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Radhe Chandan jha

#RadheGovinda #क्लेश #दुष्टता
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Rashmi Maurya

घाव देकर देह को क्या मिला तुमको ऐ जानवर
 मेरे जैसी किसी नारी ने ही पाला होगा तुझको जन्म देकर
 मिले थे जैसे हनुमान को जामवंत 
वैसे ही मुझको भी ये आभास होगा 
दुर्गा सी शांत हूँ तो हूँ काली जैसी आग भी 
दुष्टता का राग गाने वालों तांडव फिर मेरा भी होगा #दुष्टता #rapism #rape #girl #womenhood
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Dr.Vinay kumar Verma

प्रेरक कहानी:जब दुष्ट अपनी दुष्टता छोड़ने को राजी न हो,तो सज्जन को भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़नी चाहिए#Prerak-Kahani

प्रेरक कहानी:जब दुष्ट अपनी दुष्टता छोड़ने को राजी न हो,तो सज्जन को भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़नी चाहिएPrerak-Kahani #जानकारी

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Divyanshu Pathak

मैं ग़लतियों का पुतला।
भुगतान करता हूँ,
ग़लतियों के मुताबिक़।
समझौता नही कर पाता,
ख़ुद से न सामने वाले से।
जो है उसे स्वीकार करता हूँ,
जो नही है उसे ढूंढता हूँ।
मैं बस मैं हूँ।
अच्छा भी बुरा भी।
आप मुझसे सहमत हों न हों,
ये आपकी अपनी मर्ज़ी है।
मैं अपनी बात कहता हूँ,
आपकी बात समझने की,
कोशिश करता हूँ। 😊🙏😊
सुबह सुबह कुछ अपने लिए भी बनता है।
सत्ता उल्लू सीधा करती भाड़ में जाती जनता है।
😀😝
सुप्रभातम #पाठकपुराण Divyanshu Pathak 
:
‘परित्राणाय स

😊🙏😊 सुबह सुबह कुछ अपने लिए भी बनता है। सत्ता उल्लू सीधा करती भाड़ में जाती जनता है। 😀😝 सुप्रभातम #पाठकपुराण Divyanshu Pathak : ‘परित्राणाय स

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Divyanshu Pathak

आज की जीवनशैली

लक्ष्मी-प्रवृत्त है।

सारे अनर्थ चरम पर हैं।

सरस्वती का उपयोग ही,

प्रकाश के स्थान पर-

अर्थ प्राप्त करना ही रह गया है।

साधुओं के परित्राण की,

जरूरत बढ़ती जा रही है।

आज जो कुछ विश्व में हो रहा है,

उसको इसी दृष्टि से देखना चाहिए।

विज्ञान की और राजनीति की,

भाषा कुछ भी हो,

रंग तो मूल में,

प्रकृति ही दिखा रही है। कैप्शन में लिखा ज्ञान अतिरिक्त है। जिसका लिखी गई रचना से कोई संबंध नहीं है। 
यहाँ पर उल्लिखित "एक अन्य सरस्वती" शब्द का संबंध किसी भी दृष्टि

कैप्शन में लिखा ज्ञान अतिरिक्त है। जिसका लिखी गई रचना से कोई संबंध नहीं है। यहाँ पर उल्लिखित "एक अन्य सरस्वती" शब्द का संबंध किसी भी दृष्टि #कविता #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqhindi #हिंदी_साहित्य #पुनरुत्थान #नादान_परिंदा #tashuchauhan

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kaushik

" युग प्रवर्तक "

- कौशिक दवे

Caption में पढ़ें "युग प्रवर्तक"
	
	
	
ऊंची ऊंची दिवारे ,ज्ञान की तलवारें,	
आया है घोड़े पे, विचारों का वेग लेके ।	
	
वेदों का ज्ञान लेके, शास्त्रों का साथ ले

"युग प्रवर्तक" ऊंची ऊंची दिवारे ,ज्ञान की तलवारें, आया है घोड़े पे, विचारों का वेग लेके । वेदों का ज्ञान लेके, शास्त्रों का साथ ले

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Sumit Upadhyay

आस्था ही धर्म की प्राणवायु है। यदि आस्था नही तो धर्म का विनाश अवश्यम्भावी है। और आस्था आती है सत्कर्म और सद्विचार से। यदि आप दुष्टता और अनाच #Quotes

आस्था ही धर्म की प्राणवायु है। यदि आस्था नही तो धर्म का विनाश अवश्यम्भावी है। और आस्था आती है सत्कर्म और सद्विचार से। यदि आप दुष्टता और अनाच #Quotes

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Pnkj Dixit

🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏

         महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । 
सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर 
शान्ति का अनुभव करते है । 
परन्तु उनके विष दोषों से सत्पुरूष 
नितान्त अप्रभावित रहते है । 
अपना प्रभाव -  सुगन्ध , आसपास के वृक्षों 
तथा क्षेत्र पर डालते रहते है । 
कटने , घिसने , पिसने , जलने पर भी सुवास ही देते है । 
सभी उन्हें सम्मान सहित माथे से लगाते है , 
देवताओं पर चढाते है । इसीलिये स्वंय धन्य होतें है , 
सम्पर्क के व्यक्ति और क्षेत्र भी धन्य बन जाते है । 

   सद्विचारों को अपनाकर एवं देश - समाज कल्याणार्थ हेतू 
अपना जीवन जीते हुए 
सभी के ह्रदय में वास करते हुए चिरंजीवी बनो। 
ॐ 🚩🙏🚩

३१/०७/२०१९
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏

         महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । 
सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर 
शा

🚩जय श्री राम 🚩🕉️🙏 महामानव की उपमा सदैव चन्दन वृक्ष से दी जाती रही है । सर्प जैसे दुष्ट प्राणी भी उनके संसर्ग से दुष्टता भूलकर शा

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Vedantika

गोदी में बैठकर दाढ़ी नोंचना ही इनका काम
इनकी करनी से सज्जन ही होते हैं बदनाम ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_364 

👉 गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे लोकोक्ति का अर्थ - भला करने वाले के साथ दुष्टता करना। 

♥️ इस पोस्ट को ह

♥️ आइए लिखते हैं मुहावरेवालीरचना_364 👉 गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे लोकोक्ति का अर्थ - भला करने वाले के साथ दुष्टता करना। ♥️ इस पोस्ट को ह

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Vedantika

कबहुँ निरामिष होय न कागा
अबोध ही होता निपट अभागा

संकट को देखकर अपने सामने
दोस्त को वहाँ छोड़कर है भागा

स्वार्थ की सूली पर चढ़ा रिश्ता
कच्चा होता विश्वास का धागा

बचकर रहना इनके साथ से
बच गया वो जो भी है जागा

सभी नहीं एक से नहीं यहाँ
दिखता हम जैसा ही कागा ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_334 

👉 कबहुँ निरामिष होय न कागा लोकोक्ति का अर्थ ---- दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता। 

♥️ इस पोस्ट को हा

♥️ आइए लिखते हैं मुहावरेवालीरचना_334 👉 कबहुँ निरामिष होय न कागा लोकोक्ति का अर्थ ---- दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता। ♥️ इस पोस्ट को हा

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Dr Upama Singh

गोदी में बैठ कर जो दाढ़ी नोचे
ऊपर से दिखते भोले भाले 
अंदर से होते दिल के काले
जबान से मीठा पीछे से छुरा भोंकते ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_364 

👉 गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे लोकोक्ति का अर्थ - भला करने वाले के साथ दुष्टता करना। 

♥️ इस पोस्ट को ह

♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_364 👉 गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे लोकोक्ति का अर्थ - भला करने वाले के साथ दुष्टता करना। ♥️ इस पोस्ट को ह #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़

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Dr Upama Singh

कभहुँ निरामिष होय ना कागा
दुष्टों से सब रहो दूर नहीं तो
बाद में होय बहुत पछतावा ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_334 

👉 कबहुँ निरामिष होय न कागा लोकोक्ति का अर्थ ---- दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता। 

♥️ इस पोस्ट को हा

♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_334 👉 कबहुँ निरामिष होय न कागा लोकोक्ति का अर्थ ---- दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता। ♥️ इस पोस्ट को हा #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़

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Divyanshu Pathak

वासना में लिप्त थी एक गंधर्व सी जो कामना।
मदयुक्त होकर हर रहा था प्रेम की आराधना।।

ज्ञान और संस्कार का जो था बड़ा विद्वान वह।
बस राग ईर्ष्या काम ने की भंग उसकी साधना।

सामने अदना सा मानव जब खड़ा उसके हुआ!
तब हुआ आभास उसको ये भला क्यूँ कर हुआ?

श्रीराम जग की चेतना है संकल्प कर्तव्यों भरे।
सम्मान और हैं शक्ति सीते  दुष्टता उसको हरे।

प्रेम को पीड़ा में बदला ये दोष है सबसे बड़ा!
सर्वशक्तिमान युग का बिन शीश रण में था पड़ा।

हे राम कल की आस हो राष्ट्र नायक भी बनो।
उद्दंडता को फिर तुम्हारे बाण से सबकी हनो। वासना में लिप्त थी एक गंधर्व सी जो कामना।
मदयुक्त होकर हर रहा था प्रेम की आराधना।।

ज्ञान और संस्कार का जो था बड़ा विद्वान वह।
बस राग ईर्ष्या

वासना में लिप्त थी एक गंधर्व सी जो कामना। मदयुक्त होकर हर रहा था प्रेम की आराधना।। ज्ञान और संस्कार का जो था बड़ा विद्वान वह। बस राग ईर्ष्या #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #मनमेंरामबसेहैं #KKC722 #पाठकपुराण

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Hasanand Chhatwani

*जब हम गुरुघर जाकर सेवा करते हैं तो हमें नहीं मालूम होता हैं की जिस जीव की हम झूठी बर्तन धो रहे हैं, उसे खाना परोस रहे हैं, जिसका जूता साफ़ कर रहे हैं, वो जीव कैसा हैं, उसने कितनो का दिल दुखाया हैं कितनो को सताया हैं ।
 हम गुरुघर जाते हैं तो हमारी दृष्टि और मन एक हो जाते हैं और केवल यह जानते हैं की जिनकी हम सेवा कर रहे हैं वो साक्षात् परमात्मा हैं उसके अंदर मालिक का नूर हैं और हम सच्चे पातशाह की सेवा कर रहे हैं । 
ऐसे ही हमें असल ज़िंदगी में भी होना हैं, कोई कितना भी ग़लत या दुष्टता करे उसके साथ आप अभद्र या तुच्छ व्यवहार ना करे । 
बस यह जाने की वो मालिक का भेजा हुआ बंदा हैं ,
उसमें मालिक का नूर हैं वह आपको 
आपके कर्म से निजात दिलाने आया हैं । 
हर एक जीव चाहे वो दुश्मन हो या दोस्त सभी में वो परमात्मा समाया हैं । और जो सबसे प्रेम करे वही मालिक का सच्चा बंदा हैं ।*
✨✨✿꧂✽ *जब हम गुरुघर जाकर सेवा करते हैं तो हमें नहीं मालूम होता हैं की जिस जीव की हम झूठी बर्तन धो रहे हैं, उसे खाना परोस रहे हैं, जिसका जूता साफ़

*जब हम गुरुघर जाकर सेवा करते हैं तो हमें नहीं मालूम होता हैं की जिस जीव की हम झूठी बर्तन धो रहे हैं, उसे खाना परोस रहे हैं, जिसका जूता साफ़

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Divyanshu Pathak

प्रतिध्वनि के स्वर ने
रचनाओं की प्रभावशीलता बेजोड़ कर दी।
मैं आदर्णीय उषा शर्मा जी और श्री के.के
तिवारी जी सहित सम्पूर्ण टीम का आभारी
रहूँगा। https://youtu.be/VTFxVs6hnRw
💐💐💐
01. जय श्री राम
---------------------
वासना में लिप्त थी एक गंधर्व सी जो कामना।
मदयुक्त होकर हर रहा था प्रे

https://youtu.be/VTFxVs6hnRw 💐💐💐 01. जय श्री राम --------------------- वासना में लिप्त थी एक गंधर्व सी जो कामना। मदयुक्त होकर हर रहा था प्रे #yqdidi #yqtales #yqhindi #प्रतिध्वनि #पाठकपुराण

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Devesh Dixit

दशहरा 

दशानन की शक्तियां अनन्य थीं,
पर गुनाहों की सूची जघन्य थीं।
भक्ति कर ब्रम्हा जी से वर पाया,
पर मन से निर्मल नहीं हो पाया।
शक्तियों का उसे बहुत अहम था,
नहीं मरेगा वो कभी ये वहम था।
अधिक भक्त था वह महेश्वर का,
पर आभारी नहीं था देवेश्वर का।
राक्षस स्वभाव का था जो ठहरा,
दुष्ट था घात करता था वो गहरा।
द्वेष में उसने माता सीता चुराई,
श्री राम से ही उसने मुक्ति पाई।
आज दशहरा मनाते हैं हम सब,
पुतले को जलता देखते हम तब।
पर मन के रावण को कैसे मिटाएं,
जो भीतर हमारे, मुक्ति कैसे पाएं।
रावण के दुष्कर्मों को अपना लिया,
किस अधिकार से उसे जला दिया।
श्री राम के नहीं हैं हम रज भर भी,
उनके जैसा बन पाते हम सब भी।
संख्या ही नहीं बढ़ती अपराधों की,
सीमा होती दर्द भरी आघातों की।
नारी का भी जग में तब मान होता,
अगर संस्कारों का हमें ध्यान होता।
दशानन भी ऊपर से सोचता होगा,
मन ही मन वो भी तब कुढ़ता होगा।
पुतले को भी तो मेरे किसने जलाया,
जिसने दुष्टता को ही प्रतीक बनाया।
इतने बुरे दिन आ गए अब देखो मेरे,
अत्याचारी ही ये पुतले जला रहे मेरे।
अब कब आयेंगे फिर से वो श्री राम,
जिनके चरणों में ही करूं अब प्रणाम।
....................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #Dussehra 

दशहरा 

दशानन की शक्तियां अनन्य थीं,
पर गुनाहों की सूची जघन्य थीं।
भक्ति कर ब्रम्हा जी से वर पाया,
पर मन से निर्मल नहीं हो पाया।

#Dussehra दशहरा दशानन की शक्तियां अनन्य थीं, पर गुनाहों की सूची जघन्य थीं। भक्ति कर ब्रम्हा जी से वर पाया, पर मन से निर्मल नहीं हो पाया। #कविता

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Priya Gour

अगर मैं रावण होता तो अगर मैं रावण होता तो कहता मानव जात को,
बंद करो यह अत्याचार, बस करो अब ये विनाश,
मेरी किस्मत में लिखा था श्रीराम के हाथों मुक्ति पाना,
इसलिए मैंने हरिप्रिया का किया था हरण,
अधर्मी कह कर फिर मुझे पुकारा गया था,
अधर्मी में अगर होता तो सीता मेरे राज्य में पवित्र ना रहती,
और अपने पापों की सजा मैंने अपना कुल और राज्य खोकर चुकाई थी,
अपना सम्मान मान प्रतिष्ठा भी मैंने सब कुछ गवाई थी,
रावण का अहंकार-रावण का अहंकार कह कर तुम सबको ताना देते हो, 
अगर मैं रावण अहंकारी होता तो अंत में भी क्षमा की याचना नहीं करता, 
और ना ही श्रीराम लक्ष्मण को मेरे अंतिम दर्शन के लिए भेजते,
पर आजकल का मानव तो दुष्टता की हर हद पार कर चुका है,
उनमें ना दया बची है ना शर्मिंदगी,
हर साल दशहरा मनाते हो बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है,
पर मन तो तुम्हारे मैल से सने हैं और तुम दशहरा मनाते हो,
फिर किस अच्छाई की तुम उम्मीद लगाते हो,
आखिर हर साल रावण जलाकर तुम क्या साबित करना चाहते हो,
एक ही बार में अपने मन के रावण को क्यों नहीं जला देते,
ताकि संसार से सारे अपराध ही खत्म हो जाए,
 पुरुष पराई स्त्री को मां बेटी बहन समान समझे,
और स्त्री पराये पुरुष को पिता भाई पुत्र के समान समझे,
किसी की भलाई ना कर सको तो किसी का बुरा तो ना करो,
हां मैं रावण जिसे तुम हर साल जलाते हो,
अपने मन के रावण को फिर भी तुम सब कुशल बचाते हो,
असली दशहरा तो तभी जलेगा जब तुम अपने अंदर के रावण को खत्म कर दोगे,
अपने मन की सारी बुराइयों को मिटा दोगे
क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता इस दशहरे अपने मन के रावण को जलाना।। #अगर #मैं #रावण #होता #तो
अगर आज रावण होता तो रावण भी आज के समाज की दुर्दशा देखकर कहता कि अच्छा हुआ मैं बहुत पहले भगवान के हाथों मारा गया🙏🙏🙏

#अगर #मैं #रावण #होता #तो अगर आज रावण होता तो रावण भी आज के समाज की दुर्दशा देखकर कहता कि अच्छा हुआ मैं बहुत पहले भगवान के हाथों मारा गया🙏🙏🙏 #कविता #nojotohindi #nojotoapp #nojotopoem

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Bhaskar Anand

"मैं रावण हूँ"(एक संवाद रावण से) एक दिन मेरी रावण से स्वप्न में मुलाकात हुई, मैं उनका विशाल स्वरूप देख कर पहचान नही पाया, मैंने उनसे अनायास

"मैं रावण हूँ"(एक संवाद रावण से) एक दिन मेरी रावण से स्वप्न में मुलाकात हुई, मैं उनका विशाल स्वरूप देख कर पहचान नही पाया, मैंने उनसे अनायास

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Niwas

#letter to father परम पूज्यनीय जन्मदाता,कर्मदाता
मुझे बहुत दु:ख होता है ये देख कर कि पैसे के वजह से एक पूरा परिवार नष्ट हो गया है। वक़्त से बड़ा शक्तिशाली, वक

परम पूज्यनीय जन्मदाता,कर्मदाता मुझे बहुत दु:ख होता है ये देख कर कि पैसे के वजह से एक पूरा परिवार नष्ट हो गया है। वक़्त से बड़ा शक्तिशाली, वक #letter

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Upendraraj Devadhe

सूर्य धरण्याची मी केली चेष्टा 
हात पोळून घेतले
प्रेमाचा खरा झालो दृष्टा
दिल जाळून घेतले
           सप्तरंगी. दृष्टा

दृष्टा

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rahulpandey

ग़ज़ल 

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है |
माथे पे उस के चोट का गहरा निशान है ॥ १

वो कर रहे हैं इश्क़ पे संजीदा गुफ़्तुगू |
मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है ॥ २

सामान कुछ नहीं है फटे-हाल है मगर |
झोले में उस के पास कोई संविधान है ॥ ३

उस सर-फिरे को यूँ नहीं बहला सकेंगे आप |
वो आदमी नया है मगर सावधान है ॥ ४

फिस्ले जो उस जगह तो लुढ़कते चले गए |
हम को पता नहीं था कि इतनी ढलान है ॥ ५

देखे हैं हम ने दौर कई अब ख़बर नहीं |
पावँ तले ज़मीन है या आसमान है ॥ ६

वो आदमी मिला था मुझे उस की बात से |
ऐसा लगा कि वो भी बहुत बे-ज़बान है ॥ ७

-- दुष्यंत कुमार✒️

©rahulpandey दुष्यत कुमार

दुष्यत कुमार

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KK Mishra

 दुष्ट और सांप

दुष्ट और सांप #nojotophoto

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Rahul Shastri worldcitizens2121

July 2,2019

"दुष्ट की पहचान"

दुष्ट लालच के कारण आपका सबसे ज्यादा आज्ञाकारी होगा तथा दुष्टता और लालच के कारण आपसे चिपका रहेगा।
और मौका बना कर डसेगा। "दुष्ट की पहचान"

"दुष्ट की पहचान"

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S Ram Verma (इश्क)

मेरी तबीयत में ये जो शिष्टता है ;
तुम्हारे नाम से मेरा वो ही रिश्ता है ! #Relationships #तबियत #रिश्ता #शिष्टता #इश्क #sramverma
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Aawaz Zindagi Ki

दुष्ट की विद्या...| #Reels

दुष्ट की विद्या...| #Reels #ज़िन्दगी

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Balaram RD

न तो हर अमीर आदमी महान होता है और न ही कंजूस।
वैसे ही हर एक गरीब न तो विनम्र होता है और न ही दुष्ट।

©Balaram RD #महान
#कंजूस
#विनम्र
#दुष्ट
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manoj kumar jha"Manu"

लज्जावान पुरुष को शिथिल, व्रतधारी को दंभी, 
पवित्र को कपटी, शूर को निर्दयी,  
सीधे को मूर्ख, प्रिय कहने वाले को दीन,
 तेज को गर्वीला, वक्ता को बकवादी और 
स्थिर चित्त वाले को आलसी कहते हैं- 
इससे यह जान पड़ता है कि गुणियों में 
कौन सा ऐसा गुण है कि 
जिसे दुष्ट लोगों ने कलंक 
नहीं लगाया।
(भृर्तहरि नीतिशतक ५४) अकारण दुष्ट कलंक लगाते हैं

अकारण दुष्ट कलंक लगाते हैं

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Deepa Didi Prajapati

शक्ति प्राप्त कर दुष्ट
पाप करने से नहीं डरता,
तू सब देख रहा है ईश्वर
फिर इंसाफ क्यूं नहीं करता?

©Deepa Didi Prajapati 
  #दुष्ट #पाप#ईश्वर का इंसाफ
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