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Peeyush Bajpai

जुस्तजू की न इज़ाज़त दीजिये न इज़ाज़त लीजिये..
बंदिशों के इस मौसम में घर पर रहिये सुरक्षित रहिये..
~पीयूष रंजन बाजपेयी 'नमो' #prb #namo #पृथक्करण
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Rjt

चलिए...
#प्रारंभ करते हैं #अंत से, #पृथक्करण से, #दर्द से 

साथ देंगे न मेरा? अभी नया हूँ यहाँ, पर विश्वास मानिए अनुभव बहुत है दर्द का...
#B

चलिए... #प्रारंभ करते हैं #अंत से, #पृथक्करण से, #दर्द से साथ देंगे न मेरा? अभी नया हूँ यहाँ, पर विश्वास मानिए अनुभव बहुत है दर्द का... B #कविता #separations #breakups #Rjt #रजत

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Shaarang Deepak

ShrimadBhagwadGeeta Chapter (01) Shlok (18) || श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानार्जन श्रृंखला अध्याय (01) श्लोक (18) 

Namaskar.
This verse/ shlok is

ShrimadBhagwadGeeta Chapter (01) Shlok (18) || श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानार्जन श्रृंखला अध्याय (01) श्लोक (18) Namaskar. This verse/ shlok is #Krishna #Bhagwan #समाज #geeta #lordkrishna #geetagyan #GeetaSaar #BhagwadGeetaChapterwise

27 Views

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साहस

         दिव्कर्म संस्था
         """"""""""""
भाव ताव बाद में कर लेते है,जो कर्मनिष्ठा को हास्य कहते हैं।
कर्मशीलता को सर्वोपरि कह परंपराओं को व्यंग कहते है। वो सती प्रथा की नारी थी ।आज की नारी सबके जैसे आम है ।वो दोस्त है।वो बहन है।वो माँ है । वो जीवनसाथी है।उसकी पहचान  पिता ,भाई, पति जैसे अपनी

वो सती प्रथा की नारी थी ।आज की नारी सबके जैसे आम है ।वो दोस्त है।वो बहन है।वो माँ है । वो जीवनसाथी है।उसकी पहचान पिता ,भाई, पति जैसे अपनी #YourQuoteAndMine

0 Love

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Divyanshu Pathak

व्यक्ति के शरीर में पिछली
सात पीढियों तक का अंश होता है
जो उसके व्यक्तित्व में परिलक्षित होता है।
व्यक्ति के मार्ग में ज्यों-ज्यों निमित्त आते हैं
वे इन संस्कारों से जुड़ते जाते हैं।
कुछ संस्कार पलते जाते हैं
कुछ छूटते जाते हैं।
उनकी छाप व्यक्ति के अवचेतन मन पर
अंकित होती रहती है।
फिर, समान प्रकृति का निमित्त आते ही
पिछली स्मृति उसका व्यवहार याद करा देती है
पिछले अनुभवों के आधार पर वह
अगला व्यवहार करता चला जाता है। 💕👨🍧🍨🍧🍨💕🍫🍫🍫💕💕☕☕☕👨
:🍧🍨🍫☕👨💕
माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता

💕👨🍧🍨🍧🍨💕🍫🍫🍫💕💕☕☕☕👨 :🍧🍨🍫☕👨💕 माता-पिता, मित्र-परिजन और समाज के बीच रहकर व्यक्ति का एक नया व्यक्तित्व तैयार हो जाता है। वह सदा इस बोझ से दबा रहता

0 Love

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Amar Anand

गौ-महिमा
नीचे कैप्शन में... .                              "गो-महिमा"

          एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् क

. "गो-महिमा" एक बार नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा- नाथ! आपने बताया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति भगवान् क

2 Love

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रितिक पंचौली

पथिक पथ से जितना पृथक है
श्वास लैते उतने मृतक है। पृथक
मृतक

पृथक मृतक

10 Love

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जीtendra

मुझे लगता है, 
नियति से मेरा 
कोई सदियों पुराना विवाद है,
जब भी मुझे लगता है 
कि कोई मेरे साथ है, 
और वह मेरा साथ हमेशा देगा,
तब तब नियति 
कुछ ऐसा गठजोड़ करती है
कि उस शख्स को 
मुझसे पृथक करने का
प्रयास करती है, 
फ़िर चाहे वो शख्स 
किसी भी रूप में 
मुझसे जुड़ा हुआ हो...
😭😭😭 #शख्स #पृथक
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Anil Siwach

|| श्री हरि: || 22 - नाम बताओ 'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई न

|| श्री हरि: || 22 - नाम बताओ 'अरे, कौन है? छोड़ भी।' आज तनिक भद्र सखाओं से हटकर तमाल तरु के मूल में आ बैठा था। तमाल की ओट से आकर कन्हाई न

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Anamika


 प्रवाह का नहीं,पृथक होने का है..
 पास आने का नहीं , ड़र खोने का है .. #प्रवाह#पृथक#मित्र
#समय_चक्र 
#दोस्ती_यारी
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Alok tripathi

ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है
इच्छा क्यों पूरी हो मन की,
एक दूसरे से न मिल सके
यह विडम्बना है जीवन की।।
                              प्रसाद

©Alok tripathi इच्छा क्रिया और ज्ञान का पृथक-पृथक अस्तित्व प्रदर्शित कर समरसता और समन्वय के सेतुका अवलम्बन किया है प्रसाद जी ने।
#Star

इच्छा क्रिया और ज्ञान का पृथक-पृथक अस्तित्व प्रदर्शित कर समरसता और समन्वय के सेतुका अवलम्बन किया है प्रसाद जी ने। #Star #कविता

4 Love

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vishnu prabhakar singh

"हम होंगे कामयाब"

एक घर में एक आदमी पोजेटिव रहिये,
चेन तोडना है,चैन खोना नहीं।।
संपर्क खत्म अर्थात संपर्क खत्म,
कानून प्रधान है।।
नागरिक संहिता,
पालन करवाने हेतु सरकार बाध्य।।
लोकतंत्र पर सरकार भारी,
जनता कर्फ्यू की अपार सफलता क्षणिक।।
युद्ध में देश को हमारी जरूरत होती है,
हमने हमेशा साथ दिया है।। यह युद्ध से पृथक कैसे?


#विप्रणु #modi #yqdidi #yqbaba #musings #miscellaneous #indianpeople

यह युद्ध से पृथक कैसे? #विप्रणु #Modi #yqdidi #yqbaba #musings #miscellaneous #indianpeople

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Poetry दिल से..!

पथ पृथक हो गया संग चलोगे नही..?
#NojotoHindi
#poetry
#love
#गज़ल
#कविता
#शायरी

पथ पृथक हो गया संग चलोगे नही..? Hindi #Poetry #Love #गज़ल #कविता #शायरी #nojotohindi

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Aprasil mishra

" हम और अहमियत "
 """हम और अहमियत """

                      हमारी निरस स्थितप्रज्ञता हमारी परिस्थितिमूलक साधना का प्रवर परिणाम है, हमसे एकांश सरसता की प्राप्

"""हम और अहमियत """ हमारी निरस स्थितप्रज्ञता हमारी परिस्थितिमूलक साधना का प्रवर परिणाम है, हमसे एकांश सरसता की प्राप् #Identity #Friendship #yqhindi #selfishness #Ideology #aone

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Amar Anand

काशी अविनाशी है !!!
विशेष नीचे कैप्शन में... काशी तो काशी है, काशी अविनाशी है!!!!!!

पंचकोशी काशी का अविमुक्त क्षेत्र ज्योतिर्लिंग स्वरूप स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं । ब्रह्माजी ने भगवान क

काशी तो काशी है, काशी अविनाशी है!!!!!! पंचकोशी काशी का अविमुक्त क्षेत्र ज्योतिर्लिंग स्वरूप स्वयं भगवान विश्वनाथ हैं । ब्रह्माजी ने भगवान क

3 Love

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VATSA

इन चीखते अंधेरों से कहां वाक़िफ़ थे हम
उस सहर जब जागे तो मुख़्तलिफ़ थे हम #अंधेरा #dsvatsa #vatsa #illiteratepoet #hindiquotes #hindishayari #yqbaba
सहर - प्रभात (early morning)
मुख़्तलिफ़ - पृथक , जुदा (different

#अंधेरा #dsvatsa #vatsa #illiteratepoet #hindiquotes #hindishayari #yqbaba सहर - प्रभात (early morning) मुख़्तलिफ़ - पृथक , जुदा (different

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अनमोल सिंह "निरंजन"

"पृथक"
 बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हैं,
बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आंखे।।

©अनमोल सिंह "निरंजन" बेवफा "पृथक" 
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हैं,बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आंखे।।

#Remember

बेवफा "पृथक" बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होते हैं,बारिश में जिस्म भीगता है और मोहब्बत में आंखे।। #Remember

13 Love

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Sarita Shreyasi

तुमसे मेरी पहचान नहीं हैं,
तुमसे पृथक भी विस्तार है,
जहाँ मैं असीम हूँ, अपूर्व हूँ,
अशेष हूँ, अद्वितीय और पूर्ण हूँ। तुमसे मेरी पहचान नहीं हैं,
तुमसे पृथक भी विस्तार है,
जहाँ मैं असीम हूँ, अपूर्व हूँ,
अशेष हूँ, अद्वितीय और पूर्ण हूँ।
#yqdidi#yqbaba#woman#hi

तुमसे मेरी पहचान नहीं हैं, तुमसे पृथक भी विस्तार है, जहाँ मैं असीम हूँ, अपूर्व हूँ, अशेष हूँ, अद्वितीय और पूर्ण हूँ। #yqdidi#yqbaba#Womanhi #Hindi

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vishnu prabhakar singh

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं
एक दूसरे के पूरक
आधार के लोट पर
उछाले और परखे जाते हैं
हर पहलू उत्तर देता है
पूरकता के साथ
हर सिक्का 
खनकता है
लोक के कान के लिए! पृथक लोक करता है।


सुप्रभात।
हर सिक्के  के दो पहलू होते हैं। 
किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले इस बात का ध्यान ज़रूरी है।
#सिक्केकेदोपहलू #y

पृथक लोक करता है। सुप्रभात। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले इस बात का ध्यान ज़रूरी है। #सिक्केकेदोपहलू y #diary #yqdidi #YourQuoteAndMine #विप्रणु

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्त

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 13 - हृदय परिवर्तन 'मैडम! यह मेरा उपहार है - एक हिंसक डाकू का उपहार!' मैडम ने आगन्त

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prajjval

भारत माता की इज्जत को ऐसे ना नीलाम करो। देश को उज्ज्वलता के पथ पर ले जाने के काम करो हिन्दू मुस्लिम कई वर्ग के लोग यँहा पे रहते हैं। पृथक प #Poetry

भारत माता की इज्जत को ऐसे ना नीलाम करो। देश को उज्ज्वलता के पथ पर ले जाने के काम करो हिन्दू मुस्लिम कई वर्ग के लोग यँहा पे रहते हैं। पृथक प #Poetry

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विनय राज वर्मा

तुम्हारी सुंदरता से पृथक की मैंने तुम्हारी जटिलता..
तुम्हारे शब्दों से तुम्हारा मौन,
हँसी से तुम्हारी गहराई, 
और हृदय की रिक्तता से तुम्हारी गहनता को..

मैंने अपने पास रख ली है 
तुम्हारी जटिलता, 
तुम्हारा मौन, 
तुम्हारी गहराई और गहनता...

मुझे प्रेम इन्हीं से तो था..


#काफ़िर तुम्हारी सुंदरता से पृथक की मैंने तुम्हारी जटिलता..
तुम्हारे शब्दों से तुम्हारा मौन,
हँसी से तुम्हारी गहराई, 
और हृदय की रिक्तता से तुम्हारी

तुम्हारी सुंदरता से पृथक की मैंने तुम्हारी जटिलता.. तुम्हारे शब्दों से तुम्हारा मौन, हँसी से तुम्हारी गहराई, और हृदय की रिक्तता से तुम्हारी #काफ़िर

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Divyanshu Pathak

28 सितंबर 1905 को कलकत्ता के प्रसिद्ध कालीघाट मन्दिर में पचास हजार से भी अधिक लोग इकट्ठा हुए और वहाँ विराट पूजा करने के बाद मन्दिर के ब्राह्मण (पुरोहितों) ने आह्वान किया कि- "सब देवताओं से पहले मातृभूमि की पूजा करो,संकीर्ण मानसिकता और धार्मिक मतभेद के साथ कटुता और स्वार्थपरता को छोड़ कर मातृभूमि की सेवा करने की सौगंध लो।उसके कष्टों को दूर करने में अपना जीवन लगा दो। 19 जुलाई 1905 ई. को बंगाल को दो भागों में बांटने की योजना बनाकर हिन्दू और मुस्लिम वर्ग को पृथक कर दिया तब तत्कालीन गृहसचिव 'रिसले' लिखता है

19 जुलाई 1905 ई. को बंगाल को दो भागों में बांटने की योजना बनाकर हिन्दू और मुस्लिम वर्ग को पृथक कर दिया तब तत्कालीन गृहसचिव 'रिसले' लिखता है #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण

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Author Munesh sharma 'Nirjhara'

'लता' हूँ मैं
काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी
प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी
बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा
नई जड़ें में जमा ही लूँगी
छायी रहूँगी प्रेम-घन सी
आलिंगन में समेटे रहूँगी
भूल जाओगे अपना पृथक अस्तित्व
मैं यूँ तुम्हें नेह-रस सिंचित करूँगी..!
🌹 'लता' हूँ मैं
काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी
प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी
बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा
नई जड़ें में जमा ही लूँगी
छायी रहूँगी प्रेम-घ

'लता' हूँ मैं काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा नई जड़ें में जमा ही लूँगी छायी रहूँगी प्रेम-घ #प्रेम_रचना #mनिर्झरा #योरकोट_हिंदी #योरकोटबेस्टकॉट्स #प्रेमलता

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Parul Sharma

मेरे भोले हैं पर्वती के मन में और 
पार्वती हैं शिव के अंतरमन में
मिलना बिछड़ना रूठना मनाना
ये भी जीये है ऐसे छड़ में
माना परम् पिता माता है
पर हम जैसी ही भावनायें
रखते हैं ये अपने जीवन में
हम जैसे ही है महसूस करो इन्हें
क्यों कि ईश्वर तो है अपने अंतरमन में
जब हम माता पिता को माने ईश्वर
तो क्यों ना परम् पिता माता को
रखे अपनी माता पिता वाली नज़र में
देखो ये हम जैसे ही है 
आकार शरीर का दिल भी है अपने जैसा
हमसे पृथक ठोड़ ही ना है
और  ना हम इनसे पृथक है
एक वार ना देखो इन्हें भगवान की दृष्टी से
देखो इन्हें माता पिता या सखा की दृष्टी से
या फिर जिसकी कमी है तुम्हारे जीवन में
क्योंकि ये हम से पृथक नहीं है
कुछ तो ये हम जैसे ही है
क्योंकि इनका कुछ अंश है हम सबके शरीर में
उस अंश को पहचानो 
और उतार लो अपने जीवन में
तब देखोगे तुम 
कुछ अंतर रहा नहीं ईश्वर में हम में
मेरे भोले है सबके मन में
पार्वती मैया भोले के मन में
भोले है के अंतरमन में
  पारुल शर्मा मेरे भोले हैं पर्वती के मन में और 
पार्वती हैं शिव के अंतरमन में
मिलना बिछड़ना रूठना मनाना
ये भी जीये है ऐसे छड़ में
माना परम् पिता माता है

मेरे भोले हैं पर्वती के मन में और पार्वती हैं शिव के अंतरमन में मिलना बिछड़ना रूठना मनाना ये भी जीये है ऐसे छड़ में माना परम् पिता माता है

16 Love

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Anup Ranjan

 अलग  अलग  नहीं  दिखे,  अलग  कहो  कहाँ  हुए !
प्रेम  की    रेखा-गणित    में   कृष्ण ,  राधिका   हुए !

द्रौपदी के साथ जो हैं द्वारिका के कृष्

अलग अलग नहीं दिखे, अलग कहो कहाँ हुए ! प्रेम की रेखा-गणित में कृष्ण , राधिका हुए ! द्रौपदी के साथ जो हैं द्वारिका के कृष् #nojotophoto

8 Love

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Shruti Gupta

प्रेम विलासी , एक अभागिन,
प्रीत निलय के तरंग में,
प्रेम तपस्या काल में ठहरी,
प्रेम अगन को क्यू हु घेरी?
अनंत काल की विरह सी बाट है,
तू कहा, कैसी ये पाहेली!

(पूरी कविता केप्शन में पढ़े) ~तेरी प्रियसी!~

पूरी कविता:-

प्रेम विलासी , एक अभागिन,
प्रीत निलय के तरंग में,
प्रेम तपस्या काल में ठहरी,
प्रेम अगन को क्यों हूं घेरी?

~तेरी प्रियसी!~ पूरी कविता:- प्रेम विलासी , एक अभागिन, प्रीत निलय के तरंग में, प्रेम तपस्या काल में ठहरी, प्रेम अगन को क्यों हूं घेरी? #yqbaba #yqdidi #shruti #Fantasies #bestyqhindiquotes #a_u #distance_bar

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