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Indra Saru

केहि समय पछि

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हिमालको छायालाई कसले छेकेको छ र !!
लोग्ने मान्छेले रुदैँनन कसले देखेको छ र !!

एक मुठी सास अनि संघर्षको जिन्दगीमा !!
आफ्नो तक्दीर आफै कसले लेखेको छ र !! केहि समय पछि

Rajeena chhetri

मानिसले कैले केहि कुराको घमण्ड गर्नु हुँदैन #story

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Naina Shivansh

म मरे पछि को केहि दिन हरु #NewLife #कविता

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motivational video's

raam ji quotes "सज्जन केहि सदा सुख होई, दुर्जन दुःख सदा ही पाहीं।" #Quotes

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Yudi Shah

पैसाको गन्ती गर्दा र मृत्युको जन्ती पर्दा बेलामा जैले कमै नै हुदो रहेछ यथार्थ जिन्दगीको अर्को सर्त सायद समस्या सबको यस्तै हो निरन्तर चलि र #wait #विचार #YudiShah

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पैसाको गन्ती गर्दा 
र मृत्युको जन्ती पर्दा
बेलामा जैले कमै नै हुदो रहेछ
यथार्थ जिन्दगीको अर्को सर्त 
सायद समस्या सबको यस्तै हो
निरन्तर चलि रहने 
जीवनको यस्ता कयौं कठोर यात्राहरु
भोग्नै पर्छ आखा मिची हासी
र केहि कुरा लुकाइ बाची...

©Yudi Shah पैसाको गन्ती गर्दा 
र मृत्युको जन्ती पर्दा
बेलामा जैले कमै नै हुदो रहेछ
यथार्थ जिन्दगीको अर्को सर्त 
सायद समस्या सबको यस्तै हो
निरन्तर चलि र

Dakshina Devi Gajurel

एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। #कविता

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एउटा मौका उ संग माग्थे
================
आज धेरै दिन भयो  आमा, देब्रे पाटो दुखेको
काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन
पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! 
यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले
किनकि तिमि थिएउँनित आमा
वीरको वारेमा छरेको तोरि
पहिलात मैले टिपेर ल्याएको अनि
किटको कराइमा तिमिले गदगद पकाएको स्वाद
अझै आलोनै छ आमा वीरेलेेे पिसाएर  ल्याएको त्यही तोरीको तेलले चपचिल्लेइ मालिस गरि दिएकी थिएँउ 
जिउभरि अंगेनाको छेउमा बसेर तिम्रा न्यानो हातले। 
कतै केहि लागेको पो हो कि ?
 आतिदै कति धाएउ धामि र जोखाना
अचम्म लाग्द थियो तिम्रो माया देखि 
घर धन्दा सवेइ सकि
इष्ट मित्र सवेइलाइ राखि
कसरि गरदथिए्उ आमा एकछिन पनि न थाकि
शुकवारे गइ रकति र भूडि 
हपतेइ खुवाउथैउ परपरि भूटि
पईसा त आमा निकै नि पाउथेउ 
जागिर आखिर तिमि पनि गरथेउ 
सुन लाउने रहर कहिलेइ पोखिन्उ 
जै गर्ने  मन छ गरदेइ जाउ छौरि 
संस्कार  अर्ति कतिधेरै गरि
सुटुक्क आफू किन गएउँ एसरि
कर्तव्य मेरो गर्नुपर्ने थियो
छाति तिम्रो दुखत सुमसुम्याउने अधिकार खौत दिएउ? 
एक्लै कतेइ नजाने तिमी 
त्यो घरलाई छोडी कसरि गएउ.!!! 
देब्रे पाटो दुख्यो, आसुँने झरो
सम्झना तिम्रो कति धेरै आयो
निदाउन खोज्दा छटपट भयो
तस्विर आमा तिम्रोने आयो
एकान्तमा सिरानी भिज्यो 
तोरीको तेलत आजपनि आयो
काखको तातो हातको। न्यानो कता विलायो
याद जब आउछ तस्वीर तिम्रो छाउँछ
मुगुको रोग भित्र पालेर
कसरि हासेर आमा, कसरि बसेउ?
कहिल्यै केहिनभएझै निरोगी वनेर
बिहानीपख दाहिने छाति दुःखत बाडुली मलाइ लागेन
खोइ किन आमा? 
आमा कि आमा मपनि हुन्थे
दुखको छाति मायाले चुम्थे
के भन्ने थिए एकैपल्ट सुन्थे
तोरि होइन तिलतेल लगाई मालिस म गर्थे 
मुखले तिमी लाई म स्वास दिनथै
काललाई सायद विन्तनै गरथै
एउटा मौका उसंग माग्थे 
आमा लाई अहिले नलौइजा भन्थे
आखिर इच्छा जाहिर गर्दै, सायद 
तिमिलाई मईले फर्काएर ल्याउँथे 
दुखको पाटोमा तिम्रो स्पर्श पाउँथे 
सूपचौसुर हालि पकाएको पुबा
तिम्रो हातले म आज खान्थे 
टाउको तिम्रो काखमा राखि
ढुक्कले म कति निधाँउथे
चोरि अम्लो समाति जाँ गएपनि
संगेइ जान्थे, अरूले आरिस गर्ने गरि
मैले माया कतिधेरै पाउथे 
एउटा मौका उ संग माग्थे । 2

                          दक्षिणा देवी गजुरेल, ठेलामारा ।
                             तेजपुर (असम) 
                      ====================== एउटा मौका उ संग माग्थे
================
आज धेरै दिन भयो  आमा, देब्रे पाटो दुखेको
काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन
पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे।

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड 🙏 दोहा – 20 रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2 #समाज

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🙏सुंदरकांड 🙏
दोहा – 20
रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है
कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥20॥
रावण हनुमानजी की और देख कर हँसा और कुछ दुर्वचन भी कहे,परंतु फिर उसे पुत्र का मरण याद आ जानेसे
उसके हृदय मे बड़ा संताप पैदा हुआ॥

हनुमानजी और रावण का संवाद
रावण हनुमानजी से उनके बारे में पूछता है?
कह लंकेस कवन तैं कीसा।
केहि कें बल घालेहि बन खीसा॥
की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही।
देखउँ अति असंक सठ तोही॥

रावण ने हनुमानजी से कहा कि हे वानर!तू कौन है और कहां से आया है?और तूने किसके बल से मेरे वनका विध्वंस कर दिया है॥मैं तुझे अत्यंत निडर देख रहा हूँ।क्या तूने कभी मेरा नाम अपने कानों से नहीं सुना है?॥

हनुमानजी श्री राम के बारे में बताते है
मारे निसिचर केहिं अपराधा।
कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा॥
सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया।
पाइ जासु बल बिरचति माया॥
तुझको हम नहीं मारेंगे, परन्तु सच कह दे कि तूने हमारे राक्षसों को किस अपराध के लिए मारा है?रावण के ये वचन सुनकर हनुमानजी ने रावण से कहा कि हे रावण! सुन,यह माया (प्रकृति) जिस परमात्माके बल (चैतन्य शक्ति) को पाकर अनेक ब्रम्हांड समूह रचती है॥

श्री राम का बल और सामर्थ्य
जाकें बल बिरंचि हरि ईसा।
पालत सृजत हरत दससीसा॥
जा बल सीस धरत सहसानन।
अंडकोस समेत गिरि कानन॥
जिसके बल से ब्रह्मा, विष्णु और महेश
ये तीनो देव जगत को रचते है,पालते है और संहार करते है॥और जिनकी सामर्थ्य से शेषजी अपने सिर पर
वन और पर्वतों सहित इस सारे ब्रम्हांड को धारण करते है॥

भगवान राम के अवतार का कारण
धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता।
तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता॥
हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा।
तेहि समेत नृप दल मद गंजा॥
और जो देवताओ के रक्षा के लिए और
तुम्हारे जैसे दुष्टो को दंड देने के लिए
अनेक शरीर (अवतार) धारण करते है॥जिसने महादेवजी के अति कठिन धनुष को तोड़ कर तेरे साथ तमाम राजसमूहो के मद को भंजन किया (गर्व चूर्ण कर दिया) है॥

खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली।
बधे सकल अतुलित बलसाली॥
और जिन्होने खर, दूषण, त्रिशिरा और
बालि ऐसे बड़े बलवाले योद्धओको मारा है॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम
आगे शनिवार को....,
श्री राम, जय राम, जय जय राम

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 789 से799 नाम 
789 कृतागमः जिन्होंने वेदरूप आगम बनाया है
790 उद्भवः जिनका जन्म नहीं होता
791 सुन्दरः विश्व से बढ़कर सौभाग्यशाली
792 सुन्दः शुभ उंदन (आर्द्रभाव) करते हैं
793 रत्ननाभः जिनकी नाभि रत्न के समान सुन्दर है
794 सुलोचनः जिनके लोचन सुन्दर हैं
795 अर्कः ब्रह्मा आदि पूजनीयों के भी पूजनीय हैं
796 वाजसनः याचकों को वाज(अन्न) देते हैं
797 शृंगी प्रलय समुद्र में सींगवाले मत्स्यविशेष का रूप धारण करने वाले हैं
798 जयन्तः शत्रुओं को अतिशय से जीतने वाले हैं
799 सर्वविज्जयी जो सर्ववित हैं और जयी हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड 🙏
दोहा – 20
रावण हनुमानजी की ओर देखकर हँसता है
कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिसाद ॥2

अज्ञात

लाड़ली बहना सुधा त्रिपाठी को समर्पित सम सुधा सुनाम है मंगल मूरति धाम.. केहि विध करूँ बखान मैं सद्गुन अनत ललाम... उर धरे भाव सो, करहुं #कविता

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अगला भाग-2

©Rakesh Kumar Soni लाड़ली बहना सुधा त्रिपाठी को समर्पित 

 सम सुधा सुनाम है 
मंगल मूरति धाम.. 
केहि विध करूँ बखान मैं
सद्गुन अनत ललाम... 

उर धरे भाव सो, करहुं

AB

धन निर्धन को देत सदाहीं l जो कोई जांचे सो फल पाहीं ll अस्तुति केहि विधि करों तुम्हारी l क्षमहू नाथ अब चूक हमारी ll

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.....   धन   निर्धन   को देत   सदाहीं l जो कोई जांचे सो फल पाहीं ll
  अस्तुति केहि विधि करों तुम्हारी l क्षमहू नाथ अब चूक हमारी ll

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श्री शिव चालीसा पाठ जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। #Quotes

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©KP TAILOR HD श्री शिव चालीसा पाठ

जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये।
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