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Ek villain
अर्थ चिंतन की पूंजीवादी अवधारणा में यह स्वीकार था कि समाज में उपभोक्ता ही राजा होते हैं क्योंकि उनकी रुचि पसंद और मांग ही पूरी अर्थव्यवस्था की दिशा तय करती है समय के साथ विश्व के विभिन्न अर्थव्यवस्था में उदारीकरण तथा वैश्वीकरण के संदर्भ में सहयोग और उपभोक्तावादी संस्कृति को प्रोत्साहित किया गया बाजार नियंत्रण समाज में प्रतिष्ठा आत्मा करणसर चित्रकारी कालाबाजारी अनैतिक व्यापार की दूषित मानसिकता से उपभोक्ता के प्रभाव को निश्चित कर दिया यह धारणा विकसित हुई है कि समाज के भीतर व्यक्त करने वाले उपभोक्ताओं के बीच की रेखा को पहचानना कठिन हो गया भारत सरकार ने 1981 में वक्ता सरवण अधिनियम लागू किया जिसमें 1993 एवं 2002 में आवश्यक संशोधन किए गए लेकिन यह सूचना क्रांति के विचार से बाजार में आए बदलाव के चलते उपभोक्ताओं की बदली हुई जरूरतों की पूरा नहीं कर पाए इसलिए वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र के उपभोक्ता संरक्षण पर जारी दिशा-निर्देश में समय विश्वकर्म भोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में लागू किया गया इसके अनुसार उपभोक्ता व्यक्ति है जो अपने उपयोग के लिए कोई वस्तु खरीदा है उसमें उक्त अधिकारी के लिए राष्ट्रीय न्यायिक तंत्र के तहत केंद्र है ©Ek villain #जागरूक उपभोक्ता है विकास का प्रतीक #KashmiriFiles
Taleshwar Sen
आज छत्तीसगढ़ राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा प्रभारी मंत्री राजनांदगांव माननीय अमरजीत भगत जी के साथ मुलाकात किया ©Taleshwar Sen आज छत्तीसगढ़ राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण तथा प्रभारी मंत्री राजनांदगांव माननीय अमरजीत भगत जी के साथ मुलाकात किया
Sunsa Kerapa
ये भी किसी के कहने पर पूछ रहा हूं। ईमोशनली, लव से भरपूर इसकी फुल फोरम बताओ ये मेरी ज़िन्दगी की सबसे ख़तरनाक पहेली है जिसे मैं आज तक नहीं स
Divyanshu Pathak
हरि व्यापक सर्वत्र समाना प्रेम ते प्रकट होहिं मैं जाना ! :💕👨 साधारणत: प्यार में भौतिकता से परे होने की क्षमता हर किसी में नही होती जैसे उपग्रह स्थापित करने के लिए पलायन वेग को पार करना पड़ता है ठीक
Divyanshu Pathak
प्रकृति और परमात्मा की हर एक कृति स्त्री, पुरुष, पशु, वनस्पति, नाग, सागर, पर्वत, कंकर, नदी, की उपासना करने वाले लोगों में जब हिंसा,घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, शोषण, बलात्कार, दहेज़ हत्या, लूट, भ्रष्टाचार जैसी विसंगतियों को देखता हूँ तो बस यही सोच कर रह जाता हूँ कि--- शिक्षा के नाम पर रटाए गए अध्याय विरलों को छोड़ कर अधिकतर ने पढ़ाई लिखाई को पैसा कमाने या पेट भरने तक सीमित रखा। भूँख बढ़ी और भ्रष्टाचार पनपने लगा। सुप्रभातम साथियो....🙏😊🙏🍵🍵 वैश्वीकरण के इस दौर की दौड़ में हम शामिल तो हुए लेकिन अभी तक दौड़ना शुरू नहीं किया है। जहाँ दुनिया अपनी पूरी ताक़त से
Ravendra
Sandeep Kothar
दोस्तों, हमारे जमीं पर कभी ब्रिटिश हुक़ूमत का झंडा लहराया करता था। ब्रिटिश, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से व्यापार करने भारत आए, और धीरे धीरे हमारी जमीं पर अपनी हुक़ूमत जमाने लगे। कंपनी हमारे किसान भाइयों से कपास कावड़ियों के दाम ख़रीद कर उसका कपड़ा मशीनों के द्वारा विकसित कर, हमें ही उल्टा महंगा बेचती। मशीनी कपड़ों की बनावट हाथ की मशीनों से बने कपड़ों के मुकाबले बेहतर हुआ करती थी। उनकी ऐसी नीतियों ने हमारे छोटे छोटे रोजगार हमेशा के लिए ख़तम कर दिए। दोस्तों आज मैं क्यों आपको ये सब बता रहा हूं, क्युकी आज ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जगह ऑनलाइन बिजनेस अप्लिकेशन ले रहे हैं। कोरोना महामारी के आड में हमारे सभी व्यवसायों को अपने छत्रछाया में लेकर भारत में अपनी पकड़ हर क्षेत्र में मजबूत कर रहे है, भले फिर कमर्शियल मार्केटिंग हों, एजुकेशन, फूड या फिर ट्रैवलिंग और अन्य। मतलब दोस्तों, सामान की डिलीवरी भारतीय करेंगे, हम उपभोक्ता और व्यापारी भी होंगे, सारा लेन देन एक ऑनलाइन विदेशी अप्लिकेशन के माध्यम से होगा... हम अपनी कमाई लुटा ते रहेंगे और वो सारी उम्र कमाते रहेंगे। दोस्तों क्या आप ये सब सहेंगे? ©Sandeep Manohar Kothar जरूर पढ़े 🙏🙏🙏🙏 दोस्तों, हमारे जमीं पर कभी ब्रिटिश हुक़ूमत का झंडा लहराया करता था। ब्रिटिश, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से व्यापार करने
Akhilesh Soni Life Coach
Akhilesh Soni Life Coach