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Rashmi Hule
रातराणीचा धुंद सुगंध सर्वदूर पसरला.. घालमेल नवपरिणीतेची मुखचंद्रमा लाजला माळलेला गजरा केसात मोहरलेला उत्सुक मंद मोगरा स्पर्शास आतुरलेला. अलिंगनात सख्या तुझ्या बध्द झाले उधळीत रंग सोनेरी मिलन समिप आले Rashmi 💖 मुग्ध मंतरलेले क्षण मिठीत रात्र सरली.. पहाटेच्या गारव्यात निज डोळ्यात उतरली उन्हें कोवळी तिरीप जेव्हा डोळ्यांवर आली पापण्यांची उघडझाप असंबद्ध झाली आठवांचा गालीचा पाकळ्यांच्या शाली स्मित ओठांवर,पसरली गालावर लाली... Rashmi 💖 रातराणीचा धुंद सुगंध सर्वदूर पसरला.. घालमेल नवपरिणीतेची मुखचंद्रमा लाजला माळलेला गजरा केसात मोहरलेला उत्सुक मंद मोगरा स्पर्शास आतुरलेला. अ
Varsha Patil
Ambika Mallik
बन्धन अवगुणों को जला कर बना डालूँ खुद को कुन्दन। कर्तव्य पथ पर घिसकर बन जाऊँ चाहे चन्दन। बुद्ध बन सत्य की खोज कहाँ कर पाती है स्त्री, हर वक्त रोकना चाहता कोई ना कोई बन्धन। अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #बुध्द
Arora PR
White ह्रदय की बन्द खिड़कियों क़ो खोलो आने दो समरपण और विश्वास की शीतल हवाओ क़ो और गिरने दो प्रेम भरे अहसास की नन्ही नन्ही बूंदो क़ो अपने ह्रदय की तप्त और ख़ुशक धरती पर ©Arora PR बन्द खिड़किया
सुरेश चौधरी
बंद कमरे के अंधेरों में रौशनी आने दो बहुत मायुश हूँ जरा मुझे मुस्कराने दो माना की बाहर बहुत सर्द मौसम है बहुत गहरी धुंध छाई है इंसान को इंसान नही दे रहा दिखाई है जज्बाते दोस्ती के हाथ उठाओ हथेलियों पर प्यार की गर्माहट आने दो बहुत मायुश हूँ जरा मुझे मुस्कराने दो | बन्द कमरे
pooja janagal
ये आंखे सहसा बन्द हो जाती हैं अवसरवादी हैं कमबख्त! इनपे ज़ोर नही चलता मेरा ये जो नहीं देखना चाहती वो नही देखती। वो क्या है न मैं अपने मन की मालिक हूँ पर आंखों की ग़ुलाम! मैं नहीं बदली हूँ और न मैं कोई और हूँ बस मेरे हालात तय करते हैं "मेरी गुलामी" या "मैं गुलाम"। खैर आंखे अपनी जगह ठीक है बिल्कुल सटीक हैं अब देखने को कुछ खास नही है झूठ के उजालों से सच का अंधेरा अब भाने लगा है उन्हें वे अक्सर मुझसे पूछती है की जो मैं देख नही सकती लोग वो कर कैसे देते हैं? ये लहू! ये लहू जो इंसान ए मुजस्तमे में होना था वो आखिर क्यों पड़ा है सड़कों पर वो सड़कें जो चारकोल सी काली होनी थी वो लहू सी लाल क्यों हैं? क्या आवाम ए बाजार में खून इतना सस्ता हो गया? क्या लाशों की कीमत सड़कों के स्तर पर आ गयी? ये सवाल चुभते हैं। कभी दिल में तो कभी आंखों में आंखे तो बन्द हो जाती है पर इस मन का क्या करूँ? जब आंखे बंद रहकर थक जाती हैं तो वो अचानक खुलती हैं एक और सवाल अपने साथ लिए पर अब और हमसे नहीं होगा तो वो गीली हो जाती हैं और आंखों से भी आह! निकल आती है कि "गलती हमारी है ए हुक्मरां सवाल तुमसे पूछा बेवजह है हम रहम की दुआ उनसे कर बैठे जो बेरहमी के बादशाह हैं।" ~पूजा। बन्द आंखें
Sanjay kumar
बहुत खूबसूरत होगी ना तेरी बन्द आंखे ..... मानो नंदी के किनारे मिल गए हो..... तुझे निहारने का सुकून ओर भी सुकून दे रहा होगा न..... तेरी बन्द आंखे .....