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Abhishek Kashyap

सियासत बहुत आती है हमको लेकिन कभी शायरी में सियासत नहीं की । @ ज्ञानेश कुमार नापित

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सियासत बहुत आती है हमको लेकिन
कभी शायरी में सियासत नहीं की ।
@ ज्ञानेश कुमार नापित सियासत बहुत आती है हमको लेकिन
कभी शायरी में सियासत नहीं की ।
@ ज्ञानेश कुमार नापित

Abhishek Kashyap

गये छोड़ वालिद तो हमनें ये जाना वो दौलत थे हमनें हिफाज़त नहीं की । @ज्ञानेश कुमार नापित#शायरीसिसायत

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गये छोड़ वालिद तो हमनें ये जाना 
वो दौलत थे हमनें हिफाज़त नहीं की ।
@ज्ञानेश कुमार नापित गये छोड़ वालिद तो हमनें ये जाना 
वो दौलत थे हमनें हिफाज़त नहीं की ।
@ज्ञानेश कुमार नापित#शायरी#सिसायत

Anjuola Singh (Bhaddoria)

#BestFriend'sDay #justicefortwinkle There is hardly any day when I don't come across the inhuman act of mentally sick people against vulnerable females/kids/infants...So shamef

Anjuola Singh (Bhaddoria)

 #Nojoto #Poetry #Kavishala #Hindinama #NojotoHindi #आवाहन #दर्पण #समाज #AnjulaSinghBhadauria 
My Pencil Colour sketch in the background 🎨
Do

Anjuola Singh (Bhaddoria)

अचरज है कि भूल गए तुम या तुमको अब तक यह ज्ञान नहीं, अक्टूबर'४७ के बर्बतम महीने का तुमको क्या भी भान नहीं, जम्मू व कश्मीर पर महाराजा हरि सिं #Poetry #day #Independence #kavishala #AnjulaSinghBhadauria #hindinama

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  अचरज है कि भूल गए तुम या तुमको अब तक यह ज्ञान नहीं,
अक्टूबर'४७ के बर्बतम महीने का तुमको क्या भी भान नहीं,

जम्मू व कश्मीर पर महाराजा हरि सिं

raj@1229"शापित"

!"जिस्म" की चादर को 'मन' से लपेटे हुए,!
"खुद" को पाया प्रिये 'तुमसे'होते हुए!! #शापित

raj@1229"शापित"

!'प्यार' करना सब सिखाते है,
"भूलना कोई  क्यूँ नहीं सिखाता"!!
#1229@"शापित" #शापित

रजनीश "स्वच्छंद"

शापित।।

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शापित।।

शापित है ये लहू हमारा, शापग्रस्त मनोविचार है।
कुंठित पड़ी है आत्मा, कलुषित जीवनधार है।।

किस मुख लेखन का करूँ अभिनंदन, किस मुख निजमन की बात करूँ।
हर मुख ताले जड़े चुप्पी के, किस किस दुख पे आघात करूँ।

है अनुकम्पित हर प्राणी यहां, कुच्छ निज के कुच्छ औरों के बोझ तले।
विषव्यापीत है विनय सवज्ञा,बाजार है, कारोबार यही हर रोज़ चले।

अपनो की परिभाषा बदली,मन भी मन का निरादर करता है।
किस ओर चलूं, अपने को ढूंढूं कहाँ,छुप जाने ये को लंबी चादर करता है।

कहने को मनु की ये संतति, मनुज कर्मों से ही खीझ पड़ा है।
काटो तो लहू का खतरा नही,आंखें खोले जैसे निर्जीव खड़ा है।

समय सारथी ले चला इसे,घुटनों बल चलने का आडम्बर कैसा।
स्वप्न संकुचित, मलीन सोच, फिर तेरी धरा ये कैसी, ये अम्बर कैसा।

भीष्म तूणीर शय्या पे लेटा,मानव धृतराष्ट्र बना है घूमता।
धर्मराज भार्या दांव में हारे,दम्भ दुर्योधन सा झूमता।

है पौराणिक महाभारत नही,बस युग ने कथा को बदला है।
अब लिए कर चीर कृष्ण नही, द्रौपदी तो अब भी अबला है।

जिसकी लाठी भैंस उसी की, बली अत्याचार है।
कुंठित पड़ी है आत्मा, कलुषित जीवनधार है।।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote शापित।।

Manmohan Dheer

शापित

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अगर तुम शापित हो
तो बस इस अर्थ में कि
कभी न जान पाओगे
तुम क्या और कहाँ हो— % & शापित

raj@1229"शापित"

मेरी खामोशी में छिपे है मेरे शब्द, गीत,गजल मेरे "ज़ज्बात,"

"खुद" में सिमटी हुई मेरी तन्हाई, खुद से लिपटा हुआ  मेरा खुद का 'साथ'!!!! 

#1229@"शापित" #शापित
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