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Author Munesh sharma 'Nirjhara'
"तक़ाज़ा-ए-वक्त जान जाइये.. महफ़ूज नहीं बाहर कोई;घर में ही ठहर जाइये..!" तक़ाज़ा=deman Collaborating with Urdu_Hindi Poetry
purvi Shah
मेरी हर रात तेरे ख़्वाब तक, मेरी धड़कन तेरी सांस तक, मेरे हर अल्फ़ाज़ तेरी बातों तक, मेरी राह-ए-मंज़िल तेरे घर तक, मेरे सांझ सवेरे है तेरे साथ तक, मुजमे क्या रहेगा तेरे बाद तक, तक़ाज़ा = demand/mandatory #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqaestheticthoughts #yqlove #yqhindi
Abhinav Bittu
ये तक़ाज़ा ए इश्क़ है या मेरी आँखों की मस्ती खोलूँ तो दीदार तुम्हारा बंद करूँ तो तस्वीर तुम्हारी ❤️ ये तक़ाज़ा ए इश्क़ है या मेरी आँखों की मस्ती खोलूँ तो दीदार तुम्हारा बंद करूँ तो तस्वीर तुम्हारी
परवाज़ हाज़िर ........
फितरत का मेरे जाम " क्या खूब आलम तेरे हिज़्र का हुआ .... बना था में तेरे महोब्बत का नाम " तू रुक्सत हुआ और सब बेज़ार सा हुआ ... ©G0V!ND DHAkAD #fitrat ये फ़ितरत का तक़ाज़ा था कि चाहा ख़ूब-रूओं को जो करते आए हैं इंसाँ न करते हम तो क्या करते
Alex Akash Sahu
वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है दोस्तो कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं
avialfaaz
मेरे करीब रहना चाहत हैं मुझसे दूर रहना हैं, मजबूरी उनकी ये वक़्त का तक़ाज़ा हैं या कोई किस्मत का खेल कश्मकश में डूबी हैं, कहानी हमारी जीवन की ✍अविनाश दुबे ©_avialfaaz_mr_ad_ मेरे करीब रहना चाहत हैं मुझसे दूर रहना हैं, मजबूरी उनकी ये वक़्त का तक़ाज़ा हैं या कोई किस्मत का खेल कश्मकश में डूबी हैं कहानी हमारी जीवन
Vineet singh
हर एक मुलाकात पर वक़्त का तक़ाज़ा हुआ, जब से उसे देखा दिल का दर्द ताज़ा हुआ, सुनी थी सिर्फ़ गाज़ल में जुदाई की बातें, आज खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ. हर एक मुलाकात पर वक़्त का तक़ाज़ा हुआ, जब से उसे देखा दिल का दर्द ताज़ा हुआ, सुनी थी सिर्फ़ गाज़ल में जुदाई की बातें, आज खुद पर बीती तो हक़ी
Abeer Saifi
बहुत पी चुके आप घर जाइए कसम नाज़नीं की सँवर जाइए हुआ वो न हासिल बला से मेरी ज़रूरी नहीं है बिखर जाइए तक़ाज़ा सफ़र का मुसाफ़िर यही जो रहबर ही ना हो उतर जाइए समां को बनाते हो तुम ग़मज़दा ये कहते हैं अहल-ए-नज़र जाइए कि खुलता नहीं रात भर मैकदा जो रुकना हो ता-बा-सहर जाइए समय है अभी कुछ भी बिगड़ा नहीं मुहौबत से अब तो मुकर जाइए इक साक़ी से गुफ़्तगू...... 💔 नाज़नीं - महबूबा तक़ाज़ा - demand रहबर - रास्ता दिखलाने वाला अहल-ए-नज़र - होशियार लोग मैकदा - शराबखाना ता-बा
words_of_heart_pa
दर्द का मेरे यक़ीं आप करें या न करें अर्ज़ इतनी है कि इस राज़ का चर्चा न करें मेरे अरमानों को काश इतनी समझ हो 'वहशत' कि उन आँखों से मुरव्वत का तक़ाज़ा न करें ©words_of_heart_pa दर्द का मेरे यक़ीं आप करें या न करें अर्ज़ इतनी है कि इस राज़ का चर्चा न करें मेरे अरमानों को काश इतनी समझ हो 'वहशत' कि उन आँखों से मुरव्वत
Abeer Saifi
बहुत पी चुके आप घर जाइए कसम नाज़नीं की सँवर जाइए हुआ वो न हासिल बला से मेरी ज़रूरी नहीं है बिखर जाइए तक़ाज़ा सफ़र का मुसाफ़िर यही जो रहबर ही ना हो उतर जाइए समां को बनाते हो तुम ग़मज़दा ये कहते हैं अहल-ए-नज़र जाइए कि खुलता नहीं रात भर मैकदा जो रुकना हो ता-बा-सहर जाइए समय है अभी कुछ भी बिगड़ा नहीं मुहौबत से अब तो मुकर जाइए इक साक़ी से गुफ़्तगू...... 💔 नाज़नीं - महबूबा तक़ाज़ा - demand रहबर - रास्ता दिखलाने वाला अहल-ए-नज़र - होशियार लोग मैकदा - शराबखाना ता-बा