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Rakhi Yadav
डिग्री का होना जरूरी है... पर इसके साथ ही विनम्र व्यवहार की डिग्री का होना भी बहुत जरूरी हैंI ©Rakhi Yadav डिग्री का होना
MANJEET SINGH THAKRAL
Poetry with Avdhesh Kanojia
#HappyBirthdayGoogle तुम्हारे पास हर प्रश्न का उत्तर होता है तो बताओ दृष्टिकोण किंतने डिग्री का होता है तुम्हारे पास हर प्रश्न का उत्तर होता है। तो बताओ दृष्टिकोण किंतने डिग्री का होता है। ✍️अवधेश कनौजिया©
Prashant Maurya
#GuruTegBahadurji ऐसे पढ़ाई करके डिग्री का क्या मतलब जब बड़े आदमी बन कर अपने मां बाप को ही भूल जाते हैं लोग ऐसे पढ़ाई करके डिग्री का क्या मतलब जब बड़े आदमी बन कर अपने मां बाप को ही भूल जाते हैं लोग #true #life Ayesha Panwar imankita Vandana sikar
Motivation p
Faizan Azhari
किसी डिग्री का ना होना दरअसल फायेदेमंद है, अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं| यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं| किसी डिग्री का ना होना दरअसल फायेदेमंद है, अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं| पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है, तो
Jagrati Nagle
गर बेटियों को भ्रूण हत्या और दहेज जैसी कुप्रथा से बचाना है तो थोडा सा सोच में परिवर्तन लाना होगा बेटियों को लक्ष्मी की जगह अब सरस्वती बुलाना होगा ऐसा करने से हर बेटी की शिक्षा पर जोर दिया जायेगा और शायद ........ शायद.......उनका जीवन थोड़ा सरल हो जाए ©Jagrati Nagle गर बेटियों को भ्रूण हत्या और दहेज जैसी कुप्रथा से बचाना है तो थोडा सा सोच में परिवर्तन लाना होगा बेटियों को लक्ष्मी की जगह अब सरस्व
नेहा उदय भान गुप्ता
आप सबको आज मैं अपनी बेरोजगारी की दास्तां सुनाती हूं.......... पढ़ने के लिए आप कैप्शन में जाएं👇👇 शीर्षक - बेरोजगारी विधा - कविता है आज बड़ा दर्द का पहलू, जिसको उदय दुलारी नेह लिखेगी। अपने दिल का सारा दर्द बयां करेगी, आज बेरोजगारी पर आत
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
आप सबको आज मैं अपनी बेरोजगारी की दास्तां सुनाती हूं.......... पढ़ने के लिए आप कैप्शन में जाएं👇👇 शीर्षक - बेरोजगारी विधा - कविता है आज बड़ा दर्द का पहलू, जिसको उदय दुलारी नेह लिखेगी। अपने दिल का सारा दर्द बयां करेगी, आज बेरोजगारी पर आत
Divyanshu Pathak
एक समय था जब शिक्षा के लिए देश भर में गुरूकुल व्यवस्था थी। इस व्यवस्था में बच्चों को गुरू के पास ही रहना पड़ता था। गुरू हर शिष्य का परीक्षण करके उसके ज्ञान का आकलन करता था। उसके भावी जीवन पर दृष्टि डालकर उसे तैयार करता था। वही धर्म की शिक्षा भी देता था, वही लोक व्यवहार और प्रकृति के स्वरूप की शिक्षा भी देता था। जैसे-जैसे शिष्य तैयार होता जाता था गुरू का गर्व भी बढ़ता जाता था। शिष्य में वह अपना प्रतिबिम्ब देखता रहता था। अपना सारा ज्ञान शिष्य को समर्पित कर देता था। एक पूर्ण मानव का निर्माण करके माता-पिता को सौंप देता था। मानव तो आज भी वही है। केवल बाहरी परिवेश बदलता है। बदलता ही रहा है। इसका प्रभाव भी बाहरी जीवन पर अधिक होता है। चकाचौंध भी हर काल में रही है औ