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DrRavikirti Didwania
Sound Similar but Meaning Different Challenge People Become Too "Sel-fish" Sailing Somewhere else and Phishing Someone else... #ravikirtikikalamse #selfishworld #yqdidi #yqbaba #nazariya_badlo_janab #phishing #paraya #waqthitujebatayega द्विअर्थी समानार्थी शब्द प्रय
brijesh mehta
तेरे और उनके प्रेम में जमीन आसमान का फर्क है तेरे प्यार में शक है, वहम है, भरोसा नहीं है। तेरा प्यार तुझे बहुत रुलाएगा, बहुत तड़पाएगा। — % & प्यार, प्रेम, विश्वास, भरोसा सब समानार्थी शब्द है। 💞💞 #मंमाधन #brijeshmehta #manmadhan #lovequotes #lifequotes #lovestory
sarika
वो नादान नदी इश्क समुंदर से कर बैठी अपने अस्तित्व की परवाह किए "बगैर" वो "बावरी" समुंदर में मिल बैठी वो नादान नदी इश्क समुंदर से कर बैठी..।। -:sarika:- #नदी
Rajendra Kumar Ratnesh
नदी """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा है , हर्षित हैं सर्व प्राणी वहाँ, जहाँ-जहाँ तूने पाँव पसारा है ।। रोम- रोम धरा का पुलकित , प्राणी मिटाते प्यास जहाँ किनारा है, तू इर्ष्या-द्वेष ,न अभिमान की धारा है ।। नतमस्तक सर्व प्राणी आगे तुम्हारे, युगों-युगों तक चले तेरे सहारे। कृति तुम्हारी धरातल पर पाँव पसारा है । तू इर्ष्या -द्वेष,न अभिमान की धारा है ।। सीख मानवता को दे रही तू एक संदेश में, सर्व प्राणी हितकारी बढ़े चलो, सुख-दुःख दोनों तीरों के भेष में । निगलते जा रहे अब मानव तुझे, बने और सब प्राणी बेसहारा हैं । न इर्ष्या-द्वेष,न अभिमान की धारा ।। --------------------------------------------- रचनाकार-राजेन्द्र कुमार मंडल जन्म-10-02-1996 पता-ग्राम +पोस्ट-रामविशन पुर ,ward-06 थाना-राघोपुर,जिला-सुपौल बिहार-852111 Mob-9771199373 E-mail -rajendrakrmd97711@gmail.com नदी
अनुवाद
पर्वत का सीना चीर कर अवतरित हों दुर्गम रास्तों से प्रवाहित होना सदा बहते रहना मेरा चरित्र है अच्छे बुरे का भेद भुलाकर सबकी प्यास बुझाना मेरी आदत कोई मुझे माँ कह के पुकारता है कोई करता है अपनी प्रेयसी से तुलना कुछ करते हैं मुझे मलीन कुछ चाहते हैं मरकर मुझमें घुलना पर मैं नदी हूँ और मेरा उद्देश्य है बस अपने सागर से मिलना ©अनु उर्मिल"सर्वदा आशावादी" #नदी
Ombir Kajal
समंदर था खफा, तो नदी तालाब की ओर बहने लगी, तू ही तो है अब मेरा, नदी उससे कहने लगी, मगर जब तालाब पाया छोटा, तो फिर समंदर का रुख किया, अपनी ना समझी से उसने, तालाब को भी दुख दिया, फिर से एक बार नदी, समंदर की तरफ बहने लगी, मगर कुछ बूंद तो उसकी अब, तालाब में भी रहने लगी। ✍✍✍ Ombir Kajal ©Ombir Kajal नदी