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Rohan Roy
हमारे विचार महासागरों की तरह गहरा और लहरों की तरह तीव्रता से, आते जाते रहते हैं। जो डूबता है, वो समस्याओं से लड़ना जानते हैं। और जो बाहर निकलता है, वही समाधान ढूंढ लाते हैं। ©Rohan Roy हमारे विचार महासागरों की तरह गहरा और लहरों की तरह तीव्रता से, आते जाते रहते हैं। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
Bhupendra Rawat
बस गयी हो मेरी रूह में तुम कुछ इस तरह जिस तरह नदियों का बहता नीर समा जाता है,समुन्द्र में समुन्द्र का नीर महासागरों में फिर एक दूसरे के संग आलिंगन कर बहने लगता है एक ही दिशा में अपनी मंज़िल की ओर शिलाओं को पार कर, मंज़िल तक पहुंचते पहुचंते निहार लेता है,पूरी दुनिया को अब अपने भीतर समाये हुए है पीड़ा, वही पीड़ा जिससे परिचित था लेकिन आज क्षुब्द है जानकर की कुछ ही क्षण में हो जाएगा दूर नेह की डोर से। भूपेंद्र रावत 24।05।2020 #Love बस गयी हो मेरी रूह में तुम कुछ इस तरह जिस तरह नदियों का बहता नीर समा जाता है,समुन्द्र में समुन्द्र का नीर महासागरों में फिर एक द
अशेष_शून्य
..... "भयावह है मर जाना और "अपराध" है मार देना फ़िर चाहे वो "स्वप्न" तुम्हारे हों या किसी और के!!"✍️ ~©Anjali Rai _________________ एक प्रेमी की
अशेष_शून्य
धूप अच्छे अच्छे महासागरों को एक घूंट में सोख लेती है। ~©Anjali Rai— % & आह भर देते हो तुम मुझमें प्राण हर बार मेरी पलकें चूमकर जब भी मेरे रोम रोम से नमी सूखने लगती और मैं निस्प्राण होने लगती हूं मेरी पसलियां
अशेष_शून्य
ये सच है___ "प्रेम" इस दुनिया की सबसे जादुई परिकल्पना है; जिस पर सदियों तक यकीन ना हो, और "प्रेमी" इस संसार के सर्वश्रेष्ठ जादूगर!!! -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में ) १२/०८/२०२१ ये अंधो का देश है और ना तुम कोई रश्मि हो मैं तब भी तुम्हें देख रही हूं जब मेरी पलकें बंद है ये बधिरों का देश है
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ हिंदू धर्म के समस्त देवी-देवताओं के भी इष्ट भोलेलाथ का मूल मंत्र "ॐ"- जिस कारण इस धर्म से संबंध रखने वाला हर व्यक्ति इसका जाप करता है, कहा जाता है “ॐ” कार दिव्य नाद है- नाद एक संगीत उपकरण है- कहा जाता है यह केवल एक मंत्र नहीं बल्कि परम संगीत है। संपूर्ण सृष्टि के सभी स्वर इस एक शब्द “ॐ” में पिरोए हैं। यहां तक कि पेड़ों पर बैठे पखेरुओं का कलरव, उच्च हिम शिखरों की शांति, पहाड़ों से उतरते झरनों की मर्मर, वृक्षों से गुजरती हवाओं की सरसर, महासागरों में लहरों का तर्जन, आकाश में बादलों का गर्जन सभी का सार है “ओंकार”। “ॐ” कार शब्द बीज है, कहा जाता है समस्त शब्द इसी से जन्मे हैं। इसी से उन्हें जीवन मिलता है और अंत समय में इसी में मिल जाना है। कुछ मान्यताओं की मानें तो वेद ही नहीं बाइबिल भी “ॐ” से ही उपजी है-बाइबिल भी इसी सच्चाई को दुहराती है कि प्रारंभ में ईश्वर था, और ईश्वर शब्द के साथ और फिर उसी शब्द से सब प्रकट हुआ। गीता तथा गायत्री भी इसी से प्रकट हुई है। इसीलिए वेद कहते हैं कि “ॐ” को जिन्होंने जान लिया, उनके लिए इसके बाद जीवन में कुछ और जानने के लिए शेष नहीं रहता। सृष्टि का बीज है “ॐ” कार-सृष्टि की सभी ऊर्जाओं का परम स्रोत है यह “ॐ” कार। अनन्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त ऊर्जा के विभिन्न स्तर, आयाम और ऊर्जा धाराएं “ॐ” कार से ही प्रवाहित हुई हैं। यही कारण है कि उपनिषद् में वर्णन मिलता है “ॐ” कार से सब पैदा हुआ तथा “ॐ” कार में सभी का जीवन है और अन्त में सब कुछ “ॐ” कार में ही विलीन होगा। सृष्टि के सूक्ष्मतम से महाविराट् होने तक के सभी रहस्य इस “ॐ” कार में ही समाए हैं। ध्यान बीज है है “ॐ” कार- कहा जाता है जो भी इसका ध्यान करता है उसके सभी रहस्य उजागर होते हैं, शक्ति के स्रोत उफ़नते हैं। यह “ॐ” कार हममें है, तुममें है, सबमें है। परंतु अभी यह बन्धन में है और जब तक यह बन्धन में रहेगा मनुष्य के भीतर रुदन का हाहाकार मचा रहेगा तथा वेदनाएं हमें सालती रहेंगी। “ॐ” कार के बंधन मुक्त होते ही रुदन की चीत्कार संगीत के उल्लास में बदल जाती है। बंधन से मुक्ति केवल “ॐ” कार के ध्यान से ही संभव है। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 277 से 288 नाम 277 प्रतापनः जो अपनी किरणों से धरती को तप्त करते हैं 278 ऋद्धः जो धर्म, ज्ञान और वैराग्य से संपन्न हैं 279 स्पष्टाक्षरः जिनका ओंकाररूप अक्षर स्पष्ट है 280 मन्त्रः मन्त्रों से जानने योग्य 281 चन्द्रांशुः मनुष्यों को चन्द्रमा की किरणों के समान आल्हादित करने वाले 282 भास्करद्युतिः सूर्य के तेज के समान धर्म वाले 283 अमृतांशोद्भवः समुद्र मंथन के समय जिनके कारण चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई 284 भानुः भासित होने वाले 285 शशबिन्दुः चन्द्रमा के समान प्रजा का पालन करने वाले 286 सुरेश्वरः देवताओं के इश्वर 287 औषधम् संसार रोग के औषध 288 जगतः सेतुः लोकों के पारस्परिक असंभेद के लिए इनको धारण करने वाला सेतु 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ हिंदू धर्म के समस्त देवी-देवताओं के भी इष्ट भोलेलाथ का मूल मंत्र "ॐ"- जिस कारण इस धर्म से संबंध रखने वाला हर व्यक्ति
Shree
छोटी सी बात 🦋🦋आसमान 🦋🦋 ♥️♥️♥️♥️♥️ रह जाती है कई बार अनसुनी, अनकही, अबोली उसकी बात! सोचती है कि कहे या ना कहे, कह दिया तो क्या कोई सुनेगा? उसकी बा
Bhairav
🚩 | | ॐ | | 🚩 🌻 श्री कृष्णम शरणं मम्🌻 🌸 | | जय माता दी | | 🌸 shraddhaabhaktee90@gmail.com "हम भाग्य के ज्ञाता हैं,भाग्य विधाता नहीं" 🛕 🛕 🛕 🪔 स्वस्थ रहें,मस्त रहें और व्यस्त रहें...!🪔 🙏🏻|| Pandit Bhairav Maharaj ||🙏🏻 🛕 🛕 🛕 🪴 ☔ | | 🌊 बूंद "🌊 | | ☔🪴 हम जो जानते हैं, वो बूंद के बराबर हैं.....☔ 🌸 और 🌸 जो नहीं जानते , वो महासागर के समान हैं....🌊 shraddhaabhaktee90@gmail.com 💐🤝🏻💐 राधे-राधे ©Bhairav #महासागर #5LinePoetry
Satish Deshmukh
उन्हाने तप्त झालेला महासागर तुझ्यामध्ये तरी पाऊस देणाऱ्या ढगांचे घर तुझ्यामध्ये किती उत्साह लोकांचा किती बाजार गजबजले दिवाळीला न पिकलेले मुके वावर तुझ्यामध्ये डबल इंजिन ट्रिपल इंजिन असू द्या आजची सत्ता उद्या मतदान देताना खरी पावर तुझ्यामध्ये तुरुंगाची न ईडीची तुला नाही भिती कुठली कमवली जी स्वकष्टाने अशी भाकर तुझ्यामध्ये तळ्या तुज लागली हल्ली तहानेची सवय कारण तिरावर रोज येणारी वसे घागर तुझ्यामध्ये सतीश देशमुख शेंबाळपिंप्री ता. पुसद जि. यवतमाळ मो. न. 7038267576 ©Satish Deshmukh महासागर #titliyan