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Shubham Kumar Dubey

#क्रोधाग्नि #प्रेम मैंने तो गुस्से में लिखा था आप प्रेम में भी लिख सकते हो।

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कोई फर्क नहीं पड़ता किसीको 
यदि तुम ____ हो, तो हो।
तुम्हारी _____ से किसी क्यों ____ ।
यदि तुम ____ हो, तो हो।


खाली स्थान भरें🤔 #क्रोधाग्नि 
#प्रेम

मैंने तो गुस्से में लिखा था आप प्रेम में भी लिख सकते हो।

_suruchi_

कड कड कड कड गरजे अम्बर थरथर कापी धरती रे मात्र उनके दहाड़ से देखो काल चक्र भी स्थगित हुए। क्रोधाग्नि से जिनके,ब्रम्हांड ये कंपे षडरिपु भी

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कड कड कड कड गरजे अम्बर
  थरथर कापी धरती रे
 मात्र उनके दहाड़ से देखो
काल चक्र भी स्थगित हुए।
क्रोधाग्नि से जिनके,ब्रम्हांड ये कंपे
षडरिपु भी जलकर भस्म हुए
त्रिलोकी पालनहार जगत के,
भक्तोद्धार करने आये है।
धड़धड़ धड़धड़ भड़की ज्वाला
संतप्त आग बबूला रे
अन्याय का करने परम संघार
अवतीर्ण देखो नरसिह अवतार हुए। कड कड कड कड गरजे अम्बर
  थरथर कापी धरती रे
 मात्र उनके दहाड़ से देखो
काल चक्र भी स्थगित हुए।
क्रोधाग्नि से जिनके,ब्रम्हांड ये कंपे
षडरिपु भी

Amit Mishra

थोड़ा समय लेकर पूरा पढ़ियेगा..🙏🙏 तोड़ धनुष जब शिव जी का मन ही मन राम हर्षाये थे भये प्रसन्न सब देव स्वर्ग में नभ से ही पुष्प बरसाये थ #Ram #Sita #yqbaba #yqdidi #vivaah #Amit #Swayamvar #amitmaun

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--स्वयंवर--
पढ़ें अनुशीर्षक में

 थोड़ा समय लेकर पूरा पढ़ियेगा..🙏🙏

तोड़ धनुष जब शिव जी का
मन  ही  मन  राम  हर्षाये थे
भये  प्रसन्न  सब देव स्वर्ग में
नभ  से  ही  पुष्प बरसाये थ

vasundhara pandey

नहीं चाहिए कोई...! धर्म से अपने डिगूँ नहीं कर्म से कभी हटूँ नहीं नहीं चाहिए दया कभी, अभी करुणामयी दशा नहीं... क्या हठ कर जीत लिया, जो था अ #Decision #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqwriters #Final #cheaters #risingphoenix #sheetallodiya

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दर्द की ज़िन्दगी नहीं मुझे सुकून की मौत चाहिए 
सुलह की धूमी नहीं बस प्रतिकार चाहिये...  नहीं चाहिए कोई...!
धर्म से अपने डिगूँ नहीं कर्म से कभी हटूँ नहीं 
नहीं चाहिए दया कभी, अभी करुणामयी दशा नहीं... 
क्या हठ कर जीत लिया, जो था अ

नेहा उदय भान गुप्ता

उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस् #yqbaba #yqdidi #myquote #YourQuoteAndMine #yqquotes #openforcollab #collabwithmitali #द्रौपदी_वनवास

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उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी।
अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्थ की थी वो पटरानी।।
एक बार की बात है, जब सम्राट युधिष्ठिर हस्तिनापुर में खेलने लगे जब वो चौसर।
मामा शकुनि की कपट चाल से, हार गए सब जो मिला था इनको अंतिम अवसर।।
कपटी भ्राता दुर्योधन ने छल के द्वारा, दिया पांडवों को फ़िर बारह बरस का वनवास।
एक वर्ष के अज्ञातवास में, लिए गए जो पहचान तो पुनः मिलेगी 12 बरस वनवास।।
पतिव्रता थी वो सत्यवती अखण्ड सौभाग्य, अग्नि सा समता तेज़ था उसके मुख पे।
निकल पड़ी वो भी अपना पत्नी धर्म निभाने, जहां रहते पति वहीं पत्नी रहती सुख में।
राहों में आएं कितने भी कांटे और पत्थर, वो तो बस कान्हा का ही नाम जपती रही।
कांटे भी लगे कृष्णे को पुष्प सम, पर अपने अपमान की क्रोधाग्नि में वो जलती रही।
पांचाल राज की थी वो राजकुमारी, इंद्रप्रस्थ की बनी पटरानी, पर वन वन में भटके।
पांच पांडवों की थी वो पत्नी, पांचों शुर वीर महारथी बलवान, पर ना उसके अश्रु रुके।
बारह बरस का उन्होंने वनवास काटा, फ़िर अज्ञातवास को काटने की अाई अब बारी।
उदय दुलारी नेह की आंखों से भी अश्रु छलक पड़े लिखते लिखते करुण कहानी सारी।
अज्ञातवास की खातिर वो, लिए विराट राज्य की शरण, अपना भेष बदल - बदल कर।
महारानी, पटरानी बन गई शैलेंद्री,  दुःखी हुआ हर कोई वनवास की कथा सुनकर।। 
उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी।
अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्

नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस् #yqbaba #yqdidi #myquote #YourQuoteAndMine #yqquotes #openforcollab #collabwithmitali #द्रौपदी_वनवास

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उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी।
अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्थ की थी वो पटरानी।।
एक बार की बात है, जब सम्राट युधिष्ठिर हस्तिनापुर में खेलने लगे जब वो चौसर।
मामा शकुनि की कपट चाल से, हार गए सब जो मिला था इनको अंतिम अवसर।।
कपटी भ्राता दुर्योधन ने छल के द्वारा, दिया पांडवों को फ़िर बारह बरस का वनवास।
एक वर्ष के अज्ञातवास में, लिए गए जो पहचान तो पुनः मिलेगी 12 बरस वनवास।।
पतिव्रता थी वो सत्यवती अखण्ड सौभाग्य, अग्नि सा समता तेज़ था उसके मुख पे।
निकल पड़ी वो भी अपना पत्नी धर्म निभाने, जहां रहते पति वहीं पत्नी रहती सुख में।
राहों में आएं कितने भी कांटे और पत्थर, वो तो बस कान्हा का ही नाम जपती रही।
कांटे भी लगे कृष्णे को पुष्प सम, पर अपने अपमान की क्रोधाग्नि में वो जलती रही।
पांचाल राज की थी वो राजकुमारी, इंद्रप्रस्थ की बनी पटरानी, पर वन वन में भटके।
पांच पांडवों की थी वो पत्नी, पांचों शुर वीर महारथी बलवान, पर ना उसके अश्रु रुके।
बारह बरस का उन्होंने वनवास काटा, फ़िर अज्ञातवास को काटने की अाई अब बारी।
उदय दुलारी नेह की आंखों से भी अश्रु छलक पड़े लिखते लिखते करुण कहानी सारी।
अज्ञातवास की खातिर वो, लिए विराट राज्य की शरण, अपना भेष बदल - बदल कर।
महारानी, पटरानी बन गई शैलेंद्री,  दुःखी हुआ हर कोई वनवास की कथा सुनकर।। 
उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी।
अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्
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