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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
तरस गए अरमां, ख्वाहिशें ना रही मेरी कोई देखा सभी तो हैं अपने, गैर थोड़े है यहाँ कोई ©अनुषी का पिटारा.. #बेवसी #बेबसी #अनुषी_का_पिटारा
Mokshada mishra
mohabbat ki ahat ko aur ishq ki likhawat ko badal pana aasan nahi hai ae dost ज़रा सी समझ की फेर में अर्थ का अनर्थ कर देती हैं । कलम with mishraji ©Mokshada mishra अर्थ का अनर्थ #Morning
SATISH JATAV
क्या लिखूं की तुम समझ पाओ मेरी बेबसी ,कहना हमे आता नहीं और आप बिना कहे समझोगे नहीं । कह दिया तो दिल जला बैठोगी अपना ,बुझाना हमे आता नहीं। बेबसी दिल की
ज़िंदादिल संदीप
बेरुखी का आलम क्या बयां करे अब हम जनाब.. दर्द इतने मिले है ..फिर भी रोते नहीं हम बेहिसाब... यूं तो मुमकिन हूं मैं भी और तू भी इश्क़ में ए ज़िंदादिल.. मसहलतन कब कभी आख़िर ..पैरो से रौंदे जाते है गुलाब?? फूलों की बेबसी..
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
आदमी कितना बेबस हो जाता है जब वो साठ वर्ष का हो जाता है ऊपर से बंद हो गर उसकी पेंशन, बेटों का ही वो नोकर हो जाता है कैसे सँस्कार आ गए हम लोगो में आंखे ही सूख गई अब तो रोने में आदमी कितना बेबस हो जाता है जब वो साठ वर्ष का हो जाता है स्त्री तो वृद्ध होकर भी जी लेती है, अपने आंसू छिप-छिप पी लेती है, उससे बहु का कुछ काम हो जाता है पिता उनके लिये बोझ हो जाता है क्योंकि पिता की सारी जायदाद का, मालिक जो साखी वो हो जाता है बेटों के आगे वो भिखारी हो जाता है जब वो साठ बरस का हो जाता है बुढापे में पुरुष पत्थर हो जाता है बेटों के लिये वो फ़ालतू हो जाता है आदमी कितना बेबस हो जाता है जब वो साठ वर्ष का हो जाता है ये आज कैसी परिपाटी चल रही है, अपने ही खून से जिंदगी छल रही है, पत्नी में तू कितना गिर हो जाता है हीरे को तोड़ कितना शीशा हो जाता है इस जीवंत खुदा की तू ईबादत कर हरवक्त इस ख़ुदा को तू सजदा कर इस जीवित भगवान के आगे तो, वो ख़ुदा भी बहुत छोटा हो जाता है अब अपनी बेबसी को तू छोड़, जिंदगी को दे तू स्वर्णिम मोड़, माता-पिता की सेवा करने से तो, बंद चराग भी रोशन हो जाता है दिल से विजय आदमी की बेबसी
Kumud Mishra
चेहरे की खूबसूरती पर तो सभी मरते हैं कोई दिल के जख्म की बेबसी पर मरे तो जाने। ©Kumud Mishra जख्मी की बेबसी
priya rai
अब क्या किसी से उम्मीद करू जिसे दिल से चाहा वही दग़ा दे गया #दिल की बेबसी
Sandeep Agarwal
तड़पे मोह्हबत पाने की उसकी बहुत मगर इजहारे इश्क कर न पाए मेहंदी हाथों पर लगी उसके जब दूसरे के नाम की बर्दाश्त दिल न कर पाया ज़िन्दगी खत्म करने पर अपनी उतर आया बेबसी तो देखो यारो जीते जी तो मोहहबत का पैगाम न भेज पाया मगर मौत का पैगाम पहुँचा दिया..... बेबसी प्यार की
गूँजन
खुदा ने भी क्या कमाल बनाया है जब दे न पाया मेरे गमो का हिसाब तो तोड़ा, मोड़ा और बेबसी के सबूत के लिए कहा उसने कुछ ऐसा ही तेरा ये नसीब बनाया है ........... #बेबसी #तकदीर #की