Nojoto: Largest Storytelling Platform

New मिट्टी के बर्तन Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about मिट्टी के बर्तन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मिट्टी के बर्तन.

    PopularLatestVideo

सुसि ग़ाफ़िल

कुछ भी नहीं है पास मेरे शिवाय तन्हाई का साथ मेरे अजीब सी उलझन मन में चले ना वक्त चले यह साथ मेरे है पानी यहां पैरों के नीचे आंसू शुष्क सैल

read more
कुछ भी नहीं है पास मेरे
शिवाय तन्हाई का साथ मेरे

अजीब सी उलझन मन में चले
ना वक्त चले यह साथ मेरे

है पानी यहां पैरों के नीचे
आंसू शुष्क सैलाब मेरे

ज्वार भाटा सा आए मन में
नाव अंधेरों के साथ मेरे

मिट्टी के बर्तन का काम मेरा
मैं रखे बैठा हाथ पर हाथ मेरे

हकीकत के पहिए फंसे पड़े
ना रास्ता दिखे साथ मेरे | कुछ भी नहीं है पास मेरे
शिवाय तन्हाई का साथ मेरे

अजीब सी उलझन मन में चले
ना वक्त चले यह साथ मेरे

है पानी यहां पैरों के नीचे
आंसू शुष्क सैल

||स्वयं लेखन||

कई बार हम मिट्टी के बर्तन ये सोचकर इस्तमाल नहीं करते कि कहीं टूट गया तो, लेकिन हम ये नहीं देखते कि उस मिट्टी की खुशबू ,उसकी शीतलता, हमें कि #Quotes #Zindagi #thought #poetrycommunity #विचार #gunjanrajput

read more
कई बार हम मिट्टी के बर्तन ये सोचकर इस्तमाल
नहीं करते कि कहीं टूट गया तो,

लेकिन हम ये नहीं देखते कि उस मिट्टी की खुशबू ,
उसकी शीतलता, हमें कितना! सुकून देती है।

मगर हमें तो वो सोने के चमकते बर्तन ज्यादा
खूबसूरत लगते हैं जो हमें अच्छे तो लगते हैं,

मगर उनमें ना वो खुशबू होती है और ना ही
वो शीतलता।

©Gunjan Rajput कई बार हम मिट्टी के बर्तन ये सोचकर इस्तमाल नहीं करते कि कहीं टूट गया तो,

लेकिन हम ये नहीं देखते कि उस मिट्टी की खुशबू ,उसकी शीतलता, हमें कि

||स्वयं लेखन||

कई बार हम मिट्टी के बर्तन ये सोचकर इस्तमाल नहीं करते कि कहीं टूट गया तो, लेकिन हम ये नहीं देखते कि उस मिट्टी की खुशबू , उसकी शीतलता, हमें

read more
mute video

AK__Alfaaz..

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #मिट्टी ​स्त्रियाँ, ​प्रेम की मिट्टी के, ​घर बनाती हैं, स्वाद की ​मिट्टी के बर्तन, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

read more
स्त्रियाँ,
​प्रेम की मिट्टी के,
घर बनाती हैं,
स्वाद की ​मिट्टी के बर्तन,
​व..​आस्था की मिट्टी से,
मूरत बनाती हैं,
​
​स्त्रियाँ,
परंपराओं की मिट्टी से,
​दहलीज एवं आँगन ​लीपती हैं,
भाग्य की मिट्टी से,
दीवारें पोतती हैं,
रूढ़ियों की ​मिट्टी में सनी होती हैं,
​और..,
त्याग की ​मिट्टी मे जल के जैसे,
​सब सोख लेती हैं,
​ #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे..

#मिट्टी

​स्त्रियाँ,
​प्रेम की मिट्टी के,
​घर बनाती हैं,
स्वाद की ​मिट्टी के बर्तन,

Pankaj Singh Chawla

मिट्टी भूल गए लोग मिट्टी की ख़ुशबू को, पर मैं इसे कभी न भूला पाऊंगा, रिमझिम फुहारों के बाद सोंधी सी ख़ुशबू कभी न भूल पाऊंगा, बन गए अब पक्के मक #Challenge #YourQuoteAndMine #rapidfire #pchawla16

read more
भूल गए लोग मिट्टी की ख़ुशबू को,
पर मैं इसे कभी न भूला पाऊंगा,
रिमझिम फुहारों के बाद
सोंधी सी ख़ुशबू कभी न भूल पाऊंगा,
बन गए अब पक्के मकान और पक्की सड़के,
उन कच्ची मिट्टी की कीचड़ वाली गलियां न भूल पाऊंगा,

भूल गए सब मिट्टी के बर्तन को,
सेहत का जो खजाना थे,
पानी भरकर रखते थे सुराही में फ्रिज सा ठंडा पाते थे,
मटका वाला पानी आजकल का आर ओ हुआ करता था,
पानी की अशुद्धियों को दूर किया करता था,
मिट्टी का चूल्हा जलता था घर में,
मच्छर का नाम नही हुआ करता था,
कसोरे वाली चाय का स्वाद ही अलग होता था,

जिस मिट्टी में बड़े हुए,
उस मिट्टी को भूल गए,
अपने बच्चों को मिट्टी की अहमियत सीखना भूल गए,
भले कर गया जमाना तरक्की बहुत,
आधुनिक मशीनों का युग आगया,
जो मिट्टी नीवं है हमारी उस नींव को पक्का करना भूल गए।। मिट्टी
भूल गए लोग मिट्टी की ख़ुशबू को,
पर मैं इसे कभी न भूला पाऊंगा,
रिमझिम फुहारों के बाद
सोंधी सी ख़ुशबू कभी न भूल पाऊंगा,
बन गए अब पक्के मक

कवि राहुल पाल 🔵

""बचपन "" लेखक - कवि राहुल पाल मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित दिनांक -10 june 2021 ******************* बरसात में अपनी नाव चलाना , डींगो से अपन #Childhood #कविता #nojotowriters #nojotonews #bachapan #KRP

read more
.......…......

©कवि राहुल पाल ""बचपन ""
लेखक - कवि राहुल पाल 
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित 
दिनांक -10 june 2021 
*******************
बरसात में अपनी नाव चलाना ,
डींगो से अपन

JALAJ KUMAR RATHOUR

अर्नेब ने कॉल उठाया और हम लोग बात सुनने उसके पीछे चले गए। आज ये पहली बार था जब अर्नेब ने हमें मना नही किया था। या हमे गाली देकर भगाया नही था #जलज

read more
पार्ट-13
अर्नेब ने कॉल उठाया और हम लोग बात सुनने उसके पीछे चले गए। आज ये पहली बार था जब अर्नेब ने हमें मना नही किया था। या हमे गाली देकर भगाया नही था। रिश्ते भी काँच या मिट्टी के बर्तनो के समान होते है। जब तक टूटते नही तब तक हम उनको सबसे बचाकर रखते है। और जब एक बार टूट जाते है। या उनमे हल्की दरार आ जाती है। तो हम उनके प्रति लापरवाह हो जाते है। अर्नेब भी कोशिश करता था। उसे भुलाने कि पर अर्नेब के लिए उसको भूलना शायद अपने जिंदगी के इन 20 सालों के भूलने के समान था। क्युकी वो उसके बचपन की दोस्त थी।
उसी ने तो सिखाया था अर्नेब को क्लास में आगे बैठना । यहाँ तक की उसे अर्नेब की पसंद और ना पसंद सब पता था। अर्नेब के बचपन से लेकर इस इंजीनियरिंग में आने तक के हर संघर्ष और सफलता में अवंतिका उसके साथ थी। पता नही क्यों लड़कियां नही तलाशपाती अपने बेस्ट फ्रेंड मे वो शक्स जो उनकी जिंदगी में रंग भरता है। क्यों वो अपना लेती हैं। ऐसे शक्स को जो उन्हे प्रेम से कोसो दूर रखता है। और यातनाएं देता है। जिसे ना उसकी पसंद का ख्याल रहता ही ना उसका, मैं यह नही कह सकता की हर लड़की के साथ ऐसा होता है। या हर लड़का ऐसा करता है। पर जो भी करता है आखिर वो क्यों करता है क्यों दब जाते है? धर्म और जाति के नीचे दो प्रेम करने वाले, क्यों जातियाँ इंसानियत से उपर हो जाती है। क्यों एक पिता सामाजिक मजबूरी में आकर बचपन मे जिस बेटी के सपनो को पूरा करने की सौगंध खाता एक उस बेटी और उसके सपनो की हत्या कर देता है । क्यों नही समझते माँ बाप कि समाज से जरूरी उनके पुत्र पुत्री और उनके सपने है। 
और क्यों नही समझते वो बच्चे भी जो आकर्षण को प्रेम की परिभाषा दे देते हैं क्यों नही समझते ये बच्चे कि किसी  की मांग भर उसके साथ सात फेरे लेना ही शादी नही होती ,शादी होती है उन सात फेरों के वक्त लिए सात वचनो को निभाना, पर होता क्या है? प्रेम और जाति, समाज के युद्ध मे प्रेम हर जाता है। प्रेम  हर जाता है  तलाक के समय, किसी बच्चे के द्वारा माँ बाप को घर से निकालते समय, जीतता है समाज और इसकी जातियाँ..... 
.... #जलज कुमार अर्नेब ने कॉल उठाया और हम लोग बात सुनने उसके पीछे चले गए। आज ये पहली बार था जब अर्नेब ने हमें मना नही किया था। या हमे गाली देकर भगाया नही था

KP EDUCATION HD

कई धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है. वनवास के बाद जब भगवान रामचंद्र अयोध्या लौटे थे, तब भी नगरवासियों ने घरों के बाहर दीपक जलाए थे. द #Quotes

read more
KP TAILOR HD video recording

©KP TAILOR HD कई धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है. वनवास के बाद जब भगवान रामचंद्र अयोध्या लौटे थे, तब भी नगरवासियों ने घरों के बाहर दीपक जलाए थे. द

शशांक गौतम

#yqbaba #yqdidi दिन है शनिवार 14 सितंबर, रोज़मर्रा के कामकाज में व्यस्त हरेक जीवित व्यक्ति ! शायद अंजान है, 130 करोड़ हिंदुस्तानियों की मातृभ

read more
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ! #yqbaba #yqdidi

दिन है शनिवार 14 सितंबर,
रोज़मर्रा के कामकाज में व्यस्त हरेक जीवित व्यक्ति !
शायद अंजान है, 130 करोड़ हिंदुस्तानियों की मातृभ

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏श्री श्री 1008 सतगुरु श्री बावा लाल दयाल महाराज जी का 667वां जन्मोत्सव :-💐🎂🍨🍎🚩 विक्रमी सम्वत 1412 सन 1356 माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पि #समाज

read more
🙏श्री श्री 1008 सतगुरु श्री बावा लाल दयाल महाराज जी का 667वां जन्मोत्सव :-💐🎂🍨🍎🚩

विक्रमी सम्वत 1412 सन 1356 माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पिता भोला राम कुलीन क्षत्री और माता कृष्ण देवी जी के घर बावा लाल दयाल जी ने जन्म लिया। आठ वर्ष की आयु में ही धर्म ग्रंथ पढ़ डाले। पिता जी ने उन्हें अपनी गाय और भैंस चराने के लिए जंगल में भेजा। नदी किनारे एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे। इतने में साधुओं का एक झुंड उधर आ निकला और उनके प्रमुख संत ने देखा कि कड़कती धूप में भी वृक्ष की छाया में कोई अंतर नहीं पड़ा जबकि दूसरे वृक्षों की छाया अपने स्थान से दूर हो गई है। उनके और निकट आने पर उन्होंने देखा कि बालक के सिर पर शेष नाग ने छाया कर रखी है, इतने में बालक ने उठ कर बड़े महात्मा जी को प्रणाम किया जिनका नाम चैतन्य स्वामी था। उन्होंने बावा लाल को कहा कि बेटा “हरिओम तत सत ब्रह्म सच्चिदानंद कहो’ और भक्ति में हर समय मग्न रहो।

इतने में एक शिष्य ने कहा कि सबको भूख सता रही है। इस पर स्वामी चैतन्य जी ने कुछ चावल ले कर मिट्टी के बर्तन में डाले और अपने पांवों का चूल्हा बना कर योग अग्नि से उन्हें पकाया। पल भर में चावल बन गए और सबने खाए। बाद में हांडी को फोड़ दिया और तीन दाने बावा लाल दयाल  को भी दिए जिससे उनकी अंतदृष्टि खुल गई और घर आकर माता-पिता से स्वामी चैतन्य जी को अपना गुरु बनाने की अनुमति लेकर उनकी मंडली में शामिल हो गए।

कुछ समय उन्हें अपने साथ रखने के बाद उन्होंने बावा लाल जी को स्वतंत्र रूप से भ्रमण की आज्ञा दे दी और उन्होंने धर्म प्रचार जोर-शोर से शुरू कर दिया जिससे दिल्ली, नेपाल, यू.पी.सी.पी. पंजाब में आपके प्रति लोगों का श्रद्धा भाव बढ़ा, इतना ही नहीं काबुल के बहुत से पठानों ने अपना गुरु माना है। सिंध में भी बहुत से मुसलमानों ने उन्हें अपना पीर माना है और उन्होंने उनकी कब्र भी बना रखी है।

बावा लाल जी लाहौर से हरिद्वार पहुंचे। गंगा किनारे हिमालय में कई वर्षों तक रह कर तपस्या करने के पश्चात वह गांव सहारनपुर आ गए और उन्होंने गांव के उत्तर की ओर एक गुफा में तप करना प्रारंभ कर दिया। एक बार वह जंगल में घूम रहे थे कि उन्हें प्यास लगी मगर आसपास पानी न होने से एक गाय चराने वाले लड़के से एक बिना बछड़े वाली गाय से ही दूध निकाल कर अपनी प्यास बुझा ली तो इस चमत्कार की खबर सारे क्षेत्र में फैल गई। इनके आश्रम में हिन्दू और मुसलमान आ आकर जब अपनी मनोकामनाएं पूरी करने लगे तो उनके विरोधियों ने सूबेदार खिजर खां के कान भरे कि एक काफिर जादू टोने करके लोगों को गुमराह कर रहा है और भारी तादाद में मुसलमान भी उसके शिष्य बन गए हैं। उनमें एक प्रमुख मुसलमान फकीर हाजी कमल शाह का मकबरा आज भी आश्रम में है।

भारत भर में तमाम वैष्णव पूज्य स्थानों में दरबार ध्यानपुर का विशेष पूज्य स्थान माना जाता है। न केवल हिन्दुओं अपितु अफगानिस्तान के मुसलमान पठानों में भी यह पूर्ण आदर भाव पाता रहा है। अंग्रेज शासकों की कूटनीति के कारण देश के बंटवारे के परिणामस्वरूप आज हिन्दू और मुसलमान आपस में उलझ रहे हैं। आज से 660 वर्ष पूर्व हालांकि वैष्णव हिन्दू संत बावा लाल दयाल जी महाराज तथा अन्य कई महापुरुषों ने लगातार एकता के लिए प्रयत्न जारी रखे जिनमें उस समय के मुस्लिम हुक्मरानों ने भी अपना योगदान दिया है। इसमें विशेष कर ताजमहल के निर्माता मुगल शहंशाह शाहजहां और उसके बड़े बेटे राजकुमार दारा शिकोह पेश रहे। दारा शिकोह ने अपनी पुस्तक हसनत-उल-आरिफिन में लिखा है कि बावा लाल जी एक महान योगी हैं। इनके समान प्रभावशाली और उच्च कोटि का कोई महात्मा हिन्दुओं में मैंने नहीं देखा है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 514 से 525 नाम
514 विनयितासाक्षी प्रजा की विनयिता को साक्षात देखने वाले
515 मुकुन्दः मुक्ति देने वाले हैं
516 अमितविक्रमः जिनका विक्रम (शूरवीरता) अतुलित है
517 अम्भोनिधिः जिनमे अम्भ (देवता) रहते हैं
518 अनन्तात्मा जो देश, काल और वस्तु से अपरिच्छिन्न हैं
519 महोदधिशयः जो महोदधि (समुद्र) में शयन करते हैं
520 अन्तकः भूतों का अंत करने वाले
521 अजः अजन्मा
522 महार्हः मह (पूजा) के योग्य
523 स्वाभाव्यः नित्यसिद्ध होने के कारण स्वभाव से ही उत्पन्न नहीं होते
524 जितामित्रः जिन्होंने शत्रुओं को जीता है
525 प्रमोदनः जो अपने ध्यानमात्र से ध्यानियों को प्रमुदित करते हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏श्री श्री 1008 सतगुरु श्री बावा लाल दयाल महाराज जी का 667वां जन्मोत्सव :-💐🎂🍨🍎🚩

विक्रमी सम्वत 1412 सन 1356 माघ शुक्ला द्वितीया सोमवार को पि
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile