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Lokesh Late
पायात काटे रुतून बसतात हे अगदी खरं असतं, आणि फुलं फुलून येतात हे काय खरं नसतं? काट्यांसारखं सलायचं की फुलांसारखं फुलायचं तुम्हीच ठरवा! मंगेश पाडगावकर #कविता
Lokesh Late
काळ्याकुट्ट काळोखात जेंव्हा काही दिसत नसतं तुमच्यासाठी कोणीतरी दिवा घेऊन ऊभं असतं काळोखात कुढायचं की प्रकाशात उडायचं ! तुम्हीच ठरवा! मंगेश पाडगावकर तुम्हीच ठरवा
Micku Nagar
जब मेरी आखरी सांसे चल रही होगी जब में इस दुनिया से विदा लूंगा तब मेरे पास भी एक छोटा सा "कविता संग्रह" होगा। जिसमे मैंने ज़िक्र किया होगा.... पेड़ - पोधों , नदियों , पर्वतों , मैदानों का, चांद ,सूरज ,ग्रह ,उपग्रह , ब्रम्हांड, तारों का, फुल , बगीचों , बेलों , और हरियाली का कोयल , चिड़ियां , चकवा , चकोर का सपने ,ख्वाब , हकीकत , ख्वाहिशों का, देह , आत्मा , रूह , जिस्म , जान का औरत , पुरुष , वासना , ज़िद्द , काम का , बचपन, जवानी , पचपन और बुढापे का, उन सारी चीज़ों का जिन्होंने मुझे विचलित किया होगा। और इन सब में सबसे ज्यादा ज़िक्र होगा, तुम्हारा , हां सिर्फ तुम्हारा तुमने मुझे परिभाषित किया है। मेरी रचनाओं का शाश्वत केंद्र हो तुम। **************************** जानती हो तब सबसे अच्छा क्या होगा, तुम्हे पढ़ा जाएगा, कविताओं के माध्यम से। तुम्हें याद किया जाएगा। लोग तुम्हें पढ़कर मोहब्बत करना सीखेंगे। मैं छोड़ जाऊंगा तुम्हें प्रेम की पोटली पर सब्र वाली गांठ लगाकर बहुत यत्न किए जाएंगे , मुझे समझने के लिए, लेकिन बस तुम खोजी जाओगी, हां बस तुम मैं भी तुम्हारे हदय स्पर्श के बाद ही खुद को जान पाया हूं। ***************** #कविता #संग्रह