Nojoto: Largest Storytelling Platform

New साजूक तूप Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about साजूक तूप from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, साजूक तूप.

    PopularLatestVideo

sandy

दिवाळीच्या पंधरा दिवस आधी घराघरात खमंग वास सुटायचे एकमेकांच्या मदतीला सगळेच धावायचे लाडू चिवडा चकली करंज्या कडबोळी,शेव भलतीच मज्ज्या आक #story #nojotophoto

read more
 दिवाळीच्या पंधरा दिवस आधी 
घराघरात खमंग वास सुटायचे 
एकमेकांच्या मदतीला सगळेच धावायचे 
लाडू चिवडा चकली करंज्या 
कडबोळी,शेव भलतीच मज्ज्या

आक

ganesh kadam

प्रेम हे खूप नाजूक असतं

read more
mute video

Gokul Patil

इतकी नाजूक ... #poem

read more
इतकी नाजुक की जेव्हा
ती पावसात जाऊ बघते
भीती वाटते कारण जळात 
साखर क्षणात विरघळते 
इतकी नाजुक…… इतकी नाजूक ...

Tarakeshwar Dubey

नाजूक रिश्ता #Shades #कविता

read more
नाजूक रिश्ता
-----------------

तू छुईमुई की कोमल पत्ती, मैं कांटों का चुभन हूं,
तू काश्मीरी नाजूक कली, मैं मरु का सूखा चमन हूं। 
तू मेहदी की प्रेम रंग, मैं शोणित समरांगन हूं,
तू जन मनभावन फूहार, मैं गरजता वेग पवन हूं।
कैसे होगा अपना मिलन, मेरे मेहबूब बता तू?
मझधार मे है कश्ती मेरी, कोई पतवार बता तू।

गुणों में है कुछ हेर फेर, तुम्हारी बात सही है,
मन में उपजे भेद भाव, तुमने सब ठीक कही है।
प्रकृति का यही भेद एक को, दूजे से है मिलाता,
रिक्तता की पूर्ति में एक, दूजे का पूरक बन जाता।
आओ मेरे हृदय समीप, आलिंगन तुम्हारा कर लूं,
फासले हमारे दरमियां जो, उसे दूर मैं कर दूं।

रहे साथ में मिलकर ऐसे, खिले फूल चमन हों,
प्रेम बंधन में बंधे ऐसे, कोई देवदूत बरन हो।
प्रेम की ऐसी झड़ी लगा, कायम करें मिशाल,
जिसकी अमर ध्वनि नभ में, गूंजे सालों साल।
मिलकर साथ हम दोनों, सृष्टि की विधि अपनायें,
साथ साथ हर्षित होवें, औरों को भी हर्षायें।

©Tarakeshwar Dubey
  नाजूक रिश्ता

#Shades

Kamlesh Mathur

मेरा नाजूक सा दिल ....... #शायरी

read more
काँच सा दिल मेरा 
और वो मुझे झटका देकर चले गए
मै तो सजो कर रखना चाहंता था अपने इस दिल में 
पर वो नाजूक से दिल पर हथोड़े का बार करते गए।। मेरा नाजूक सा दिल .......

Pushkar Bhardwaj

तड़प तडप तड़प #भारद्वाज

read more
बड़े दिनों बाद उन गलियों में आया हूँ
कुछ गुजरे पलों की बिखरी किताब लाया हूँ
एक बुढ़िया थी जो अक्सर दरवाजे पर बेठा करती थी
शहर से आने वाली हर गाड़ी को निहारा करती थी
एक बिखरे से कागज पर कुछ नम्बर बताकर
हर किसी से फोन मिलाने की अरदास किया करती थी
मेने अक्सर उसकी दहलीज पर बिखरते निवालों को देखा था
अपनों की याद में बूढी निगाहों को तरसते देखा था
पर अफसोस आज उन पेड़ों में पतझड़ आया है
शहर से कोई ना मिलने आया है
हाल देख उसकी बदहाली का
अर्थी पर सजे फूलो में लिपटे कफन में सुलगता उफान आया है
                                                        #भारद्वाज पुष्कर तड़प
तडप
तड़प
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile