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SUmeet arora
जिवे, कहने वाला ही जानता है,की सोच की गल कीती करने वाला ही जानता है,उने कीनी कीती ओवे ही सहने वाला ही जानता , ओदे ते की बीती...!!! ©SUmeet arora #ओवे #ओदे # बीती #पंजाबी #दिल #alone
Siddharth shrivastav..#
प्रेम शर्मीला होता है और प्यार ओपेन माईंड ❤ प्रेम शर्मीला होता है और प्यार ओपेन माईंड ❤
Sumit Kamboj
Roshan-nama
सामने से हट जाना जब समंदर से कोई धार आएगा अगर इसे रोका गया तो याद रखना बाढ़ आएगा रोको मत
Doli dk
कोई इसे रोक ले आज एक बहन को जाना जिसे दहेज के कारण मिली प्रताड़ना डर लगता है एसे जिन्दगी से कहीं खुशियों के जगह रिश्ता बन न जाये मौत से दहेज के कारण बनाया गया बिकलान्ग तीन मंजिले से फेंक कर दिया शरीर का अंग भंग मानवता तो यहाँ खत्म हुआ लोगो का और कोई सहायता न मिली, उम्मीद भी क्या है लोगों का फिर भी हार न मानी जिन्दगी जीने के लिए सतरह साल इन्तज़ार किया अपना इतिहास बनाने के लिए जब ओ मिली नमो से निकली आँसू की धारा व्यथा अपनी कहकर मेहसूस की कोई है अब मेरा भी सहारा नारी सशक्तिकरण चित्रकला देकर अपना बताई हुनर पहचान अब बनना है दहेज प्रथा रोकने का है गुण कह रही थी खत्म करना होगा इसे खत्म करना होगा न बहनें रहेगी न माँ रहेगी, न बहू रहेगी ,किसी की बेटी अत्यचार क्यूँ सहेगी😭😭😭🙁 #NojotoQuote दहेज रोको
Diamond city
खुद को समझें रूह तू,तुझे देह की भूकll तेरे देह की खेल मे,लुटती मिटती रूहllllllll पटेल बलात्कार रोको llllll
Komal Ahirwar"मूकनायक2"
"बलात्कार" जैसी हैवानियत को रोकने के लिए भारत मे सबसे पहले (1) नशा मुक्त कानून लागू होना चाहिए। (2) शोषल मीडिया पर अश्लीलता रोकने कड़ा कानून लागू होना चाहिये। बलात्कार रोको अभियान
Aditya Kumar Bharti
बहुत जिद्दी हो हमारी बात नहीं मान रहे हो, नहीं ठीक है तुम्हारे आसार अभी हमारी ताकत से नहीं हो वाकिफ हमने ही बनाई है तुम्हारी सरकार अड़ियल रवैया वाला बिल्कुल ग़लत है तुम्हारा विचार जन समस्या के समाधान से करो थोड़ा सरोकार नहीं तो छप जाएगा इन खबरों से एक नया अखबार तुम्हारी कड़ी निंदा से भरा होगा हर समाचार रेल रोकने से नहीं घटेगा तुम्हारा फलता फूलता व्यापार आरक्षण केंद्र देने से नहीं बढे़गा अतिरिक्त भार प्रशासन में कुशासन का कभी रहता नहीं है आधार जनता सब जानती है मत करो अब और अत्याचार भयंकर भूल में भी हो सकता है सुधार नियत साफ़ हो तो फैसला लो बिना रुके असरदार गांधी की तरह भूख हड़ताल करने को जनता है तैयार मगर परिणाम पक्ष में न आया तो भगतसिंह फिर लेगा इस धरती पर अवतार नरम दिल और दल को गरम दिल और दल बनने पर मत करो बेकरार ध्यान दो समस्याओं की ख़त्म करो ये बढ़ती हुई कतार रेल न चलाकर तुमने किया है लाखों को बेरोजगार इसका जवाब कौन देगा बरखूरदार तुम निरिह जनता का करते हो शिकार और बनते हो जरुरत से ज्यादा होशियार आम जनता के हिस्से प्रहार पर प्रहार बड़े उद्योगपतियों को छूने के लिए सोचते हो सौ बार यही तुम्हारी शासन व्यवस्था होती है बेकार जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता का यही चोचला है मजेदार जनता की तकलिफें बेसुमार सुनोगे किस कान से तुम तो मूकबधिर हो यार आक्रोश आंदोलन का ले रहा है आकार हद तो तब हो गई है कि अब भी घोड़ा बेचकर सो रहे हो रेल प्रशासन के कर्णधार रेल किराया बढ़ाकर तुमने किया है हम पर बहुत बड़ा आभार करोना काल की जबरदस्त लूट है या बन गए हो डाकूओं के सरदार किराया हो न्यायसंगत तो आपको सादर नमस्कार नहीं तो पटरियों सहित स्टेशन भी हो जायेगा पार हम रेल मंत्रालय नहीं मांगते हमें चाहिए बस हमारा उचित अधिकार जीवन की इस यात्रा में रेल यात्रा की है दरकार चिकित्सा, व्यापार, शिक्षा, नौकरी, रोजगार के खुले द्वार सौ बात की एक बात यही है सबका सार ट्रेन चलाइए सही से शुरू हो संचार बहु प्रतीक्षित ग्रामीण जनता का सपना हो साकार आपके सहयोग से इस क्षेत्र का विकास हो अपरम्पार ©Aditya Kumar Bharti #रेल रोको आंदोलन
Gunjan Arora
समाज को बाल भीख एवम् नशा मुक्त बनाने में सहयोग करें, समाज भीख ना दें तो सुधर सकते हैं बाल भिखारी और उनके भीख मंगवाने वाले माता पिता इनको शिक्षा और समाज की मुख्य धारा से जोड़ पिछले कई सालों से वीरांगना टीम हल्द्वानी में बल भीख रोकने का प्रयास कर कई बच्चों की ज़िन्दगी में रंग भर चुकी है, लेकिन कुछ बच्चों के लिए प्रयास करने के बाद भी कोई रास्ता ना मिल पाने का कारण उनके माता पिता, हमारी सरकारें, प्रशाशन, और पुण्य कमाने की होड़ में दान देने वाला समाज है, अभिभावक ही मासूमों को भीख मांगने, श्रम करने को मजबुर और नशा करने को आज़ाद छोड़ रहे हैं, इसकी हकीकत, मंदिरों, मस्जिदों, बा स्टेशनों में माता पिता के साथ भीख मांगते बच्चों को देखने से साफ हो गई है, बाल अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा कार्य पर जाना प्रतिबंधित किया गया है, साथ ही बाल भीख कानूनी रूप से अपराध घोषित हो चुका है, लेकिन फिर भी खुले आम इसकी धज्जियां उड़ रही हैं, वहीं दूसरे जिलों से भी बच्चे उत्तराखंड आकर भीख को अपनी रोज़ी रोटी का साधन बनाकर नशे के आदी खुद भी बन रहे हैं और अन्य बच्चों को भी बना रहे हैं, क्या यही बदलते भारत का सपना और भविष्य होगा, हल्द्वानी,कालू सांई मन्दिर रोडवेज, अन्य जगहों, पार खुले आम माता पिता आपने बच्चों से भीख मंगवाते नजर आते हैं, हकीकत ये ह की इनके माता पिता उनके भीख से नशा और माता घर के खर्च चलाने के लिए अन्य बच्चे पैदा करने के साथ इनको भीख मांगने के लिए भेजते हैं, पैदा होते ही बच्चों कमाई का साधन बन जाता है, जिससे भिखारियों की तादात बढ़ती का रहीं है, सोचिए हम हम आपके कर्म से दानी बनकर अपने समाज को खतरे की तरफ ले जा रहे हैं, वर्तमान तक इनके पुनर्वास के लिए प्रसाशन, और समाज के पास कोई कारागार समाधान नहीं है, इन बच्चो के माता पिता पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, जिससे बच्चे आगे चलकर समाज के नाम पार बदनुमा दाग न बन जाए, भीख मांगते , श्रम, नशा करते बच्चे, क्या? बाल अधिनियम के अन्तर्गत नहीं आते, ऐंसा भी नहीं है की ये मासूम बच्चे आम खास, नेता और उच्च अधिकारियों के नजर में नहीं आते, इनका काम ही भीड़ भाड़ वाले जगहों में, चोरी करना नशा करना आदि होता है, इन्हें गली मोहल्लों, बाजारों, दुकानदारों, बस टेंपों, सिनेमा हॉल के बाहर एवं ठेलों में भीख मांगते देखकर भी इनके प्रति किसी भी सामाजिक संगठनों, सेवकों द्वारा आवाज़ नहीं उठाई जाती क्या ये समाज की गंभीर स्थिति नहीं है?बचपन से भीख मांग रहे यह बच्चे बड़े होकर क्या इसी तरह भीख मांगते हुए कुटेबों का शिकार होकर अपराध में लिप्त होकर अपना और अपने परिवार को पालने में सक्षम हो पाएंगे या हम जैसे दान दाताओं के भरोसे अपनी ज़िन्दगी गुजारने में कामयाब हो सकेंगे, यही लोग चोरी, बलात्कार, हत्या, अपराध जैंसी घटनाओं को अंजाम देने में सबसे आगे रहेंगे, सवाल है कि हमारी सरकारें इन बाल भिक्षा,श्रम, नशा, करने, वाले बच्चों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में कितनी ऊर्जा खर्च करती हैं, क्या हमारी सरकारें उनके माता पिता को वोट देने का अधिकार देकर सिर्फ अपने मुद्दे हल करेंगी, या इनके बारे में सोचकर इनके लिए कोई समाधान निकलेंगी, बाल भिक्षाव्रत्ती के लिए वो लोग भी जिम्मेदार हैं जो बच्चों को दया का पात्र समझकर भीख देने के लिए हर वक्त तेयार हो जाते हैं, और दान देकर बच्चे के भविष्य के साथ खिल्डवाड़ करते हैं, आप सबसे विनती है की बच्चों को भिक्षा नहीं शिक्षा दीजिए। निवेदनकरता श्रीमती गुंजन बिष्ट अरोरा, वीरांगना हल्द्वानी बाल भीख रोको