मेरे कारोबार में सबने बड़ी इम्दाद की
दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की
अपनी साँसें बेचकर मैंने जिसे आबाद की
वो गली जन्नत तो अब भी है #शायरी#ग़ज़ल#राहत_इंदौरी
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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चलें जायें यहाँ से जो किसे फिर याद आयेंगे ।
नहीं अपना यहाँ कोई कहें जो बाद आयेंगे ।।
मिलाकर तुम कदम चलते सुनो हम साथ में होते ।
मगर अब तो त #शायरी
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Diversity channel
कुछ इश्क़ लखनऊ जैसा हो,
कुछ बिखरे कागज़ों में सिमटा हो
कुछ दिल का टुकड़ा जैसा हो
कुछ इश्क़ मधुबन जैसा हो।
शाम की चमचमाती आखिरी रोशनी को #yqbaba#yqdidi#yqdivya