Find the Latest Status about कोलकता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कोलकता.
बद्रीनाथ✍️
नवरात्री ये जो हल्के-हल्के "ढाकी" के आवाज़ औऱ "महिसासुर मर्दिनी" वाले गाने मेरे "कानों" को सहलाते हुए मेरे पूरे तन-बदन को मग्न कर रहा है । ये जो चारों दिशा में उड़ने वाले "काश फूल" और हवा के साथ सनी ये "ख़ुश्बू" मेरे "नाको" को उकसाते हुए हृदय को एक अलग ही उमंग से भर रहा है । ये जो जगह-जगह में बने विभिन्न प्रकार के "पंडाल" और "माँ दुर्गा" के तेज़ प्रचंड रूप जो सबके "आँखों" बहलाते हुए सबको अपने तरफ आकर्षित कर रहा है । ये जो "कोलकता" से कोसों दूर "मैं" अभी-अभी हताश होकर उठा हूँ यह सब एक सपना था जो मेरे "हृदय" को पिरोते हुए मेरे पूरे तन-बदन को झकझोर रहा है । नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं❤️🙏🙏 #mrbadri#mrbnp#nojoto#nojotopoem#poem#maa संजय श्रीवास्तव Kajal Singh Preeti Shah Sangya Venu Mukesh More
नेहा उदय भान गुप्ता
1935 में जन्म लिए, वो वीर भूमि बंगाल था। ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म, नाम प्रणव दा था।। कोलकाता से कानूनी पढ़ाई, चले पिता के निशां पर। मां के लाडले प्रणव, गाथा लिखूंगी उनके जीवन पर।। 1969 में राज्यसभा सदस्य, 73 में बने मंत्री पहली बार। दादा के जीवन में शुरू हुआ, राजनीति का सुनहरा सफ़र।। कभी कमेटी सदस्य, तो सदन नेता, वित्त मंत्री बननें का भी गौरव प्राप्त हुआ। योजना आयोग के उपाध्यक्ष, फ़िर विदेश मंत्री बनकर सबको धन्य किया।। वो मृदु भाषी, सरल स्वभावी, राष्ट्रपति का उच्च पद प्राप्त हुआ। महान नेता से बड़े महान व्यक्तित्व, सबका प्यार प्रणव को प्राप्त हुआ।। माछ भात रहा पसंदीदा भोजन, मिष्ठान के भी शौकीन रहे। पुस्तकें पढ़ने के वो प्रेमी, पढ़ाई में भी सदा वो अग्रणीन रहे।। सुभ्रा संग ब्याह रचाएं, दो बेटे और लक्ष्मी की हुयी प्राप्ति। इनका हो या कर्मभूमि, या फ़र्ज़ पिता का, विजय हुई इनकी संप्राप्ति।। भारत रत्न से हुए सुशोभित, मां दुर्गा के भक्त, था उनका विराट व्यक्तित्व। मिट गए वो माटी में, पर कभी नहीं मिटेगा उनका अस्तित्व।। हर जन के प्रिय थे, राजनेता थे वो नेह जननायक। देश उन्हें सदैव याद करेगा, वो थे हमारे देश के नायक।। शान देश की तुमसे थी, तुम्हीं जन जन के थे अभिमान। तुम भारत माँ के प्रिय प्रणव, तुमको नमन है बारम्बार।। :- काव्य पथिक Team 👉आइए आज लिखते हैं
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
1935 में जन्म लिए, वो वीर भूमि बंगाल था। ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म, नाम प्रणव दा था।। कोलकाता से कानूनी पढ़ाई, चले पिता के निशां पर। मां के लाडले प्रणव, गाथा लिखूंगी उनके जीवन पर।। 1969 में राज्यसभा सदस्य, 73 में बने मंत्री पहली बार। दादा के जीवन में शुरू हुआ, राजनीति का सुनहरा सफ़र।। कभी कमेटी सदस्य, तो सदन नेता, वित्त मंत्री बननें का भी गौरव प्राप्त हुआ। योजना आयोग के उपाध्यक्ष, फ़िर विदेश मंत्री बनकर सबको धन्य किया।। वो मृदु भाषी, सरल स्वभावी, राष्ट्रपति का उच्च पद प्राप्त हुआ। महान नेता से बड़े महान व्यक्तित्व, सबका प्यार प्रणव को प्राप्त हुआ।। माछ भात रहा पसंदीदा भोजन, मिष्ठान के भी शौकीन रहे। पुस्तकें पढ़ने के वो प्रेमी, पढ़ाई में भी सदा वो अग्रणीन रहे।। सुभ्रा संग ब्याह रचाएं, दो बेटे और लक्ष्मी की हुयी प्राप्ति। इनका हो या कर्मभूमि, या फ़र्ज़ पिता का, विजय हुई इनकी संप्राप्ति।। भारत रत्न से हुए सुशोभित, मां दुर्गा के भक्त, था उनका विराट व्यक्तित्व। मिट गए वो माटी में, पर कभी नहीं मिटेगा उनका अस्तित्व।। हर जन के प्रिय थे, राजनेता थे वो नेह जननायक। देश उन्हें सदैव याद करेगा, वो थे हमारे देश के नायक।। शान देश की तुमसे थी, तुम्हीं जन जन के थे अभिमान। तुम भारत माँ के प्रिय प्रणव, तुमको नमन है बारम्बार।। :- काव्य पथिक Team 👉आइए आज लिखते हैं
Shivshyam Gaurav
कलकत्ता ब्रिटिश नियंत्रण में बहाल 1757 में रॉबर्ट क्लाइव द्वारा इस दिन समाप्त , अलीनगर की संधि ने कलकत्ता (अब कोलकाता) को बहाल कर दिया - जिसे क्लाइव ने जनवरी में सिराज अल-दावला से पुनर्प्राप्त किया था - ब्रिटिश नियंत्रण के लिए और बंगाल की जब्ती के लिए एक प्रस्ताव के रूप में कार्य किया । ©Shivshyam Gaurav #कोलकाता #नॉलेज