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Shailendra CK Pal
रस्ता और गाँव ऐ दासतां हैं मेरे गांव की नीम ,पीपल, बरगद और महुआ के छांव की कुछ अंधेरा कहीं उजाला कहीं टिमटिमाते तारे कहीं दियां,कहीं हाथबत्ती,कहीं बल्ब के सहारे किसान जहाँ खेती करता, वहीं फौजी करता रक्षा एक संयंत्र एवं संसाधन बनाता करता दोनों की सुरक्षा ऐ गालियां ऐ चौबारा यहीं होती मेरी राते यहीं होता सबेरा यहीं हैं मन्दिर, यहीं हैं मस्जिद,चर्च यहीं हैं गुरुद्वारा हिंदी हिन्दू ,मुश्लिम ,सिक्ख और ईसाई प्रेम, मिलन और भाईचारे करते हैं दुहाई रास्ता और गांव
R.A. Gujjar
सुना है .. खरीद लिया उसने करोड़ों का घर शहर में .. मगर आंगन दिखाने आज भी वो बच्चो को गांव लाता है …वो ही स R.A. Gujjar ©Civil hospital Narnaul शहर और गांव
J P Lodhi.
रस्ता और गाँव प्रकृति की गोद में बसा मेरा गांव, हरे भरे पेड़ो, बाग बगीचों से भरा। कोयल कुहके बुलबुल गाए, मैना मीठा गीत सुनाए। याद आती है आज भी मेरे गांव की, गांव के कच्चे और पग डंडी रास्ते। रस्ता और गांव मेरी आंखो में बसता, वो गांव के हरे खेत और खलिहान। खेले कूदे बचपन बीता गलियों में, संगी साथी सब रहते है गांव में। यादे बसी है मन मस्तिष्क में, बहुत याद आता गांव और रास्ते। रस्ता और गांव
Shailendra CK Pal
रस्ता और गाँव ऐ दासतां हैं मेरे गांव की नीम ,पीपल, बरगद और महुआ के छांव की कुछ अंधेरा कहीं उजाला कहीं टिमटिमाते तारे कहीं दियां,कहीं हाथबत्ती,कहीं बल्ब के सहारे किसान जहाँ खेती करता, वहीं फौजी करता रक्षा एक संयंत्र एवं संसाधन बनाता करता दोनों की सुरक्षा ऐ गालियां ऐ चौबारा यहीं होती मेरी राते यहीं होता सबेरा यहीं हैं मन्दिर, यहीं हैं मस्जिद,चर्च यहीं हैं गुरुद्वारा हिंदी हिन्दू ,मुश्लिम ,सिक्ख और ईसाई प्रेम, मिलन और भाईचारे करते हैं दुहाई रास्ता और गांव
Anurag Mishra
शहर और गांव में कुछ अलग नहीं है फर्क इतना होता है कि किसान अपने बच्चों को पढ़ने के लिए ऐसी जगह भेजते हैं जहाँ उनके बेटे का भविष्य सुधार जाऐ पर कुछ लोग वही रह जाते हैं जिसे शहर कहते हैं ©Anurag Mishra #शहर और गांव#भविष्य#दुकान#
Rangoli Jain
दिन हो जाता रात को थक कर इतना चूर, कर लेता है रात की सब शर्ते मंजूर। फूल कली पत्ते सभी मिलकर नाचे साथ, जब बसंत ने रख दिया उनके से पर हाथ। हम अपनी दीवार में इतनी रखे दरार, आसानी से कर सके रिश्ते इसको पार।। आज हवा के साथ में घूम रही थी आग, वरना यूं जलता नहीं बस्ती का अनुराग।। आई उनके पेड़ की मेरे घर में छांव, तो उसने कतवा दिए बेचारी के पांव।। बढ़ते हैं जिस ओर भी निगल रहे है गांव, कोई तो रोको जरा इन शहरों के पांव।। ©Rangoli Jain #शहर और गांव #follow and share
shiv tomer
रस्ता और गाँव आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां चबूतरे पर बैठे लोग देख रहे है राह अपनो की जो आ गए थे शहर कभी कमाने,मगर लौटे नहीं आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां थे कभी घर रोशन चहचहाती थी गालियां मकान आज भी है वहां मगर अब रौनक नहीं बसती #रास्ता और गांव
Devkaran Gandas
रस्ता और गाँव वो रस्ता जहां धूल उड़ा करती है पशुओं के आने जाने से । वो रस्ता जहां आज भी लोग रोक लेते हैं आते जाते को बातों के बहाने और मिल बैठकर पीते हैं चाय । वो रास्ता जहां आज भी पनिहारी जाती है पनघट का पानी लाने । वो रस्ता मेरे गांव जाता है । ................✍️देवकरण #रस्ता और गांव