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A Amar
हमने मुह फेरना तो बहोत खूब सीख लिया , क्योकि मुह फेरना आसान है _ हमने लडना कभी न चाहा , क्योकि लडना मुसकिल है__ (इसलिए आज हम जीवन को आसान बनाने मे इतने मसरूफ है कि इंसानियत को भुलाकर बुराईयो को भी अपनाते जा रहे ,साथ ही साथ बुराईयो से मुह मोडना भी सीख लिए ,क्योकि ये दो काम आसान है) ©A Amar ##कितने गिर गये हम आसानियो मे ढलकर# #hangout
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जिंदगी की रवायत है,हर ढंग में ढलना पड़ता है मौसमो की मार हो,या चलन समाजो का बदलना पड़ता है जीना सबको हर हाल में जीना पड़ता है वादियों में जो भी हो हल चल,सहन करना पड़ता है सर्दी गर्मी बरसात का स्वागत करना पड़ता है एक जैसी सूरत बनी रहे,तब जीवन में अवसाद भरता है ढलकर मौसमो में,उमंगों को जीवित करता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #snowfall ढलकर मौसमो में,उमंगों को जीवित करना पड़ता है
Lokesh Mishra
दूसरों में ना ढलकर, खुद की पहचान बनो, नकल ना करो बनावट की, साजगी पर विश्वास करो, भय,बाधाओं से बिलकुल ना डरो, इनको मन के साहस से पार करो, दूसरों में ना ढलकर, खुद की पहचान बनो,गुड मॉर्निंग।☕☕✍️
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
Kavya Goswami
बूँद बूँद जीवन बरसे बादल बन नवजीवन छलके संभल संभल शाखों से ढलकर प्रेम पियूष ख़ुद आया चलकर । बूँद बूँद जीवन बरसे बादल बन नवजीवन छलके संभल संभल शाखो से ढलकर प्रेम पियूष ख़ुद आया चलकर । #yqdidi #yqbaba #yqenjoy
Priya Chaudhary
||स्वयं लेखन||
साँझ के ढलकते मद्धिम उजाले में देखो, आज भी झलकते हैं इस सुनहरी शाम में, प्रतीक्षा करते मेरे झर-झर बहते दो नयन। ©||स्वयं लेखन|| साँझ के ढलकते मद्धिम उजाले में देखो, आज भी झलकते हैं इस सुनहरी शाम में, प्रतीक्षा करते मेरे झर-झर बहते दो नयन। #Life #Life_experience #Lov
Mithilesh Rai
तुम जो मुस्क़ुराती हो नज़रें बदलकर। नीयत पिघल जाती है मेरी मचलकर। चाहत धधक़ जाती है जैसे जिग़र में- हर बार ज़ुस्तज़ू की आहों में ढलकर। मुक्
ashish gupta
ढलके बदन थकान से चकनाचूर जा रहा है शाम हो गई देखो वापस मजदूर घर जा रहा है हाथों की लकीरें घिस गई घिसते घिसते धीरे धीरे एक मजदूर किस्मत से घर जा रहा है ©ashish gupta #childlabour ढलके बदन थकान से चकनाचूर जा रहा है शाम हो गई देखो वापस मजदूर घर जा रहा है हाथों की लकीरें घिस गई घिसते घिसते धीरे धीरे एक मज
Ganesh Singh Jadaun
#जज्बात जज़्बात बिना कहे,दिल के जान लेते हैं ढलके नहीं जो अश्रु, वो पहचान लेते हैं चेहरा ही नहीं दिल की, पढ लेते हैं इबारत इंसान की है पहचान, 'सिंह' तुम्हें मान लेते हैं ____©® गणेश'सिंह'जादौन #जज्बात जज़्बात बिना कहे,दिल के जान लेते हैं ढलके नहीं जो अश्रु, वो पहचान लेते हैं चेहरा ही नहीं दिल की, पढ लेते हैं इबारत इंसान की है पहचा