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Sushant Kushwaha
दहक रहा है जंगल रोज थोड़ा थोड़ा दुनियाँ बढ़ रहा विनाश के राह पर रोज थोड़ा थोड़ा सुशांत कुशवाहा ब्राज़ील में अमेज़न के वर्षावन में आग की हज़ारों घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि पिछले एक दशक म
Darshan Blon
तितली हमसे पूछ रही है मुरझाए फूलों का दास्तान, रोरो कर हमसे पूछ रही है उजड़ा कैसे उसका उद्यान? छोटे छोटे उसके पंखों को नजाने किसने तोड़ दिया, तितली हमसे पूछ रही है कैसे बन गए हम दरिंदे हैवान? कहाँ गए वृक्ष और हरेभरे जंगल क्यों है लगी बस ईंट-पत्थरों की दुकान? तितली हमसे पूछ रही है "बदल गया कैसे तू इतना इंसान?" सुप्रभात। हमारा प्रकृति से रिश्ता टूटता क्यों जा रहा है? तितली हमसे पूछ रही है! तितली के माध्यम से एक प्रेरक विचार प्रस्तुत करें। #तितली
Yashpal singh gusain badal'
क्या तुम वही हो ? क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुरानी जिद्दोजहद उसी पुरानी ठौर में हो ! यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है, समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है, नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए, कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं, मगर तुम हो कि बदलते नहीं ! तुम भी एक नया सूरज उगाओ ! क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ? नए विचार उगाओ ! क्यों उसी दौर में हो ! अब न कोई कयामत है न कोई जन्नत,न जहन्नुम है, जो जीते जी मिल गया , स्वर्ग है वही, नर्क है वही, कल में नहीं आज में जी ! बदलती दुनियां की घुट्टी पी! अब नूतन विचारों की नई भोर है, नया कलरव है, नया रोर है, नई दुनियां है, नया ठौर है। ©Yashpal singh gusain badal' #lonely क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुरानी जिद्दोजहद उसी पुरानी ठौर में हो ! यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है, समंदर का बहुत सारा पानी भाप बन
NEERAJ SIINGH
नीरज दिल से .......🖋 बहुत खमोश हो चली हैं ये दुनिया बस नकली रंगीनियां का शोर बहुत हैं किसी के पास जाकर पूछो अगर हाल क्या हैं वो कहता हैं शोर बहुत हैं दोस्त के नाम पर बस यहां जिस्म खड़े हैं कोई वक़्त पे साथ देने वाला दूर बहुत हैं ,ये खामोशी का हाल हर दिल बयां करता हैं बस कोई रोता हैं या कोई चुप चाप रहता हैं , नाम के सब रिश्ते हैं जो पल पल बस रिस्ते हैं कोई वाकई दिल के करीब ना , कहने को भीड़ बहुत हैं , वो सुकूँ ढूढता हैं जिसे चोट बहुत हैं कोई प्यार से दो पल बैठकर आंसू नही पोछता हैं बात रिस रहे जख्मो की हैं हर कोई नकली मेकअप के पीछे , जोर बहुत हैं , पर कोई दिल नही देखता लिए यही शिकायत वो ढूढता हैं किसी एक छांव पर कैसे करें विश्वास यहाँ नाम पर इंसान के जज्बातों की लूट बहुत हैं , हर कोई इस जामने अब खामोश बहुत हैं जैसा चल रहा हैं चलने दो ,उसके अंदर रोर बहुत हैं.. नीरज दिल से .......🖋 बहुत खमोश हो चली हैं ये दुनिया बस नकली रंगीनियां का शोर बहुत हैं किसी के पास जाकर पूछो अगर हाल क्या हैं वो कहता हैं शो
soldier of god
उलझन इस बात की है कि उसकी ज़िल्लत भरी मोहब्बत से जिन्दगी मे अपनी उलझ रहे थे हम। वो मुकर रहा एक एक कर हर किए वादे से , फिर भी उसको सबके आगे वफादार ,और अच्छा बतारहे थे हम। उसका अंदाज बदलरहा था और बिक रहे थे उसके जज़्बात । अपना जेब खाली देख खुदकी तंग्दस्ती पे रोरहे थे हम। मेरी मोहब्बत की गहराई से मेहरूम था वो पर हम भी कोई उनके मोहब्बत मे अब चूर नही बतादो कोई उसे ये मेरा दिल है खिलौना नही उलझ रहा था वो मादा परस्ति मे दुनिया की और हम पागल उसके माऊम्ले मे उलझ रहे थे उसको क्या पडी थी मेरी ,जो उसके क़ातिर हम अपना आत्म सम्मान खोरहे थे। महफिल मे जाऊँ तो लोग मेरी मुख्लीसी पर हसरहे ते और मुझे वो बेबस देख उन्सब की हसी मे वो भी हसरहा था। उसकी ज़िल्लत भरी मोहब्बत से हम अब बेज़ार होगए है। उलझनेको बाक़ी क्या रहा ?लो अब हम पूरी तरह सुलझ गए है। ©soldier of god maada parasti=materialistic cheezein उसकी ज़िल्लत भरी मोहब्बत से जिन्दगी मे अपनी उलझ रहे थे हम। वो मुकर रहा एक एक कर हर किए वादे से , फि
sapna prajapati❤
बेचैन मन और जिंदगी............... समझ से लिख रही हूं.... ✍✍✍😞😞😞 "sapna prajapati" बेचैन मन और जिंदगी की मामला थोड़ी समझ से लिख रही हूं....✍ नैनों से उतर कर गला के घुट- घूंट से जी रहीहूं और पानियों की तरह बहने वाले अपने मन
Sachin Brahmvanshi
उल्हासपूर्ण सतरंग सहित, भिगो देंगे सभी को रोली में, अब की बार होली में! आमादप्रमोद के दृश्य दिखेंगे, चहु ओर सभी की खोली में, अब की बार होली में! परसेवा, परप्रेम, परहित, संदेशा यही दे हर एक गीत, ऊँच-नीच की देहरी लाँघ, समभावी रंग गढ़े जाएँ, घर-घर की रंगोली में, अब की बार होली में! जश्न मनेगा अब त्रिभुवन में, बनेगा हर कोई प्रिय नंदलाल, वही कृष्ण है, वही गोपाल, दर्शित होंगे गिरधर-राधिका, हर एक बाल व गोरी में, अब की बार होली में! दहन करें विषादपूर्ण जीवन का, कहीं और नहीं होलिका भोली में, प्रेम के गुलशन खिल जाएँगे, होंगी खुशियाँ सब की झोली में, अब की बार होली में! - सचिन अ. पाण्डेय 'सत्यवीर' #NojotoQuote 😍Wish you all a very blissful and safe Holi🙏 🤗Read the complete poem in caption👇 अब की बार होली में! उल्हासपूर्ण सतरंग सहित, भिगो देंगे
Gondwana Sherni 750
तय टुटबे तो जोड़हु मै साथ देबे तो साथ निभाहु मै तोर हर दुख में साथ रहु जिंदगी बर फेर तोर बर दुनिया से लड़ जाहु मै कदम से कदम मिलाके चल देहू तोर साथ चाहे तय ले चल घर या फेर नदिया के तीर फर्क नही पड़े कहा जाबो धीर ऐसे ही देबे मोर मया के चिन्ह रहे नई सको तय मान या मत मान जिंदगी तो तोरे जा बिताहु तोर मया के तीर preeti uikye 20/5/21 ©Gondwana sherni तोर मोर माया
Anjali Raj
शब्दों की डोर से भावों के छोर तक लिख डाली नज़्में तमाम कोई अर्थ ढूंढे कोई छंद सोचे मैनें तो लिखा तेरा नाम #YQdidi #अंजलिउवाच #डोर #छोर #नज़्में #नाम