना