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- Arun Aarya
ए ख़ुदा मेरे जैसे किसी को तरक्की मत देना ! पैसों की गड्डी देना बेशक़ ग़मो की गड्डी मत देना..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #devdas #ग़मो की गड्डी मत देना
mayur Sharma
बागो से खुसबू की जगह आज गंद आती हैं वक़्त के साथ इंसान भी बदल जाता हैं जब उसके पास नोटों की गद्दी आती हैं नोटों की गड्डी आती हैं।।।,,,।।।,,,,।।।।,,,,,। ।।।। pooja negi# Ritika suryavanshi bickeymandal KARUNESH Royal Haridwar Satyam
Lokesh Mishra
नोटो की गड्डी पर बैठकर,पुण्य ना कमा पाए, जीते जी कुछ करना था वो ना कर पाए, करना था किसी का जो भला,घमंड में रहे नचाए, मर कर क्या खाक करोगे, धन,संपदा,महल सब रह गए पीछे,अब रहे पछताए, नोटो की गड्डी पर बैठकर,पुण्य ना कमा पाए, जीते जी कुछ करना था वो ना कर पाए,✍️✍️
Rajat Agarwal (Melting Philosophy)
Due to being warm pockets and a bullet under the bum, status of human being will not change. Our humanity, civility and our true tongue makes us a man whether we are rich or poor. आपके नीचे बुलेट होने से या जेब में नोटो की गड्डी होने से इंसान की औकात नही बदल जाती। इंसान की इंसानियत उसको बड़ा बनाती है। चाहे वो अमीर हो या
Mr Hancy
अज्ञात
पेज-98 सात फेरे हुये और कब दुल्हन दूल्हे के वामांगी बैठी इसे आसन परिवर्तन कहते हैं..पुरोहित जी ने दोनों को दाम्पत्य के सात वचन पढ़कर सुनाये दोनों से वचन निभाने की प्रतिज्ञा ली और उत्तर दिशा में स्थित ध्रुव तारे का महत्व समझाते हुये दूल्हा दुल्हन को ध्रुव दर्शन कराया.. और अब कन्या के माता पिता वर वधु के चरण धोकर अपने सिर माथे सिरोधार्य करेंगे.. इसे पाद प्रच्छालन कहते हैं.. अब आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-98 दूल्हे ने अपनी अर्धांगिनी की मांग में सिंदूर भरा.. मंगलसूत्र उसके गले में पहनाया... और तब दोनों ने अग्निदेव को साक्ष
Pankaj Singh Chawla
निक्की जेहि कूड़ी (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) परम की कहानी (भाग-4) जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है, यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है, यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व
Nisheeth pandey
चार लाइन चिकित्सक को समर्पित , जो आधुनिक तकनीक पर पूर्णतः चिकित्सा को दलाली का धंदा में परिवर्तित कर दिए । अगर आपको सहीं लगे तो शेयर करें ।धन्यवाद ! लाशों के मांस के लोथड़े को चीड़ फाड़ कर बेच रहे हैं धरा के भगवान ..... गिद्ध बने पड़े हैं न दया है न धर्म ये कैसा हो गया इंसान ..... रोग ने जिसे लाचार किया उसे लुटा जा रहा बेचा जा रहा , मातम लिख रहा रोगी के माथे पर पहले ....फिर दवा के पुर्ज़ा पर भगवान का ईमान .... चीख रहा है गांव से शहर तक की हर गलियां ....कौन यहां शैतान कहाँ है इंसान .... रुपयों की गड्डी पर अधमरा रोगी साँसे ले रहा यहां .... नोट नहीं जिसके पास वो बस जिंदा है भाग्यभरोसे यहां ........ 🤔 #निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey चार लाइन चिकित्सक को समर्पित , जो आधुनिक तकनीक पर पूर्णतः चिकित्सा को दलाली का धंदा में परिवर्तित कर दिए । अगर आपको सहीं लगे तो शेयर करें ।ध