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vasundhara pandey

नव संवत्सरं शुभं भवेत्। प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में 
श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप

प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप

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SURAJ आफताबी

घूँघट ने सिखाये सलीके दरबानी के 
जब तरस गये दीदा इक अद्भुत शशि झलक को
क्यों बीत रहा इक अपूर्व मन्वंतर दो नजरों मध्य
क्यों हो रहा दर-ब-दर इक चाँद अपने फलक को !

पुष्प सरीखा आनन; छिपाये बैठा है बैरी चिलमन
कब ये हृदय महसूस करेगा उस चितवन धड़क को
क्यों लड़खडा रही इक तान बाँसुरी व श्रवण मध्य
क्यों स्वरों की व्यंजना व्यक्त कर रही आँखों की कसक को!! मन्वन्तर- युग, काल
#love #lovequotes #poetry #veil #yqdidi #yqbaba #life #surajaaftabi

मन्वन्तर- युग, काल love #lovequotes poetry #Veil #yqdidi #yqbaba life #surajaaftabi

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Divyanshu Pathak

वेद प्रमाण है
आयुष का
आयु का
प्रकृति के
हर पर्ण
झाड़ जड़
कंटक फल
बेरी आक 
धतूरा 
बनाया है 
औषधि 
जी सकें 
तीन सौ
बरस ।
  गिलोय जब नीम से आत्मसात हुई अमृत हो गई 💞💞

Thank you Vishnu Prasad, SANDEEP SEN,  &  Ashish Kumar Rai 
Writing ko yaad kiya🙏💞💞💞🤩🤩


#yqbaba

गिलोय जब नीम से आत्मसात हुई अमृत हो गई 💞💞 Thank you Vishnu Prasad, SANDEEP SEN, & Ashish Kumar Rai Writing ko yaad kiya🙏💞💞💞🤩🤩 #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #ruvadhana

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कुछ लम्हें ज़िन्दगी के

घुला- मिला नहीं कभी तेज़दस्त लोगों से
सुनो जलेबी में चाशनी सा पैवस्त नहीं हूँ मैं । 

      तेज़दस्त-चालाक , पैवस्त- समाया हुआ
©️✍️  सतिन्दर घुला- मिला नहीं कभी तेज़दस्त लोगों से
सुनो जलेबी में चाशनी सा पैवस्त नहीं हूँ मैं । 

      तेज़दस्त-चालाक , पैवस्त- समाया हुआ
©️✍️  सतिन्दर

घुला- मिला नहीं कभी तेज़दस्त लोगों से सुनो जलेबी में चाशनी सा पैवस्त नहीं हूँ मैं । तेज़दस्त-चालाक , पैवस्त- समाया हुआ ©️✍️ सतिन्दर #Poetry #Shayari #नज़्म #गज़ल #shyari #satinder #gazhal #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #रेख़्ता

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Naresh Chandra

कृपया हिन्दुओं कि इतिहास कैप्सन मे पढे 🙏🙏 मित्रों..!!🙏🌿
अगर आपको पढ़ने मे दिलचस्पी और हमारा हिन्दू इतिहास जानने की जिज्ञासा है तो... 
आइये पढ़ते है... हिंदुओं का इतिहास..🌿❤️

विज्ञान क

मित्रों..!!🙏🌿 अगर आपको पढ़ने मे दिलचस्पी और हमारा हिन्दू इतिहास जानने की जिज्ञासा है तो... आइये पढ़ते है... हिंदुओं का इतिहास..🌿❤️ विज्ञान क #महत् #ब्रह्म #हिरण्य #पद्म #वराह #वैवस्वत_मनु

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Poet Shivam Singh Sisodiya

अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः |
स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः ||
धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् |

(श्रीमद् भागवत महापुराण ८. ८. ३४/३५)

उनके हाथों में कंगन और अमृत से भरा हुआ कलश है | वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंशांश अवतार हैं | वे ही आयुर्वेद के प्रवर्त्तक और यज्ञों के भोक्ता धन्वन्तरि के नाम से सुप्रसिद्ध हुए | अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः |
स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः ||
धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् |

(श्रीमद् भागवत महापुरा

अमृतापूर्णकलशं बिभ्रद् वलयभूषितः | स वै भगवतः साक्षात् विष्णोरंशाशसम्भवः || धन्वन्तरिरिति ख्यात आयुर्वेददगिज्यभाक् | (श्रीमद् भागवत महापुरा

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~Bhavi

🍁शुभ रात्रि🍁
🙏जय श्रीकृष्ण जय सोमनाथ🙏
🪷तमैक वैद्यम् शिरसा नमामि🪷
🌸आरोग्य प्रदाता भगवान धन्वंतरि आप 
सभी को उत्तम स्वास्थ्य, निरन्तर सुख व सौख्य
 प्रदान करें ऐसी प्रार्थना। 
धनतेरस एवं धन्वन्तरि जयंती 
पर हार्दिक मंगलकामनाएं🌸

©~Bhavi 🍁शुभ संध्या🍁
🙏जय श्रीकृष्ण जय सोमनाथ🙏
🪷तमैक वैद्यम् शिरसा नमामि🪷
🌸आरोग्य प्रदाता भगवान धन्वंतरि आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य, निरन्तर सुख व सौख

🍁शुभ संध्या🍁 🙏जय श्रीकृष्ण जय सोमनाथ🙏 🪷तमैक वैद्यम् शिरसा नमामि🪷 🌸आरोग्य प्रदाता भगवान धन्वंतरि आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य, निरन्तर सुख व सौख #Knowledge #HappyDhanteras2023

13 Love

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Rakesh Tiwari

मैं कोई दरिया सा 'राकेश' समंदर हो जाना चाहता हूँ
तू पैवस्त कर ले मुझें मैं अब तुम हो जाना चाहता हूँ
🍁राकेश तिवारी🍁 Hello Resties! ❤️ 

पैवस्त-Absorb, Attach, Join

Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 

Highlight and share this b

Hello Resties! ❤️ पैवस्त-Absorb, Attach, Join Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this b #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzpicprompt2834

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Suraj Sinha

तेरे बारे में क्या लिखूं
तुझे सोचूँ तो
ख्वाब बन जाते हो..❤️
तुझे देखूं तो
सपना...
तुझे छू लूँ तो
ख्वाहिश बन जाते हो..🧡
तुझे मांगू तो

तेरे बारे में क्या लिखूं तुझे सोचूँ तो ख्वाब बन जाते हो..❤️ तुझे देखूं तो सपना... तुझे छू लूँ तो ख्वाहिश बन जाते हो..🧡 तुझे मांगू तो

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Suraj Sinha

Life partner तेरे बारे में क्या लिखूं
तुझे सोचूँ तो
ख्वाब बन जाते हो..❤️
तुझे देखूं तो
सपना...
तुझे छू लूँ तो
ख्वाहिश बन जाते हो..🧡
तुझे मांगू तो
मन्न्त...
तुझसे बात करूं तो
आदत बन जाते हो🧡
तुझे पा लूँ तो
जन्न्त ...
और
तेरे बारे में क्या लिखूं
तुझे जी लूँ तो
जिंदगी बन जाते हो....!!❤️ #lifepartner तेरे बारे में क्या लिखूं
तुझे सोचूँ तो
ख्वाब बन जाते हो..❤️
तुझे देखूं तो
सपना...
तुझे छू लूँ तो
ख्वाहिश बन जाते हो..🧡
तुझे मां

#lifepartner तेरे बारे में क्या लिखूं तुझे सोचूँ तो ख्वाब बन जाते हो..❤️ तुझे देखूं तो सपना... तुझे छू लूँ तो ख्वाहिश बन जाते हो..🧡 तुझे मां

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Vikas Sharma Shivaaya'

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है... धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, 

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे...धनतेरस पर सोना-चांदी,आभूषण और बर्तन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जैन आगम में धनतेरस को 'धन्य तेरस' या 'ध्यान तेरस' भी कहते हैं...भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे... तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये,तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था... भगवान धन्वन्तरि चूँकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है...कहीं कहीं लोक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है... इस अवसर पर लोग धनियाँ के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं... दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं...,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है; जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चाँदी के बने बर्तन खरीदते हैं... इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है... सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है...जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है, सुखी है, और वही सबसे धनवान है...,

आखिर में एक ही बात समझ आई की भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं,उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है-लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी, गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं...,
*धनवंतरी* *स्तोत्र* :—🕉💎🪔
ॐ शंख चक्र जलौकां दधिदमृतघटं चारूदोर्मिश्चतुर्मि :  |  
सुक्ष्मस्वच्छातिद्दद्यांशुक परिविलसन्मौलिमं भभोजनेत्रम  ||
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम वंदे धन्वतरि तं निखिलगदवन प्रोंढदावाग्निलीललम  ||

आओ आज धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का स्मरण करें पूजन करें🕉🕉🕉🌹🔱🚩🪔
 *धन्वतरी* *मंत्र* *:* —
 *१* ) *ॐ* नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये | अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय | त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णूरूप | श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नम: ||
,🪔💎🕉🚩
 *२* ) *ॐ* नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये  |  अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय | त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णूरूप |  श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र  नारायणाय नम: ||
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
 
अपनी दुआओं में हमें याद रखें 

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो 
विकास शर्मा'"शिवाया" 
🔱जयपुर -राजस्थान🔱

©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️

🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस हर वर्

✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस हर वर् #समाज

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Rakesh Tiwari

स्मृतियाँ में पिछले वर्ष का इक पन्ना जोड़ आया हूँ
नववर्ष के नए सफर का श्री गणेश कर आया हूँ

अलसाई सी ठिठुरती सुबह में आँखें सेक आया हूँ
नववर्ष की पहली धूप की ओस की बूंदे चख आया हूँ

जिन तक हम न पहुँचे जो न हम तक पहुँच पाये है
उन्हें मन ही मन मे शुभकामनाएं भेज आया हूँ

बहुत मिलते है लोग जमाने मे आगे भी मिलते रहेंगें
जो दिल में पैवस्त हैं उन्हें थपकियाँ दे आया हूँ
🍁राकेश तिवारी🍁 स्मृतियाँ में पिछले वर्ष का इक पन्ना जोड़ आया हूँ
नववर्ष के नए सफर का श्री गणेश कर आया हूँ

अलसाई सी ठिठुरती सुबह में आँखें सेक आया हूँ
नववर्

स्मृतियाँ में पिछले वर्ष का इक पन्ना जोड़ आया हूँ नववर्ष के नए सफर का श्री गणेश कर आया हूँ अलसाई सी ठिठुरती सुबह में आँखें सेक आया हूँ नववर् #hindiwriters #hindiquotes #yqbaba #hindipoetry #hindishayari #yqdidi #happynewyear2022

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कवि मनीष

 भगवान श्री कृष्ण जो कि विष्णु के एक अवतार माने जाते है।उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज भी मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने को प्रेरित क

भगवान श्री कृष्ण जो कि विष्णु के एक अवतार माने जाते है।उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज भी मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने को प्रेरित क #nojotophoto #कविमनीष

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Pawan Rajput @123

#elephant #RIP #Nojoto #Family  Dr Ashish Vats Akash(sky) Aniket Singh  Kavi Rahul Jangir  sheetal pandya मेरे शब्द  Suresh Bishnoi 🌹Adhoori

#elephant #RIP #Family Dr Ashish Vats Akash(sky) Aniket Singh Kavi Rahul Jangir sheetal pandya मेरे शब्द Suresh Bishnoi 🌹Adhoori

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Pawan Rajput @123

#Nojoto #Family #please #Support #me  Akash(sky) Internet Jockey NASAR Smrutirekha Dash Dr Ashish Vats  Varun Kakkar Dr Imran Hassan Barbhui

#Family #please #Support #me Akash(sky) Internet Jockey NASAR Smrutirekha Dash Dr Ashish Vats Varun Kakkar Dr Imran Hassan Barbhui

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Pawan Rajput @123

#HumanityForAll 
 Akash(sky) dr. Naveen Parihar back bench  Sonam jain Jain Anjali NeGi  GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI Devwritesforyou Anshul Seth

#HumanityForAll Akash(sky) dr. Naveen Parihar back bench Sonam jain Jain Anjali NeGi GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI Devwritesforyou Anshul Seth

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
अठारह महापुराणों में 'विष्णु पुराण' का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक माना गया है। संस्कृत विद्वानों की दृष्टि में इसकी भाषा ऊंचे दर्जे की, साहित्यिक, काव्यमय गुणों से सम्पन्न और प्रसादमयी मानी गई है। इस पुराण में भूमण्डल का स्वरूप, ज्योतिष, राजवंशों का इतिहास, कृष्ण चरित्र आदि विषयों को बड़े तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। खण्डन-मण्डन की प्रवृत्ति से यह पुराण मुक्त है। धार्मिक तत्त्वों का सरल और सुबोध शैली में वर्णन किया गया है।

सात हज़ार श्लोक :- इस पुराण में इस समय सात हज़ार श्लोक उपलब्ध हैं। वैसे कई ग्रन्थों में इसकी श्लोक संख्या तेईस हज़ार बताई जाती है। यह पुराण छह भागों में विभक्त है।

प्रह्लाद को गोद में बिठाकर बैठी होलिका पहले भाग में सर्ग अथवा सृष्टि की उत्पत्ति, काल का स्वरूप और ध्रुव, पृथु तथा प्रह्लाद की कथाएं दी गई हैं। दूसरे भाग में लोकों के स्वरूप, पृथ्वी के नौ खण्डों, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष आदि का वर्णन है। तीसरे भाग में मन्वन्तर, वेदों की शाखाओं का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध-विधि आदि का उल्लेख है। चौथे भाग में सूर्य वंश और चन्द्र वंश के राजागण तथा उनकी वंशावलियों का वर्णन है। पांचवें भाग में श्रीकृष्ण चरित्र और उनकी लीलाओं का वर्णन है जबकि छठे भाग में प्रलय तथा मोक्ष का उल्लेख है।

'विष्णु पुराण' में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।

रचनाकार पराशर ऋषि :- इस पुराण के रचनाकार पराशर ऋषि थे। ये महर्षि वसिष्ठ के पौत्र थे। इस पुराण में पृथु, ध्रुव और प्रह्लाद के प्रसंग अत्यन्त रोचक हैं। 'पृथु' के वर्णन में धरती को समतल करके कृषि कर्म करने की प्रेरणा दी गई है। कृषि - व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने पर जोर दिया गया है। घर-परिवार, ग्राम, नगर, दुर्ग आदि की नींव डालकर परिवारों को सुरक्षा प्रदान करने की बात कही गई है। इसी कारण धरती को 'पृथ्वी' नाम दिया गया। 'ध्रुव' के आख्यान में सांसारिक सुख, ऐश्वर्य, धन-सम्पत्ति आदि को क्षण भंगुर अर्थात् नाशवान समझकर आत्मिक उत्कर्ष की प्रेरणा दी गई है। प्रह्लाद के प्रकरण में परोपकार तथा संकट के समय भी सिद्धांतों और आदर्शों को न त्यागने की बात कही गई है।

कृष्ण चरित्र का वर्णन :- 'विष्णु पुराण' में मुख्य रूप से कृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है। इस पुराण में कृष्ण के समाज सेवी, प्रजा प्रेमी, लोक रंजक तथा लोक हिताय स्वरूप को प्रकट करते हुए उन्हें महामानव की संज्ञा दी गई है।

श्रीकृष्ण ने प्रजा को संगठन-शक्ति का महत्त्व समझाया और अन्याय का प्रतिकार करने की प्रेरणा दी। अधर्म के विरुद्ध धर्म-शक्ति का परचम लहराया। 'महाभारत' में कौरवों का विनाश और 'कालिया दहन' में नागों का संहार उनकी लोकोपकारी छवि को प्रस्तुत करता है।

कृष्ण के जीवन की लोकोपयोगी घटनाओं को अलौकिक रूप देना उस महामानव के प्रति भक्ति-भावना की प्रतीक है। इस पुराण में कृष्ण चरित्र के साथ-साथ भक्ति और वेदान्त के उत्तम सिद्धान्तों का भी प्रतिपादन हुआ है। यहाँ 'आत्मा' को जन्म-मृत्यु से रहित, निर्गुण और अनन्त बताया गया है। समस्त प्राणियों में उसी आत्मा का निवास है। ईश्वर का भक्त वही होता है जिसका चित्त शत्रु और मित्र और मित्र में समभाव रखता है, दूसरों को कष्ट नहीं देता, कभी व्यर्थ का गर्व नहीं करता और सभी में ईश्वर का वास समझता है। वह सदैव सत्य का पालन करता है और कभी असत्य नहीं बोलता।

राजवंशों का वृत्तान्त :-इस पुराण में प्राचीन काल के राजवंशों का वृत्तान्त लिखते हुए कलियुगी राजाओं को चेतावनी दी गई है कि सदाचार से ही प्रजा का मन जीता जा सकता है, पापमय आचरण से नहीं। जो सदा सत्य का पालन करता है, सबके प्रति मैत्री भाव रखता है और दुख-सुख में सहायक होता है; वही राजा श्रेष्ठ होता है। राजा का धर्म प्रजा का हित संधान और रक्षा करना होता है। जो राजा अपने स्वार्थ में डूबकर प्रजा की उपेक्षा करता है और सदा भोग-विलास में डूबा रहता है, उसका विनाश समय से पूर्व ही हो जाता है।

कर्त्तव्यों का पालन :- इस पुराण में स्त्रियों, साधुओं और शूद्रों को श्रेष्ठ माना गया है। जो स्त्री अपने तन-मन से पति की सेवा तथा सुख की कामना करती है, उसे कोई अन्य कर्मकाण्ड किए बिना ही सद्गति प्राप्त हो जाती है। इसी प्रकार शूद्र भी अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए वह सब प्राप्त कर लेते हैं, जो ब्राह्मणों को विभिन्न प्रकार के कर्मकाण्ड और तप आदि से प्राप्त होता है। कहा गया है-

शूद्रोश्च द्विजशुश्रुषातत्परैद्विजसत्तमा:।

तथा द्भिस्त्रीभिरनायासात्पतिशुश्रुयैव हि॥[1]

अर्थात शूद्र ब्राह्मणों की सेवा से और स्त्रियां प्रति की सेवा से ही धर्म की प्राप्ति कर लेती हैं।

आध्यात्मिक चर्चा :- 'विष्णु पुराण' के अन्तिम तीन अध्यायों में आध्यात्मिक चर्चा करते हुए त्रिविध ताप, परमार्थ और ब्रह्मयोग का ज्ञान कराया गया है। मानव-जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके लिए देवता भी लालायित रहते हैं। जो मनुष्य माया-मोह के जाल से मुक्त होकर कर्त्तव्य पालन करता है, उसे ही इस जीवन का लाभ प्राप्त होता है। 'निष्काम कर्म' और 'ज्ञान मार्ग' का उपदेश भी इस पुराण में दिया गया है। लौकिक कर्म करते हुए भी धर्म पालन किया जा सकता है। 'कर्म मार्ग' और 'धर्म मार्ग'- दोनों का ही श्रेष्ठ माना गया है। कर्त्तव्य करते हुए व्यक्ति चाहे घर में रहे या वन में, वह ईश्वर को अवश्य प्राप्त कर लेता है।

महाभारतकालीन भारत का मानचित्र

भारतवर्ष को कर्मभूमि कहकर उसकी महिमा का सुंदर बखान करते हुए पुराणकार कहता है-

इत: स्वर्गश्च मोक्षश्च मध्यं चान्तश्च गम्यते।

न खल्वन्यत्र मर्त्यानां कर्मभूमौ विधीयते ॥[2]

अर्थात यहीं से स्वर्ग, मोक्ष, अन्तरिक्ष अथवा पाताल लोक पाया जा सकता है। इस देश के अतिरिक्त किसी अन्य भूमि पर मनुष्यों पर मनुष्यों के लिए कर्म का कोई विधान नहीं है।

इस कर्मभूमि की भौगोलिक रचना के विषय में कहा गया है-

उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्ष तद्भारतं नाम भारती यत्र संतति ॥[3]

अर्थात समुद्र कें उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो पवित्र भूभाग स्थित है, उसका नाम भारतवर्ष है। उसकी संतति 'भारतीय' कहलाती है।

इस भारत भूमि की वन्दना के लिए विष्णु पुराण का यह पद विख्यात है-

गायन्ति देवा: किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत भूमिभागे।

स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूय: पुरुषा: सुरत्वात्।

कर्माण्ड संकल्पित तवत्फलानि संन्यस्य विष्णौ परमात्मभूते।

अवाप्य तां कर्ममहीमनन्ते तस्मिंल्लयं ये त्वमला: प्रयान्ति ॥[4]

अर्थात देवगण निरन्तर यही गान करते हैं कि जिन्होंने स्वर्ग और मोक्ष के मार्ग् पर चलने के लिए भारतभूमि में जन्म लिया है, वे मनुष्य हम देवताओं की अपेक्षा अधिक धन्य तथा भाग्यशाली हैं। जो लोग इस कर्मभूमि में जन्म लेकर समस्त आकांक्षाओं से मुक्त अपने कर्म परमात्मा स्वरूप श्री विष्णु को अर्पण कर देते हैं, वे पाप रहित होकर निर्मल हृदय से उस अनन्त परमात्म शक्ति में लीन हो जाते हैं। ऐसे लोग धन्य होते हैं। (Rao Sahab N S Yadav)
'विष्णु पुराण' में कलि युग में भी सदाचरण पर बल दिया गया है। इसका आकार छोटा अवश्य है, परंतु मानवीय हित की दृष्टि से यह पुराण अत्यन्त लोकप्रिय और महत्वपूर्ण है।

©N S Yadav GoldMine #smoking {Bolo Ji Radhey Radhey}
अठारह महापुराणों में 'विष्णु पुराण' का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक मान

#smoking {Bolo Ji Radhey Radhey} अठारह महापुराणों में 'विष्णु पुराण' का आकार सबसे छोटा है। किन्तु इसका महत्व प्राचीन समय से ही बहुत अधिक मान #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
समस्त महापुराणों में 'ब्रह्माण्ड पुराण' अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का सांगोपांग वर्णन इसमें प्राप्त होने के कारण ही इसे यह नाम दिया गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है। विद्वानों ने 'ब्रह्माण्ड पुराण' को वेदों के समान माना है। छन्द शास्त्र की दृष्टि से भी यह उच्च कोटि का पुराण है। इस पुराण में वैदर्भी शैली का जगह-जगह प्रयोग हुआ है। उस शैली का प्रभाव प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास की रचनाओं में देखा जा सकता है। यह पुराण 'पूर्व', 'मध्य' और 'उत्तर'- तीन भागों में विभक्त है। पूर्व भाग में प्रक्रिया और अनुषंग नामक दो पाद हैं। मध्य भाग उपोद्घात पाद के रूप में है जबकि उत्तर भाग उपसंहार पाद प्रस्तुत करता है। इस पुराण में लगभग बारह हज़ार श्लोक और एक सौ छप्पन अध्याय हैं।

पूर्व भाग :- पूर्व भाग में मुख्य रूप से नैमिषीयोपाख्यान, हिरण्यगर्भ-प्रादुर्भाव, देव-ऋषि की सृष्टि, कल्प, मन्वन्तर तथा कृतयुगादि के परिणाम, रुद्र सर्ग, अग्नि सर्ग, दक्ष तथा शंकर का परस्पर आरोप-प्रत्यारोप और शाप, प्रियव्रत वंश, भुवनकोश, गंगावतरण तथा खगोल वर्णन में सूर्य आदि ग्रहों, नक्षत्रों, ताराओं एवं आकाशीय पिण्डों का विस्तार से विवेचन किया गया है। इस भाग में समुद्र मंथन, विष्णु द्वारा लिंगोत्पत्ति आख्यान, मन्त्रों के विविध भेद, वेद की शाखाएं और मन्वन्तरोपाख्यान का उल्लेख भी किया गया है।

मध्य भाग :- मध्य भाग में श्राद्ध और पिण्ड दान सम्बन्धी विषयों का विस्तार के साथ वर्णन है। साथ ही परशुराम चरित्र की विस्तृत कथा, राजा सगर की वंश परम्परा, भगीरथ द्वारा गंगा की उपासना, शिवोपासना, गंगा को पृथ्वी पर लाने का व्यापक प्रसंग तथा सूर्य एवं चन्द्र वंश के राजाओं का चरित्र वर्णन प्राप्त होता है।

उत्तर भाग :- उत्तर भाग में भावी मन्वन्तरों का विवेचन, त्रिपुर सुन्दरी के प्रसिद्ध आख्यान जिसे 'ललितोपाख्यान' कहा जाता है, का वर्णन, भंडासुर उद्भव कथा और उसके वंश के विनाश का वृत्तान्त आदि हैं।

'ब्रह्माण्ड पुराण' और 'वायु पुराण' में अत्यधिक समानता प्राप्त होती है। इसलिए 'वायु पुराण' को महापुराणों में स्थान प्राप्त नहीं है।

'ब्रह्माण्ड पुराण' का उपदेष्टा प्रजापति ब्रह्मा को माना जाता है। इस पुराण को पाप नाशक, पुण्य प्रदान करने वाला और सर्वाधिक पवित्र माना गया है। यह यश, आयु और श्रीवृद्धि करने वाला पुराण है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, पूजा-उपासना और ज्ञान-विज्ञान की महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है।

इस पुराण के प्रारम्भ में बताया गया है कि गुरु अपना श्रेष्ठ ज्ञान सर्वप्रथम अपने सबसे योग्य शिष्य को देता है। यथा-ब्रह्मा ने यह ज्ञान वसिष्ठ को, वसिष्ठ ने अपने पौत्र पराशर को, पराशर ने जातुकर्ण्य ऋषि को, जातुकर्ण्य ने द्वैपायन को, द्वैपायन ऋषि ने इस पुराण को ज्ञान अपने पांच शिष्यों- जैमिनि, सुमन्तु, वैशम्पायन, पेलव और लोमहर्षण को दिया। लोमहर्षण सूत जी ने इसे भगवान वेदव्यास से सुना। फिर नैमिषारण्य में एकत्रित ऋषि-मुनियों को सूत जी ने इस पुराण की कथा सुनाई।

पुराणों के विविध पांचों लक्षण 'ब्रह्माण्ड पुराण' में उपलब्ध होते हैं। कहा जाता है कि इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय प्राचीन भारतीय ऋषि जावा द्वीप वर्तमान में इण्डोनेशिया लेकर गए थे। इस पुराण का अनुवाद वहां के प्राचीन कवि-भाषा में किया गया था जो आज भी उपलब्ध है।

'ब्रह्माण्ड पुराण' में भारतवर्ष का वर्णन करते हुए पुराणकार इसे 'कर्मभूमि' कहकर सम्बोधित करता है। यह कर्मभूमि भागीरथी गंगा के उद्गम स्थल से कन्याकुमारी तक फैली हुई है, जिसका विस्तार नौ हज़ार योजन का है। इसके पूर्व में किरात जाति और पश्चिम में म्लेच्छ यवनों का वास है। मध्य भाग में चारों वर्णों के लोग रहते हैं। इसके सात पर्वत हैं। गंगा, सिन्धु, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी आदि सैकड़ों पावन नदियां हैं। यह देश कुरु, पांचाल, कलिंग, मगध, शाल्व, कौशल, केरल, सौराष्ट्र आदि अनेकानेक जनपदों में विभाजित है। यह आर्यों की ऋषिभूमि है।

काल गणना का भी इस पुराण में उल्लेख है। इसके अलावा चारों युगों का वर्णन भी इसमें किया गया है। इसके पश्चात परशुराम अवतार की कथा विस्तार से दी गई है। राजवंशों का वर्णन भी अत्यन्त रोचक है। राजाओं के गुणों-अवगुणों का निष्पक्ष रूप से विवेचन किया गया है। राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव का चरित्र दृढ़ संकल्प और घोर संघर्ष द्वारा सफलता प्राप्त करने का दिग्दर्शन कराता है। गंगावतरण की कथा श्रम और विजय की अनुपम गाथा है। कश्यप, पुलस्त्य, अत्रि, पराशर आदि ऋषियों का प्रसंग भी अत्यन्त रोचक है। विश्वामित्र और वसिष्ठ के उपाख्यान काफ़ी रोचक तथा शिक्षाप्रद हैं। (राव साहब एन एस यादव)

'ब्रह्माण्ड पुराण' में चोरी करने को महापाप बताया गया है।

©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey}
समस्त महापुराणों में 'ब्रह्माण्ड पुराण' अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} समस्त महापुराणों में 'ब्रह्माण्ड पुराण' अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का #पौराणिककथा

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Animesh Mungariya SHAHAB

और रखा ही क्या है बस गमखारी में अपनी, 
बस मुझको ही अपनी मौत का मलाल होना बाकी है। इक तेरा वसल के ना होने से फर्क कुछ खास नहीं पड़ा है मेरे तौर ए ज़िन्दगी पे। 
बस इतना कि फिर से हुजूम का हिस्सा हो गया हूँ, जो ना कभी पढ़ा जा

इक तेरा वसल के ना होने से फर्क कुछ खास नहीं पड़ा है मेरे तौर ए ज़िन्दगी पे। बस इतना कि फिर से हुजूम का हिस्सा हो गया हूँ, जो ना कभी पढ़ा जा

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prakash Jha

आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ
जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ

एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझसे ऐसे हुबहू
मुझे क़फ़स में बिठा कर के वो चले गए तो मैं क्या करूँ

मशहूर वो तो बहुत हुए, मूझे छोड़ कर जब वो गए
जो ज़ख्म मैंने सी लिया वही दरक जाए तो मैं क्या करूँ

पैबस्त इतनी सी उनसे है मेरी, की उनसे कुछ न कह सकूँ
वही वस्ल है वही हिज़्र है वही अज़ाब है तो मैं क्या करूँ

वो अज़ीज़ मिरे इतने हुए की, वो हमसे ज़रा दूर-दूर ही रहें
जो बना था हमसफ़र मिरा वही भूल जाए तो मैं क्या करूँ

इज़्तिराब इतनी बढ़ गई, कि मैं न जी सकूँ न मैं मर सकूँ
मिरी अज़ीब सी है ये दास्तां कोई ना सुने तो मैं क्या करूँ

©prakash Jha आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ
जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ

एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझ

आरज़ू है कि उनसे मिलूँ, पर वो ना मिले तो मैं क्या करूँ जिसे समझा मैं अपना नसीब वही दे दग़ा तो मैं क्या करूँ एक रात की थी जुस्तजू, वो मिले मुझ #Life #शायरी #prakashjha #prakashjha_shayri #prakash_jha #prakashjha_gazal

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना गया है। मानव जाति के लौकिक (सांसारिक) तथा पारमार्थिक अभ्युदय-हेतु प्राकट्य होने से वेद को अनादि एवं नित्य कहा गया है। अति प्राचीनकालीन महा तपा, पुण्यपुञ्ज ऋषियों के पवित्रतम अन्त:करण में वेद के दर्शन हुए थे, अत: उसका 'वेद' नाम प्राप्त हुआ। ब्रह्म का स्वरूप 'सत-चित-आनन्द' होने से ब्रह्म को वेद का पर्यायवाची शब्द कहा गया है। इसीलिये वेद लौकिक एवं अलौकिक ज्ञान का साधन है। 'तेने ब्रह्म हृदा य आदिकवये'- तात्पर्य यह कि कल्प के प्रारम्भ में आदि कवि ब्रह्मा के हृदय में वेद का प्राकट्य हुआ।

आत्मज्ञान का ही पर्याय वेद है।

1 वेदवाड्मय-परिचय एवं अपौरुषेयवाद

2 मनुस्मृति में वेद ही श्रुति

3 वेद ईश्वरीय या मानवनिर्मित

4 दर्शनशास्त्र के अनुसार

5 दर्शनशास्त्र का मूल मन्त्र

6 वेद के प्रकार

7 टीका टिप्पणी और संदर्भ

8 संबंधित लेख

श्रुति भगवती बतलाती है कि 'अनन्ता वै वेदा:॥' वेद का अर्थ है ज्ञान। ज्ञान अनन्त है, अत: वेद भी अनन्त हैं। तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- 'ऋग्वेदो यजुर्वेद: सामवेदो ऽथर्ववेद:॥'[5]इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं—

उपवेदों के कर्ताओं में

1.आयुर्वेद के कर्ता धन्वन्तरि,

2.धनुर्वेद के कर्ता विश्वामित्र,

3.गान्धर्ववेद के कर्ता नारद मुनि और

4.स्थापत्यवेद के कर्ता विश्वकर्मा हैं।

©N S Yadav GoldMine #Rajkapoor {Bolo Ji Radhey Radhey}
'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना

#Rajkapoor {Bolo Ji Radhey Radhey} 'सनातन धर्म' एवं 'भारतीय संस्कृति' का मूल आधार स्तम्भ विश्व का अति प्राचीन और सर्वप्रथम वाड्मय 'वेद' माना #पौराणिककथा

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Vikas Sharma Shivaaya'

सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओं में अदिति के 12 पुत्र शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- विवस्वान् (सूर्य), अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।

सूर्य देव का परिवार काफी बड़ा है- उनकी संज्ञा और छाया नाम की दो पत्‍नियां और 10 संतानें हैं जिसमें से यमराज और शनिदेव जैसे पुत्र और यमुना जैसी बेटियां शामिल हैं। मनु स्‍मृति के रचयिता वैवस्वत मनु भी सूर्यपुत्र ही हैं।

सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से 'ऊँ' प्रकट हुआ था, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। इसके बाद भूः भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में 'ऊँ' में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड़ा।

भैरव और कालभैरव:-यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि भैरव उग्र कापालिक सम्प्रदाय के देवता हैं और तंत्रशास्त्र में उनकी आराधना को ही प्राधान्य प्राप्त है। तंत्र साधक का मुख्य लक्ष्य भैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। इसलिए शिव की आराधना से पहले भैरव उपासना का विधान बताया गया है।

भैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। 1- कालभैरव भगवान शिव के अवतार हैं और ये कुत्ते की सवारी करते है। 2- भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता माना गया है। 3- कालभैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 266 से 276 नाम 
266 दुर्धरः जो मुमुक्षुओं के ह्रदय में अति कठिनता से धारण किये जाते हैं
267 वाग्मी जिनसे वेदमयी वाणी का प्रादुर्भाव हुआ है
268 महेन्द्रः ईश्वरों के भी इश्वर
269 वसुदः वसु अर्थात धन देते हैं
270 वसुः दिया जाने वाला वसु (धन) भी वही हैं
271 नैकरूपः जिनके अनेक रूप हों
272 बृहद्रूपः जिनके वराह आदि बृहत् (बड़े-बड़े) रूप हैं
273 शिपिविष्टः जो शिपि (पशु) में यञरूप में स्थित होते हैं
274 प्रकाशनः सबको प्रकाशित करने वाले
275 ओजस्तेजोद्युतिधरः ओज, प्राण और बल को धारण करने वाले
276 प्रकाशात्मा जिनकी आत्मा प्रकाश स्वरुप है
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ

सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ #समाज

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YumRaaj ( MB जटाधारी )

यमराजः अथवा धर्मराजः संसारस्य सर्वेषां जीवानां प्राणिनां अन्तिमसंयंत्रणकर्ता च अस्ति। अयम् यमराजः वेदपुरुषस्य पुत्रः च आहूतः अस्ति। अत्र अस्मिन् लेखे यमराजस्य परिचयः निरूप्यते।

नाम: 
यमराजस्य नाम धर्मराजः अथवा यमः इति प्रसिद्धमस्ति। "यम" शब्दः संस्कृतभाषायाम् "नियमने" अर्थे प्रयुज्यते, यथा यमः जीवानां कर्मणि नियमयति इति नामकरणं योग्यं भवति। तस्य अपि अन्ये नामानि च सन्ति, यथा अंतकः, कालः, वैवस्वतः, धर्मराजः, मृत्युः इत्यादयः।

पितरोऽधिपतिः:
यमराजः पितृलोकस्य पितरोऽधिपतिः अस्ति। पितृलोकं अस्य अधिष्ठानं भवति। पितृलोके प्रविष्टे सर्वेऽपि जीवाः यमराजस्य सन्निधौ आविष्कृतं भवन्ति। यमराजः तेषां कर्मणि नियमयति च तथा अन्यायानि प्रशास्तुम् अर्हति।

यमलोकः:
यमराजस्य निवासस्थलं यमलोकः नाम अस्ति। तत्र तेषां जीवानां कर्मफलं निरीक्ष्य यमराजः तथा विचार्य तेषां योनिसंस्थानं नियमयति। यमलोके यात्रां कृत्वा जीवाः तेन योनिसंस्थानेन सम्बद्धाः भवन्ति।

यमदूताः:
यमराजस्य सेनापतयः यमदूताः नाम्ना विख्याताः भवन्ति। ये यमराजस्य अधीना अस्ति ते यमदूताः यमराजस्य आदेशानुसारिणसर्वेभ्यः जीवेभ्यः सन्देशान् प्रेषयन्ति च यमराजस्य अधीना आवर्तन्ते। यमदूताः यात्रां कृत्वा जीवानां कर्मफलं तथा पापपुण्यानि निरूपयन्ति च। यमदूताः यमराजस्य अद्यतनं चरित्रं धारयन्ति च भवन्ति।

यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपम्:
यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपं अस्ति। पाञ्चालिकं रूपं यमराजस्य विभूषणानि अस्ति, यथा धर्मचक्रं, दण्डं, पाशं, यमगुप्तं च। धर्मचक्रं यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा धर्मस्य प्रतिष्ठानं। दण्डः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य न्यायविधानं। पाशः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य बन्धनानि। यमगुप्तः यमराजस्य सहायकः अस्ति, यथा यमराजस्य सङ्केतकः।

यमराजस्य धर्मः:
यमराजस्य धर्मः अत्यंत महत्त्वपूर्णः अस्ति। यमराजः सन्तानं धर्मं नियमयति च, यथा न्यायस्य पालनं, पापपुण्यानां फलानां वितरणं च। यमराजस्य धर्मस्य वेदपुरुषैः प्रमाणं उपपाद्यते च।

यमराजस्य अर्थः:
यमराजस्य अर्थः सम्पूर्ण जगत्सृष्ट्यादिकर्तृभ्यः विभूषितः अस्ति। यमराजः समस्तं कर्मफलं नियन्त्रयति च तथा अधिकृतं अनुशास्ति। यमराजस्य अर्थः धर्मरूपेण भगवत्प्राप्तौ निर्वहति च।

इत्येवं यमर

©YumRaaj YumPuri Wala
  #navratri #यमनियम
यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ!
#Yumraaj 

यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम

#navratri #यमनियम यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ! #Yumraaj यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है।

आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः     (अग्नि पुराण)

पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है।

अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है।

अग्नि पुराण का फल:-अग्नि पुराण को साक्षात् अग्नि देवता ने अपने मुख से कहा हे। इस पुराण के श्रवण करने से मनुष्य अनेकों विद्याओं का स्वामी बन जाता है। जो ब्रह्मस्वरूप अग्नि पुराण का श्रवण करते हैं, उन्हें भूत-प्रेत, पिशाच आदि का भय नहीं सताता। इस पुराण के श्रवण करने से ब्राह्मण ब्रह्मवेत्ता, क्षत्रिय राजसत्ता का स्वामी, वैश्य धन का स्वामी, शूद्र निरोगी हो जाता है तथा उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जिस घर में अग्नि पुराण की पुस्तक भी हो, वहाँ विघ्न बाधा, अनर्थ, अपशकुन, चोरी आदि का बिल्कुल भी भय नहीं रहता। इसलिये अग्नि पुराण की कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिये।

अग्नि पुराण करवाने का मुहुर्त:-अग्नि पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। अग्नि पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन अग्नि पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है।

अग्नि पुराण करने के नियम:-अग्नि पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। अग्नि पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं।

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अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि प #पौराणिककथा

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Ravendra

प्रभारी मंत्री ने विशेषज्ञ क्लीनिक का किया शुभारम्भ  
बहराइच  आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की स्मृति में धनतेरस पर्व के उपलक्ष्य में

प्रभारी मंत्री ने विशेषज्ञ क्लीनिक का किया शुभारम्भ बहराइच आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की स्मृति में धनतेरस पर्व के उपलक्ष्य में #न्यूज़

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आयुष पंचोली

ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार्य आता हैं, जिससे जीव, मानव व प्रकृति की किसी भी रूप मे सेवा हो सकें। और यही "धर्म" अनुसार "कर्म" की व्याख्या हैं। जो सिर्फ जीव, मानव और प्रकृति की सेवा को ही कर्म की संज्ञा देती हैं।
©आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार

ऐसा कोई भी कार्य जो सिर्फ पेट भरने और परिवार पालने के लिये होता उसे "कर्म" नही कहते, वह सिर्फ रोजगार कहलाता हैं। "कर्म" की श्रेणी मे वही कार #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual #mereprashnmerisoch #RaysOfHope

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नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

सीता हरण की करुण कहानी है ये बड़ी दर्दनाक कथा, पर उदय दुलारी नेह इसका वर्णन करती है।
कैसे आयी सीता माई पर विपदा, वो सारी करुण कहानी लिखती है।।1

चौदह वर्ष का वो वन

है ये बड़ी दर्दनाक कथा, पर उदय दुलारी नेह इसका वर्णन करती है। कैसे आयी सीता माई पर विपदा, वो सारी करुण कहानी लिखती है।।1 चौदह वर्ष का वो वन #yqbaba #yqdidi #yqkora_kagaz #NUBGupta #मेरे_राघव_राजा_राम #सीता_हरण_की_करुण_कहानी

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नेहा उदय भान गुप्ता

सीता हरण की करुण कहानी है ये बड़ी दर्दनाक कथा, पर उदय दुलारी नेह इसका वर्णन करती है।
कैसे आयी सीता माई पर विपदा, वो सारी करुण कहानी लिखती है।।1

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है ये बड़ी दर्दनाक कथा, पर उदय दुलारी नेह इसका वर्णन करती है। कैसे आयी सीता माई पर विपदा, वो सारी करुण कहानी लिखती है।।1 चौदह वर्ष का वो वन #yqbaba #yqdidi #yqkora_kagaz #NUBGupta #मेरे_राघव_राजा_राम #सीता_हरण_की_करुण_कहानी

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