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Anindya Dey
.. वो सदाऐ घेर लेतीं हैं तुम्हारी अक़्सर, के कस लिया मुझे "ऐवीं" कहकर..! ख़ाम-ख़याली 💞
Anindya Dey
.. सुबह के बदली बौछार का शुक्रिया, के इतवार की आलस को फ़ुरसत दिया..! ख़ाम-ख़याली..💞
Anindya Dey
.. ख़याल में नक़्ता सी तसव्वुर में पुख्ता रही, इरादा न आरज़ू तुम आती जाती सांसें रही..! ख़ाम-ख़याली..💞
Anindya Dey
.. खुशामदीद.. 💞 .. दीवार पे खिड़की आला रोशनदान हैं, दरों पे मगर दीवारों से सख़्त इंतेख़ाब हैं..! .. ख़ाम-ख़याली की लाज़मी ख़ुसूसियत..
Sultan Mohit Bajpai
गलत हुजूम में थे , पर गलत नही थे हम मुबस्सिर कज-ख़याली थे, मगर सही थे हम सभी ने देखकर भी ,बारहा ना–दीदा किया दह़र की नज्ऱ में गु़म थे, वले वहीं थे हम ©Sultan Mohit Bajpai एक अश'आर: गलत हुजूम में थे , पर गलत नही थे हम मुबस्सिर कज-ख़याली थे, मगर सही थे हम सभी ने देखकर भी ,बारहा ना–दीदा किया दह़र की नज्ऱ
Sangeeta Patidar
तुम्हारी बातों में आकर, ख़याली पुलाव हम पकाने लगे हैं, कैसा असर तुम्हारा, गुस्ताख़ी से गुनाह, हम करने लगे हैं। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_78 ख़याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थ – काल्पनिक योजना बनाना या काल्पनिकता में जीना ♥️ इस पोस्ट को हाई
Vedantika
ख़याली पुलाव पकाते रहे सपनों में सफ़र करते रहे हकीकत कुछ और निकली आँख खुलते ही जब देखा वो किस्मत को गुनहगार करते रहे ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_78 ख़याली पुलाव पकाना मुहावरे का अर्थ – काल्पनिक योजना बनाना या काल्पनिकता में जीना ♥️ इस पोस्ट को हाई
Neena Jha
रेत की घड़ी है मेरे पास, जो जाने कब से चल पड़ी है, कयास न लगाया मैंने कि मेरी उम्र कितनी बची है, जिए जाने की ख़्वाहिश में रोज़ मर रही हूँ, तिनका तिनका तुझे रोज़ याद कर रही हूँ, खोकर भी तुझे तेरी आस में हूँ, पाने की चाह में वक़्त की आवाज़ सुन रही हूँ, न भरोसा मुझे चाँद पर, जो आता ही नहीं अमावस पर, न ज़रा भी विश्वास इन किरणों पर, जो छिप जाए बादलों के घर, बूंद बूंद रेत को मैं बारंबार पलट रही हूँ, तू आएगा ये सोचकर साँसे भी यूँ गिन रही हूँ सराब सा है ख़याल तेरा, आते ही तुझसे मिला दे, बे ख़याली में भी चमक तेरे नाम की बेदार आँखों में भर दे, आ पढ़ ले तू एक बार, जो मैं पल पल सिर्फ़ तुझे बयां कर रही हूँ। नीना झा #संजोगिनी ©Neena Jha #Shajar #neverendingoverthinking #नीना_झा #जय_श्री_नारायण #संजोगिनी जय माँ शारदे 🙏 विषय... रेत की घड़ी है मेरे पास, जो जाने कब से चल पड़ी है
Er.Shivampandit
#बेचैनकलम........✍️✍️ बचपन की बात है पांचवी से कविता का साथ है #बेचैनकलम........✍️✍️ बचपन की बात है पांचवी से कविता का साथ है आंठवी में मित्र ने कहा था कलम जल्दी जल्दी चला तेरे नाम में भी लगेगा डॉक्टरेट
Drg
बीते बरस में हमने कई बातें हैं सीखीं, जो सच हो बात तो लगती है तीखी तीखेपन को सौ ग्राम गुड़ खिलाओ, झगड़ा छोड़, दोस्ती कर, हाथ मिलाओ जहाँ दाल गले वहाँ तड़का लगाओ, जहाँ उम्मीद ना हो उसे भूल जाओ धीमी आँच पर सार्थक रिश्तें बनाओ, परख कर, उन्हें फिर ख़ास बतलाओ बादाम खाकर अपनी बुद्धि चलाओ, हर किसी को अपना ‘प्रिय’ ना बनाओ जलेबी सी अनोखी अपनी शख़्सियत बनाओ, कुछ तेढ़ी, कुछ मीठी पहेली बन जाओ (शेष कैप्शन में पढ़ें) बीते बरस में हमने कई बातें हैं सीखीं, जो सच हो बात तो लगती है तीखी तीखेपन को सौ ग्राम गुड़ खिलाओ, झगड़ा छोड़, दोस्ती कर, हाथ मिलाओ जहाँ