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vishnu prabhakar singh

Dedicating a #testimonial to Anjali Jain आज एक अंतराल पश्चात आपको पढ़ा।आपका स्नेहिल स्वभाव और प्रायोगिक कलम की प्रेरणा में बापू का स्मरण करते #Inspiration #yqbaba #yqdidi #anjalijain #विप्रणु

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जिस से अब तक नहीं मिले
बस उन्मुख हुआ।
पाठशाला का देवता
प्रतीकात्मक अवस्था में
महाविद्यालय तक संग रहा
अजानबाहु का कृत
सनातन का प्रसाद बन
धर्म पूर्वजों के अवतरण से
मीठास घोला
हम उन्मुख हुए
जिस से अब तक नहीं मिले। Dedicating a #testimonial to Anjali Jain
आज एक अंतराल पश्चात आपको पढ़ा।आपका स्नेहिल स्वभाव और प्रायोगिक
कलम की प्रेरणा में बापू का स्मरण करते

das Ke Alfaz

आज तुम, जब इठलाते हुए मेरे पास आकर बैठी तो जैसे एक सूकून सा लगा, तुम्हारे मस्त मलंग पैर हिलाकर फिल्टर पेपर में

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उस दिन
 जब तुम, 
इठलाते हुए मेरे पास आकर बैठी
तो जैसे 
एक सूकून सा लगा, 
तुम्हारे 
मस्त मलंग पैर हिलाकर 
फिल्टर पेपर में 
दूसरी बार 
अपनी चीटिंग दिखाना । 

सच में, 
मुझे
ऐसा लगा
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©das Ke Alfaz आज तुम, 
जब
इठलाते हुए मेरे पास आकर बैठी
तो जैसे 
एक सूकून सा लगा, 
तुम्हारे 
मस्त मलंग पैर हिलाकर 
फिल्टर पेपर में

Parul Sharma

ठोकरें जख्मी तो कर देती हैं मगर संबल देती है आपके लता रूपी जीवन को, जिसकी अभी जीवन यात्रा का आरंभ ही हुआ है आपको आगे जाने के लिये कदम तो बढा #Motivational

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ठोकरें जख्मी तो कर देती हैं मगर संबल देती है आपके लता रूपी जीवन को, जिसकी अभी जीवन यात्रा का आरंभ ही हुआ है आपको आगे जाने के लिये कदम तो बढाना ही है ठोकर में क्या है दो कदम ऊँचा उठना आपको  इस अवसर का प्रयोग करना है ना कि ध्वस्त  ये दृढ़ निश्चय ही मार्ग को प्रसस्त करता है ये नजरिया ही तो है मन के संकल्प का यदि आप विश्वास खो देते है तो फिर से उठे नयी स्फूर्ती के साथ वक्त में कई क्षण है और प्रत्यैक पल में जीवन की कई संभावनायें आप अनंवेषी हो जाये दिल तक वही आने दें जो बीते अनुभवों से तप कर बच पाया हो ये रूढता नहीं ये चुनाव है उन विकल्पों का जो उड़ैले गये है अनायास ही आपके ही जैसे अन्य जीवन यात्रीयों के द्वारा किसी प्रायोगिक योजना हेतू आप अपने जीवन के लक्ष के अनुसार योजनान्वित होकर प्रयासरत रहें संघर्ष ही अगले पायदान पर आपको ले जाता है समतल तो ठहराव है अत:  विश्वास रखें हर चुनौंत का कि ये नयी योजना है भविष्य की जस पर विश्वास प्रायोगिक परिणाम के फलस्वरूप ही आयेगा धैर्य के साथ आगें बढ़ेते रहें
                 पारुल शर्मा

©Parul Sharma ठोकरें जख्मी तो कर देती हैं मगर संबल देती है आपके लता रूपी जीवन को, जिसकी अभी जीवन यात्रा का आरंभ ही हुआ है आपको आगे जाने के लिये कदम तो बढा

KARAN GUPTA

।एक प्रायोगिक प्रेम पत्र। जो समझना है समझ लेना, बस कभी उड़ती हवा मत समझना। बेइंतेहा मोहब्बत करते हैं आपसे, बस कभी बेवफ़ा मत समझना। कभी देखा #yqbaba #yqdidi #loveletter #yopowrimo #beingpractical

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।एक प्रायोगिक प्रेम पत्र।

जो समझना है समझ लेना,
बस कभी उड़ती हवा मत समझना।
बेइंतेहा मोहब्बत करते हैं आपसे,
बस कभी बेवफ़ा मत समझना।

कभी देखा था आपको सपनों में
आज हकीकत में देख लिया,
शायर की ग़ज़ल को आज
दिल लगाकर पढ़ लिया।

अगर तोड़ा है किसी ने आपका दिल तो मैं नहीं जोड़ूंगा,
एक बार मौका दे दीजिए
अपना आधा बचा हुआ दिल भी आपको दे दूंगा।

चाँद तारे तोड़ लाऊँ इतनी मेरी औकात नहीं
भूखी सोने चली जाओ,
ऐसी आने दूंगा मैं कोई रात नहीं।

आंखों में आंसू न आने दूंगा
वो वादा मैं ना करूंगा,
लेकिन सिर टिकाने के लिए कंधा
हमेशा बगल में रखूँगा।

भाड़ में अगर चली गई तो साथ में आजाऊँगा,
फ़िसलकर अगर हड्डी टूट गयी तो खाना मैं बना लाऊंगा।

बूढ़ी होकर गंजी हो गई तो
टकला मैं हो आऊंगा,
आधा बचा दिल जो मेरा क़बूल कर लिया तो
मरते दम तक साथ निभाऊंगा।।
 ।एक प्रायोगिक प्रेम पत्र।

जो समझना है समझ लेना,
बस कभी उड़ती हवा मत समझना।
बेइंतेहा मोहब्बत करते हैं आपसे,
बस कभी बेवफ़ा मत समझना।

कभी देखा

Abhishek 'रैबारि' Gairola

कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास र #poem #writing #कविता #nojotohindi #शायरी #विचार

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कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास रहित वह एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने को भटकता रहता था। अपने छोटे से झुंड के साथ जिसे वह परिवार कहता था। अधिकतर परिस्थितियों में वह और उसका यह झुंड इस खानाबदोश यात्रा को पूरा भी नहीं कर पाता था। कभी प्रकृति, कभी बीमारी, कभी भूख या कभी किसी परभक्षी को अपना घुमतु जीवन सौंप आता था। फिर भी झेलने की क्षमता और प्रायोगिक नवीनता के दम पर आज, वह अपनी उस आदिम स्वयं से इतनी दूर आ गया है की उसे लगभग भूल ही गया है। पर जब वह किसी पर्वत के शिखर पर या उसकी वादी में उतर कर आकाश को निहारता है तब उसे अपने उस आदिम स्वयं का बोध होता है। इन पाशणों के बीच तब शायद वह नग्न, शुद्ध, और ईश्वर के निकट महसूस करता है।

©Abhishek 'रैबारि' Gairola कभी कभी मनुष्य को अपने आदिम युग को याद करना चाहिए, जब उसके पास नाम मात्र के संसाधन, सेवन हेतु मिट्टी से उपजा अन्न, पशु, बस यही सब थे। आवास र

AK__Alfaaz..

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_में #कल_रात_12_बजे... कल रात 12 बजे.. ​नींद के आगोश मे जाने से पहले, ​एकटक निहार रहा था मै, ​घड़ी के बढ़ते काँटों की, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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कल रात 12 बजे..
​नींद के आगोश मे जाने से पहले,
​एकटक निहार रहा था मै,
​घड़ी के बढ़ते काँटों की,
​लय-ताल को सुनते,
​
​कि...सहसा ये आभास हुआ,
​कोई अजनबी,
​नाम पुकारते अहाते मे घुसा,
​चकित हो कर मैने भी एक प्रश्न किया,
​कौन है...?
​उत्तर फिर मुझे यह मिला,
​मै...,स्त्री,,,,!
​
​स्त्री... कौन,,,?
​अरे..स्त्रीईई,,,
​कौन स्त्री,,,?
​मै नही जानता कौन, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_में

#कल_रात_12_बजे...

कल रात 12 बजे..
​नींद के आगोश मे जाने से पहले,
​एकटक निहार रहा था मै,
​घड़ी के बढ़ते काँटों की,

Satendra Sharma

महान कवि दुष्यन्त कुमार की एक प्रासंगिक गज़ल......

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इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है|

एक चिनगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है|

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है|

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी
यह अँधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है|

निर्वसन मैदान में लेटी हुई है जो नदी
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है|

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है|
                 .... दुष्यंत कुमार महान कवि दुष्यन्त कुमार की एक प्रासंगिक गज़ल......

Shravan Goud

प्रायोजित और तुरंत लिया गया निर्णय सोच समझकर लीजिए।

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प्रायोजित और तुरंत लिया गया निर्णय सोच समझकर लीजिए। प्रायोजित और तुरंत लिया गया निर्णय सोच समझकर लीजिए।

Praveen Jain "पल्लव"

#MereKhayaal सब प्रायोजित होकर सताये जा रहे है #MereKhayaal

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पल्लव की डायरी
युवा की हताशा, भविष्य कुंठित कर बैठी है
देश की तकदीर सूली पर चढ़ बैठी है
सब प्रायोजित होकर सताये जा रहे है
सत्ता की मलाई नेता खाये जा रहे है
ना  प्रतिभाओ  का  आकलन
ना बजट खेलो का है
अपनी दम पर जो पदक जीत लाये
उसका श्रेय इनके कंधो पर है
                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #MereKhayaal 
सब प्रायोजित होकर सताये जा रहे है
#MereKhayaal
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