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Rajesh Sharma
मोररा री धरती, धोरा री धरती प्रचंड शौर्य और शक्ति री धरती पगड़ी म्हारी शान, मावड़ी बोली म्हारी पीछाण जय जय राजस्थान © Rajesh Sharma मोररा री धरती, धोरा री धरती प्रचंड शौर्य और शक्ति री धरती पगड़ी म्हारी शान, मावड़ी बोली म्हारी पीछाण जय जय राजस्थान #WallTexture
Divyanshu Pathak
मुझे अच्छा लगता हैं मन का आवारा पन विचारों की स्वच्छन्दता भावनाओ का प्रस्फुटित होना। मुझे अच्छा लगता है अनुबंधों को तोड़ना रूढ़ियों को छोड़ना अनुभवों को जोड़ना बृज की मस्ती देव भूमि की भक्ति धोरारी धरती की शक्ति मुझे अच्छी लगती है। मुझे 'प्रेम' करना पसन्द है । 'वियोग' से 'योग' की ओर जाना भी मुझे 'कृष्ण' भी पसन्द है 'राधा' भी । मुझे आद्या पसन्द है मुझे यौवनं भी मुझे 'क्षर' भी पसन्द है तो 'अक्षर' भी मेरी अपनी पसन्द..... : : कृष्ण - ऐश्वर्य (ज्ञान और कर्म का मिला जुला स्वरूप) राधा - प्रेम की सरलता (व्यवहारिक रचनाशीलता) प्रेम - सामंजस्य (स
Divyanshu Pathak
मुझे अच्छा लगता हैं मन का आवारा पन विचारों की स्वच्छन्दता भावनाओ का प्रस्फुटित होना। मुझे अच्छा लगता है अनुबंधों को तोड़ना रूढ़ियों को छोड़ना अनुभवों को जोड़ना बृज की मस्ती देव भूमि की भक्ति धोरारी धरती की शक्ति मुझे अच्छी लगती है। मुझे 'प्रेम' करना पसन्द है । 'वियोग' से 'योग' की ओर जाना भी मुझे 'कृष्ण' भी पसन्द है 'राधा' भी । मुझे आद्या पसन्द है मुझे यौवनं भी मुझे 'क्षर' भी पसन्द है तो 'अक्षर' भी "एक अनदेखा ठहराव" 💐💐💐💐💐💐 मुझे अच्छा लगता हैं मन का आवारा पन विचारों की स्वच्छन्दता भावनाओ का प्रस्फुटित होना। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 मुझे अच्छा लगता है अ
Ran parmar
"आ सावन धरती धोरा री" आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet - Ran parmar आ सावन धरती धोरा री
Ran parmar
'आ सावन धरती धोरा री' आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet- Ran parmar आ सावन धरती धोरा री #solace