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Rashmi Hule

रातराणीचा धुंद सुगंध सर्वदूर पसरला.. घालमेल नवपरिणीतेची मुखचंद्रमा लाजला माळलेला गजरा केसात मोहरलेला उत्सुक मंद मोगरा स्पर्शास आतुरलेला. अ #yqbaba #yqdidi #yqtaai #bestyqmarathiquotes #नवपरिणीता

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रातराणीचा धुंद सुगंध सर्वदूर पसरला..
घालमेल नवपरिणीतेची मुखचंद्रमा लाजला 

माळलेला गजरा केसात मोहरलेला
उत्सुक मंद मोगरा स्पर्शास आतुरलेला.
                                      
अलिंगनात सख्या तुझ्या  बध्द झाले 
उधळीत रंग सोनेरी मिलन समिप आले
                                     Rashmi 💖 
मुग्ध मंतरलेले क्षण मिठीत रात्र सरली.. 
पहाटेच्या गारव्यात निज डोळ्यात उतरली
                                      
उन्हें कोवळी तिरीप जेव्हा डोळ्यांवर आली
पापण्यांची उघडझाप असंबद्ध झाली 

आठवांचा गालीचा पाकळ्यांच्या शाली
स्मित ओठांवर,पसरली गालावर लाली...
                       Rashmi 💖 
 रातराणीचा धुंद सुगंध सर्वदूर पसरला..
घालमेल नवपरिणीतेची मुखचंद्रमा लाजला

माळलेला गजरा केसात मोहरलेला
उत्सुक मंद मोगरा स्पर्शास आतुरलेला.

अ

Varsha Patil

व्हाॅटस अॅप इंटरनेटशी जुळले नाते व्हाॅटसअॅपमुळे झाले सारेच सोपे लहान मोठे आबालवृध्द सारे झालेत तयाशी बध्द मनोरंजनाचे ऊघडले कप्पे ग्रृप अॅडम

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व्हाॅटस अॅप
इंटरनेटशी जुळले नाते
व्हाॅटसअॅपमुळे झाले सारेच सोपे
लहान मोठे आबालवृध्द 
सारे झालेत तयाशी बध्द
मनोरंजनाचे ऊघडले कप्पे
ग्रृप अॅडम

Ambika Mallik

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Arora PR

बन्द खिड़किया #कविता

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Shivam Rathi

खिड़की बन्द

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joker

बन्द कmre

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upendra Kumar maurya

#बुध्द विचार

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सुरेश चौधरी

बन्द कमरे

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बंद कमरे के अंधेरों में रौशनी आने दो 
बहुत मायुश हूँ जरा मुझे मुस्कराने दो 
माना की बाहर बहुत सर्द मौसम है 
बहुत गहरी धुंध छाई है 
इंसान को इंसान नही दे रहा दिखाई है 
जज्बाते दोस्ती के हाथ उठाओ 
हथेलियों पर प्यार की गर्माहट आने दो 
बहुत मायुश हूँ जरा मुझे मुस्कराने दो | बन्द कमरे

pooja janagal

बन्द आंखें

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ये आंखे सहसा बन्द हो जाती हैं
अवसरवादी हैं कमबख्त! 
इनपे ज़ोर नही चलता मेरा
ये जो नहीं देखना चाहती 
वो नही देखती।
वो क्या है न 
मैं अपने मन की मालिक हूँ
पर आंखों की ग़ुलाम!
मैं नहीं बदली हूँ
और न मैं कोई और हूँ
बस मेरे हालात तय करते हैं
"मेरी गुलामी" या "मैं गुलाम"।

खैर आंखे अपनी जगह ठीक है
बिल्कुल सटीक हैं
अब देखने को कुछ खास नही है
झूठ के उजालों से
सच का अंधेरा अब भाने लगा है उन्हें
वे अक्सर मुझसे पूछती है
की जो मैं देख नही सकती 
लोग वो कर कैसे देते हैं?
ये लहू!
ये लहू जो इंसान ए मुजस्तमे में होना था
वो आखिर क्यों पड़ा है सड़कों पर
वो सड़कें जो चारकोल सी काली होनी थी 
वो लहू सी लाल क्यों हैं?
क्या आवाम ए बाजार में
खून इतना सस्ता हो गया?
क्या लाशों की कीमत सड़कों के स्तर पर आ गयी?

ये सवाल चुभते हैं।
कभी दिल में तो कभी आंखों में
आंखे तो बन्द हो जाती है 
पर इस मन का क्या करूँ?
जब आंखे बंद रहकर थक जाती हैं
तो वो अचानक खुलती हैं
एक और सवाल अपने साथ लिए 
पर अब और हमसे नहीं होगा 
तो वो गीली हो जाती हैं
और आंखों से भी आह! निकल आती है
कि
"गलती हमारी है ए हुक्मरां 
सवाल तुमसे पूछा बेवजह है
हम रहम की दुआ उनसे कर बैठे  
जो बेरहमी के बादशाह हैं।"
              ~पूजा। बन्द आंखें

Sanjay kumar

तेरी बन्द आंखे .....

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बहुत खूबसूरत होगी ना तेरी बन्द आंखे .....
मानो नंदी के किनारे मिल गए हो.....
तुझे निहारने का सुकून  ओर भी सुकून दे रहा होगा न..... तेरी बन्द आंखे .....
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