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Rébêl Hèàrt Çhitter
इस चित्र की कलात्मकता देखिये । दो माताएं है, एक मिट्टी की ,एक जिन्दा काया की ,एक निर्जीव- एक सजीव ,दोनों के बीच रूह कांपा देने वाला जो अंत
Sakshi Jasrotia
‘Your Quality’ नमस्कार लेखकों।😊 YQ की जन्मतिथि के मौक़े पर हमारे #rzhindi पोस्ट पर collab करें और अपने कलात्मक विचार व्यक्त करें। इस पोस्ट को हाईलाईट और
Atul Sharma
हम तुम *✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“13/4/2021”*🌟 🖋️ *“मंगलवार”*✨🖊️ “धन्य” हो ऐसे “गुरु” जो अपने “शिष्य” को उसके “गणतव्य” तक पहुंचाते है और उसका सारा “श्रेय” उसे देते है, “गुरु” ही है जो आप में “आत्मविश्वास”,आपको “कलात्मक ज्ञान” सिखाते,“अच्छे संस्कार” सिखाते है “गलत सही” की परख समझाते है, तो “जीवन” में ऐसे “गुरुओं” को सदैव स्मरण रखिए,सदैव उन्हें नमन किजिए, सदैव उनका आदर किजिए आप कभी जीवन में पीछे नहीं रहेंगे , *🖊️“अतुल शर्मा🖋️📝✨* *जय माता दी* *आपको नवरात्रि स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनायें* 🎊🎉💫✨🌟🙏 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“13/4/2021”*🌟 🖋️ *“मंगलवार”*✨🖊️ #“गुरु” #“शिष्य”
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अभिव्यक्ति नमस्कार लेखकों।😊 YQ की जन्मतिथि के मौक़े पर हमारे #rzhindi पोस्ट पर collab करें और अपने कलात्मक विचार व्यक्त करें। इस पोस्ट को हाईलाईट और
साहस
छांव गागर नमस्कार लेखकों।😊 YQ की जन्मतिथि के मौक़े पर हमारे #rzhindi पोस्ट पर collab करें और अपने कलात्मक विचार व्यक्त करें। इस पोस्ट को हाईलाईट और
Vijay Tyagi
"छठ रहा तिमिर मद्धम प्रकाश से भोर अब दस्तक दे, ओट से झाँकी लालिमा नभ नतमस्तक है नवदिवस दे संकेत सकारात्मक देखो, नवसृजन से भर गया आकाश कलात्मक देखो अन्तस का कोलाहल तुम्हारा स्वनिर्मित बेड़ियाँ, ये हर्षित पथ पर पग को करती भ्रमित बेड़ियाँ उल्ल्हास उमंग के संग तोड़ दो अब ये बन्धन, नवकुसुम दिवस है करो हर्षहृदय आलिंगन..." छठ रहा तिमिर मद्धम प्रकाश भोर अब दस्तक दे ओट से झाँकी लालिमा नभ नतमस्तक है नवदिवस दे
Vijay Tyagi
सीमा यानि कि हद..परिधि.. लेकिन यहाँ मैं उस सीमा की बात कर रहा हूँ जो शब्दो से भावालोक और कल्पनालोक की सीमा से बहुत दूर ले जाकर वापस परिधि में समेट लेने का अद्भुत कार्य कर देती है... सीमा जी की अनुशंसा के लिए शब्द चयन गहरे सागर से मोती चुनने सरीखा है...क्यूँकि सीमा जी स्वयं में शब्दसरिता नहीं अपितु शब्दसागर रूपी है.., यहाँ मैं कृष्ण कांत तिवारी जी को साधुवाद देता हूँ जिन्होने आपको महादेवी की उपाधि से अलंकृत किया है.. आपका लेखन नित्य प्रतिदिन विस्मृत करता है, एक कुशल शब्दशिल्पी के रुप में आप "शब्द संस्थान" सरीखी हैं। आपका लेखन इस मंच के मुकुट में जड़े रत्नो के समान है.. हम सभी आपको पढ़ने वाले सौभाग्यशाली है और इस मंच के आभारी भी है। आप स्वस्थ रहें खुशहाल रहें और माँ सरस्वती आप पर अपनी कृपा बनाए रखें क्यूंकि माँ सरस्वती की कृपा बिना कलात्मकता का सुविचार उत्पन्न होना संभव नहीं है.... 🙏🙏 सीमा यानि कि हद..परिधि.. लेकिन यहाँ मैं उस सीमा की बात कर रहा हूँ जो शब्दो से भावालोक और कल्पनालोक की सीमा से बहुत दूर ले जाकर वापस पर
Dr Upama Singh
रचना नंबर – 1 “भारतीय साहित्य में स्त्रीयों का योगदान” निबंध– अनुशीर्षक में भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क
Chandrahas Tiwari
छात्र जीवन "एक परीक्षा" (read caption) जब एक छात्र 18 वर्ष की उम्र में नादानियों से उठ कर, अपने पिता की उंगलीयों का सहारा छोड़ कर हौसलों की पतवार लिए उम्मीद की नाव को संघर्ष के समन