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S.B

डरते नही हम रकीबो की रियासत से, बहुत काट ली जिंदगी जमाने की हिदायत से बस जान लिया मिलता नही कुछ भी शराफत से, की लिखा जाता है इतिहास अकसर बगा #Love #vichar #Nojotoindia

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डरते नही हम रकीबो की रियासत से,
बहुत काट ली जिंदगी जमाने की हिदायत से
बस जान लिया मिलता नही कुछ भी शराफत से,
की लिखा जाता है इतिहास अकसर बगावत से।।
Sbs dil se,,, डरते नही हम रकीबो की रियासत से,
बहुत काट ली जिंदगी जमाने की हिदायत से
बस जान लिया मिलता नही कुछ भी शराफत से,
की लिखा जाता है इतिहास अकसर बगा

Ganesh Singh Jadaun

*अगर यही के हो,* *तो इतना "डर" कैसे,* *मगर चोरी से घुसे हो,* *तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??* अगर तुम "अमनपसंद" हो, तो इतनी "गदर" कैसे? जिसे ख

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*अगर यही के हो,*
*तो इतना "डर" कैसे,*
*मगर चोरी से घुसे हो,*
*तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??*

अगर तुम "अमनपसंद" हो, 
तो इतनी "गदर" कैसे?
जिसे खुद "खाक" कर रहे हो, 
वो तुम्हारा "शहर" कैसे??

कल तक सिर्फ कोहरा था, 
मेरे शहर की फिजा मे,
आज नफरत का धुआं है, 
तो सुहानी "सहर" कैसे?

इजहार ए नाराजी करो,
आईन(constitution)की जद मे,
मगर गली कूंचों में,
इतनी "मजहबी लहर" कैसे?

सिर्फ लहजा सख्त होता,
तो हम चुप भी रह लेते,
मगर तुम्हारे लफ्जो और नारो मे
"जिहादी जहर" कैसे?

सियासत से खिलाफत करो, 
हमे कोई गिला नही है,
रियासत से दगा होगी,
तो हम करें "सबर" कैसे?

*अगर यही के हो,*
*तो इतना "डर" कैसे?*
*मगर चोरी से घुसे हो,*
*तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??* *अगर यही के हो,*
*तो इतना "डर" कैसे,*
*मगर चोरी से घुसे हो,*
*तो ये तुम्हारा "घर" कैसे??*

अगर तुम "अमनपसंद" हो, 
तो इतनी "गदर" कैसे?
जिसे ख

Kunal Rajput (नज़र نظر)

#nazm ~ सफ़र ए मोहब्बत ( नज़्म ) ~ मोहब्बत गुज़रती है तोहमत से होके गुज़रती है फिर वो ही रहमत से होके इनायत से होके ,अक़ीदत से होके झिझक से #नज़र #tereliye #एक_ख़याल

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

रियायत में सियासत #कविता

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रियायत में सियासत हो रही है
पानी मे अब आग हो रही है
जिसको पूंछते है,वो रोता है,
फूलों से खुश्बु ही खो रही है

नाम लेते वो नेकी के काम का
पेट भर लेते है खुद के नाम का
गरीबी पे बड़ी राजनीति हो रही है
रियायत में सियासत हो रही है

जिनके लबों पे हंसी चाहिये,
उनके लबों पे आग हो रही है
जिनके पहले से ही घर भरे है,
उनके घरों पे भुखमरी हो रही है

आजकल तो बिना चले ही यारों,
मंजिल से मुलाकात हो रही है
पर एकदिन तो ये दरिया सूखेगा,
ये भ्र्ष्टाचार का भांडा फूटेगा,

ईमानदारी की राह चलने से ही,
हमारी गिनती सितारों में हो रही है
रियायत में अब रियासत नही हो,
आंख में किसी गरीब के नीर न हो,

इसके लिये हमारी ईमानदारी,
हमारी सत्य के प्रति वफादारी,
भ्र्ष्टाचार के प्रति हिम्मत भारी,
इनसे ही दुनिया अच्छी हो रही है

दिल से विजय रियायत में सियासत

Diwan G

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