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Nilesh Dhurve
sudhir pinki
Shailendra Anand
Village Life रचना दिनांक 14,,,3,,,2024,, वार,,,, शुक्रवार समय काल,, पांच बजे ््््निज विचार ््् ्््््छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ स्क्रीन पर मालवी से लोकगीत लोककथा नूक्कड लघु कथा सत्संग प्रेयर निमाडी आदिवासियों की लोक परमपरम्पराऐ में जन मानस जनजीवन पर जिंदगी में पर्व त्यौहार एवं फाग महोत्सव भगोरिया पर्व आदिवासी बहुल इलाकों में इस अवसर पर नयीनवेली नवयुगल में ब्याह शादी विवाह हो जाते है ्््् ्््््् घर आंगन चौक चौराहे पर हुड़दंग मचाने वाले लव में एक स्वर में प्रेम से अन्तर्मन में नाचते गाते नाचने लगे ।। ढोल बाजे बजने लगे नगाड़े बजाकर खुशी में रंगबिरंगे फूल और कांटे पथ्थर से अपनी दिशा लेकर बाजार में ,, शहर में हाट बाजार में एक साथ हंसी ठिठौली करते ।। फाग गायक फागुन गवैया सांझ ढले में ,, एक बार फिर मांद में जाम लगा ताड़ी पीती रहीं है।। ग्राम में शहर से हर एक को राह दिखाने मेंक्या हो प्यारा सा,, जीवन में एक दुसरे को तैयार होकर श्रंगार किया।। छैल छबीला रंग रंगीला बसंत रीतु और फाग महोत्सव,, पर जिंदगी को मस्त कर देख रही है ।। ्््््् ्््भावचित्र ्् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् ््््््दिनाक ्14 ,,,मार्च,,,2024,,, ©Shailendra Anand #villagelife भगौरियां आदिवासियों में खैलती फागुनी बयार में ढोल बाजे बजने लगे फाग महोत्सव मालवों और निमाडियो में होली की हुड़दंग मची है ्््््
Divyanshu Pathak
भारत छोड़ो आंदोलन आज के ही दिन शुरू हुआ था। 8 अगस्त सन 1942 को इसी के "दौरान करो या मरो" का नारा दिया गया था।आदिवासी दिवस के रूप में भी हम आज के दिन को मनाते हैं। सन 1855 में आदिवासियों ने ही कहा "अंग्रेजो माटी छोड़ो" करो या मरो। भारत में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत सन 1857 से ही मानी जाती है किन्तु आदिवासियों ने इसका आगाज़ सन 1771 में ही कर दिया था। 🙏🍁🍂😊 #पाठकपुराण
REETA LAKRA
शिकारो मती जबे राजा, ढाल तरवरि तोरा लुटल जांला, भइया रे मोरा । जनी भेले हिरा राजा ढाल तरवरि तोरा लुटल जांला, भइया रे मोरा ।३५/३६५@२०२२ आदिवासियों को नाच गान विरासत में मिला है। नाच गान उनके जीवन का अभिन्न अंग है। उनके त्यौहार, उनके गीत एवं राग मौसम के अनुकूल होते हैं। origin
REETA LAKRA
उराँव आदिवासी समाज में एक मौसम का राग दूसरे मौसम में वर्जित समझा जाता है। आदिवासियों को नाच गान विरासत में मिला है। नाच गान उनके जीवन का अभिन्न अंग है। उनके त्यौहार, उनके गीत एवं राग मौसम के अनुकूल होते हैं। origin