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Ek villain
देश की राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन में सरकारी मुकदमे बड़े-बड़े कामों को प्राथमिक देकर अक्सर अपेक्षाकृत कम रहता वाले मसलों को दरकिनार ही रखते हैं कईलू 10 जून में बंदरों का उत्पात ऐसा ही छोटे मिजाज विभाग दूर बड़े ही मां के पुराने से निपटने को ऐसे में देने लगे साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय ने बंदरों को आने से रोकने के लिए कर्मचारी को हीरा का जारी रखी है वह बच्चे कुछ खाने पीने की वस्तुओं को इधर उधर ना फर्क इतना ही नहीं खत्म होने के उपरांत दोपहर 3:30 से 4:30 तक रखा है एक फार्मूला इसे साउथ ब्लॉक में बंदरों की आवाजाही और उत्पाद में कमी आई दिलचस्पी है कि यह सब सा सचिव अजय कुमार ने साफ सफाई के इस विशेष ध्यान से बंदरों का उत्पात कम होने की जानकारी ना केवल ट्विटर पर साझा की बल्कि इस समस्या से परेशान दूसरे सरकारी महकमों को इससे निपटने के लिए फार्मूला भी दे दिया ©Ek villain #बंदरों का उत्पात #adventure
atrisheartfeelings
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम॥ सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥ तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥ तामस तनु कछु साधन नाहीं। प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥ अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥ जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा। तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥ सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥ कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥ प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥ #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand #yqbaba #devotional तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन स
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 6 हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:- तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥ विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रामचन्द्रजी की सब कथा विभीषण से कही और अपना नाम बताया। प्रभु राम के नाम स्मरण से, दोनों के मन आनंदित हो जाते है:- परस्पर की बाते सुनते ही दोनों के शरीर रोमांचित हो गएऔर श्री रामचन्द्रजी का स्मरण आ जाने से दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम विभीषण हनुमानजी को अपनी स्थिति बताते है:- सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥ तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥ विभीषण कहते है की – हे हनुमानजी! हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो। जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है,ऐसे हम इन राक्षसोंके बिच में रहते है॥ हे तात! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ), मुझको अनाथ जानकर कभी कृपा करेंगे? बिना भगवान् की कृपा के सत्पुरुषों का संग नहीं मिलता:- तामस तनु कछु साधन नाहीं। प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥ अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥ जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं।क्योंकि मेरा शरीर तो तमोगुणी राक्षस है,और न कोई प्रभुके चरण कमलों में मेरे मन की प्रीति है॥ परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बात का पक्का भरोसा हो गया है कि, भगवान मुझ पर अवश्य कृपा करेंगे।क्योंकि भगवान की कृपा बिना सत्पुरुषों का मिलाप नहीं होता॥ हनुमानजी द्वारा प्रभु श्री राम के गुणों का वर्णन:- प्रभु श्री राम भक्तों पर सदा दया करते है जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा। तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥ सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥ रामचन्द्रजी ने मुझ पर कृपा की है इसी से आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥ विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि, हे विभीषण! सुनो,प्रभु की यह रीती ही है की वे सेवक पर सदा परमप्रीति किया करते है॥ हनुमानजी कहते है, श्री राम ने वानरों पर भी कृपा की है:- कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥ प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥ हनुमानजी कहते है की कहो मै कौन सा कुलीन पुरुष हूँ।हमारी जाति देखो (चंचल वानर की),जो महाचंचल और सब प्रकार से हीन गिनी जाती है॥ जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे,तो उसे उस दिन खाने को भोजन नहीं मिलता॥ शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः। शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये। शनि देव का एकाक्षरी मंत्र- ऊँ शं शनैश्चाराय नमः। शनि देव जी का गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्। विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 255 से 265 नाम 255 सिद्धिसाधनः सिद्धि के साधक 256 वृषाही जिनमे वृष(धर्म) जोकि अहः (दिन) है वो स्थित है 257 वृषभः जो भक्तों के लिए इच्छित वस्तुओं की वर्षा करते हैं 258 विष्णुः सब और व्याप्त रहने वाले 259 वृषपर्वा धर्म की तरफ जाने वाली सीढ़ी 260 वृषोदरः जिनका उदर मानो प्रजा की वर्षा करता है 261 वर्धनः बढ़ाने और पालना करने वाले 262 वर्धमानः जो प्रपंचरूप से बढ़ते हैं 263 विविक्तः बढ़ते हुए भी पृथक ही रहते हैं 264 श्रुतिसागरः जिनमे समुद्र के सामान श्रुतियाँ रखी हुई हैं 265 सुभुजः जिनकी जगत की रक्षा करने वाली भुजाएं अति सुन्दर हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 6 हनुमानजी विभीषण को श्री राम कथा सुनाते है:- तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम। सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्रा
manjeet
बहुत खुशनुमा मंज़र होता है जब बहारों का दरिया होता है। पेड़ों को अफसोस नहीं पतझड़ के आने का, पतझड़ ही तो बहार आने का जरिया होता है। ©manjeet बहारों का दरिया
Ankit Yadav
उसने पूछा मुझसे इश्क़ करते हो ? मैंने भी बोला इन बारिश केे बूंदों जैसा! फिर बोली बेवफा हो बरस जाओगे, मैंने बोला कभी नदियो से पूछ इन बूंदों का इश्क़ आसमा छूने के बाद भी नदियो से जा मिलते हैं!! #बूंदों का इश्क़
Death_Lover
"हिमांश" खंजर के इस दौर में तुम्हारे हाथ खाली क्यों हैं..!!! एक खंज़र तुम भी ले लो कम-से-कम अपनी ख्वाहिश के पीठ पर काम आएगा ॥ खंजरों का दौर..!!!
Yogita Harne
बारिश की बूंदे जब चेहरे को छुती है वो आंखो के आंसू को वैसे ही छिपाती है जैसे मेरी मुस्कुराहट हर तकलीफ पर पर्दा डाल देती है बूंदों का पर्दा
Sunil Porwal
हवा ने कर दिया पागल, उसी के गम में आँसू बहा रहा आवारा बादल!! - सुनील पोरवाल "शेलु" ##बादलों का आवारापन##
रमता जोगी.
मैं वक़्त के उस किनारे पर खड़ी हूं, जहां से मुझे तुम तक पहुंचने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता... और ये आग का दरिया नहीं बंदिशों का सागर है डूब कर उस पार जाने की भी सोचू तो भी अपने रूठने लगते है... # बंदिशों का सागर...