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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Dr Mangesh Kankonkar
Good Night अंधेरा जीतना घना होता है, दिया उतनाही ज्यादा रोशनी और उम्मीद देता है। ©Dr Mangesh Kankonkar उम्मीदों का उजाला
CK JOHNY
अमावस की अंधेरी रात में उजाला है तू काल की नगरी में मेरा रखवाला है तू। तू न होता तो मैं भवधारा में बह गया होता नाम नय्या का सतगुरु मेरे खेवनहारा है तू। ठुकराया जिन्हें दुनिया ने गरीब जान कर गरीब नवाज दीन-दुखियों का सहारा है तू। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 17.07.2020 अमावस का उजाला
CK JOHNY
अमावस का छाया अंधेरा पूर्णिमा का चाँद खिला जा कि गुरु पूर्णिमा है बेनूर जिंदगी में नूर अपना बरसा जा कि गुरू पूर्णिमा है। सत्संग को तरस गये नीरस जीवन हुआ तू आके सत्संग सुना जा कि गुरु पूर्णिमा है। नयन ताक ताक हारे तेरी बाट तू आके दरस दिखा जा कि गुरु पूर्णिमा है। इस बेचैन दिल को कुछ नाही सूझे तू आके इस दिल को समझा जा कि गुरु पूर्णिमा है। मन लगे न मेरा राम नाम में तू भजन सिमरन करवा जा कि गुरु पूर्णिमा है। मेरी नय्या डूब रही बीच भंवर में नय्या मेरी तू आके पार लगा जा कि गुरु पूर्णिमा है। बिरह अगन में झुलस रहा तन बदन तू आके बिरह अगन बुझा जा कि गुरु पूर्णिमा है। बाबा तूँ और न कर दिल जोरियाँ तू दिल दियां लगियाँ निभा जा कि गुरु पूर्णिमा है। ब्यास की आस में जी रही तेरी संगत प्यारे संगतां नूं ब्यास बुला ला कि गुरु पूर्णिमा है। दुआ सलाम साडी कबूल करीं मेरे मालका सानूँ राधा स्वामी बुला जा कि गुरु पूर्णिमा है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 05.07.2020 अमावस का उजाला
Ramkishor Saini India
अक्सर दिन का उजाला रातों के उजाले से ज्यादा डरावना होता है। by Ramkishor Saini ©Ramkishor Saini India ##अक्सर ##दिन## का## उजाला##
Brandavan Bairagi "krishna"
।।उजाला दीये का।। कौन किसी के कब काम आता है। जो करे अपने मन की वो भाता है। बड़े स्वार्थी मतलबी है इस दुनिया के लोग। चमकता है वही जो उजाला दीये का खुद लाता है। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।उजाला दिये का।। #Alive