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Ratnesh Yadav
कवि मनोज कुमार मंजू
सबको अपनी पडी़ यहाँ अब बुद्ध बने तो कौन बने। चला लूट का दौर यहाँ सब डाकू अंगुलिमाल बने।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #बुद्ध #डाकू #अंगुलिमाल #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #Love
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे घर जिम्मेदारी छोड़कर खोजते रहे दुखों का निवारण वृक्ष के नीचे बैठकर पर सोचा होगा कभी भी एक पल क्या करती होगी यशोधरा जो लिए निशानी गोद मे तेरी कैसे बिताई होगी दिन अपना नही सोचे होंगे एक पल भी बुद्ध तुम तनिक भी उसके बारे में तुम्हें पता था ' ओ स्त्री हैं ' नही भागेगी घर से अपने बख़ूबी निभाएगी जिम्मेदारी अपनी जो छोड़ आये हो उसके सिर पर नही चाहती स्त्री कुछ भी सिवाय पति के वचन निभाती इसलिए हर स्त्री ब्रह्म हैं निर्वाण मोक्ष नही उसको चाहिए पुरुष कर्तब्य विमुख अधम एक जीव हैं वचन तोड़कर घर छोड़कर ईश्वर से मिलने का उसको लीला नाटक करना चाहिए ना पाया मोक्ष ना मिटाया दुःख ही पुरुष अपने नौटनकी से कर्तब्य निभाती स्त्री लगी है संसार को मोक्ष दिलाने में ।। बुद्ध और यशोधरा
vibhanshu bhashkar
एक असंतुलित "तराजू" !! जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'... दूसरे पर 'शांति'... पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे... इंसानो की चीख .. खून से लथपथ बदन.. मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग.. सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे.. उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे.. एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे... हमारे विनाश पे... एक पड़ले पर शांति !! जिसके प्रकृति दत्त उपहार... बाप के कंधे पर बैठे.. मासूम चेहरों की मुस्कान.. हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन एक सुहागन का सिंदूर... विधवा माँ के गोदी में हँसता .. उसके..बच्चे का सर... शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है... बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का.. युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है... बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का... कौन पड़ला भारी....? हजार लोग हजार मत... आपका भी मत होगा पुर्वत.. घिसी-पीटि भाषा मे.. दानव के साथ दानव... मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... परंतु क्या यह... सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...??? तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..
dilip khan anpadh
(बुद्ध और मोक्ष) ------------ जब निशा रात्रि ठन आया क्लान्त हुआ मन घबराया सुख-दुख और जनम-मरण क्या इतनी जीवन की माया? प्रश्न न्यून वो था नही उत्तर का कुछ पता नही शांत कँहा हुआ वो मन छोड़ चला जगमग जीवन। त्याग दिया वो अस्त्र-शस्त्र छोड़ दिया क्षत्रिय बस्त्र बंधन से मुख मोड़ गया पितृ धर्म भी छोड़ गया। था काल रात्रि वो सुनसान डग भरना न था आसान पग जो था कभी पुष्प समान चल चलकर हुआ लहूलुहान। बस्ती घूमा,जंगल घूमा पर्वत घूमा,दलदल घूमा कृशकाय हो,हुआ मौन आखिर ये उत्तर देगा कौन? कई बरस जब बीत गए जब वो खुद में रीत गए आत्मा तब वो हुआ शुद्ध वो कहलाए परम बुद्ध। भारत भू के वो भगवान कण-कण में सींचा दिव्य प्राण मिल गया उन्हें वो अभय ज्ञान मिलता जिससे है मोक्ष महान।। दिलीप कुमार खाँ अनपढ़ #बुद्ध और मोक्ष
Shipra Pandey ''Jagriti'
मुझसे पूछते हो बुद्ध होने का अर्थ क्या है..? मैं अंगुलिमाल हूँ..! शुद्ध विचारों से विरक्त कुमार्ग पर अग्रसर युगों - युगों से भटक रही मुझे किसी बुद्ध की तलाश है.. मैं अशांत मना क्या जानूँ बुद्ध हो जाने का अर्थ..!! ©Aishani मैं अंगुलिमाल हूँ..! #BuddhaPurnima2021
NEERAJ SIINGH
ना जानें कौन सा स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हो जो मैं नही तुम्हारा तो , क्रुद्ध होना चाहते हो.. कब उठोगे तुम इस उहा पोह से कब उठोगे तुम इस उहा पोह से क्यों नही तुम , राम , कृष्ण और बुद्ध होना चाहते हो , #neerajwrites राम कृष्ण और बुद्ध
Bhimrao Tambe
बुध्द दिसेल बुध्द साऱ्या देशाचं करा उत्खनन सारा देश खोदून बघ चराचरात भेटतील तथागताची शिल्प जरा शोधून बघ बुध्द दिसेल बुध्द ----भीमराव तांबे. #बुद्ध दिसेल बुद्ध