समाज आ ओकर मानसिकता
नहि जानि कतेक आओर नीचा खसत
बांटि देने अछि लोक के लोक सं
आ नमारि देने अछि दू टा संबंधक' डोरी
एकटा गाम मे रहितहुं गाम सं
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TabishAhmad 'تابش '
हमर की दोख?
घूम-घूम बेच लौं सब्जी और फर,
अनका दिन में नै बुझायल हम छि कौन?
ई कॅरोना में हम भ गेलौं जनमानस के दुश्मन,
सब गोटे देलक हमरे ई मह #Hindi#poem