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Braj Bihari
लिखने वाला क्या लिखें, सब लिखकर मिट जाता है।। सब कहते हैं तेरा वक्त आएगा, हर वक्त भी आकर वापस चला जाता है ।। लिखने वाला क्या लिखें, सब लिखकर मिट जाता है।। ©Braj Bihari लिखने वाला क्या लिखे।। #me
Sudipta Mazumdar
ना प्यार चाहिए़ ना तारीफ़ चाहिए़ ज़रा सी आपकी तबक्को चाहिए़ ©Sudipta Mazumdar #लिखने वाले बहुत कुछ लिखते पढ़ने वाले समझदार होना चाहिए
sampu janagal
एक ज़रा सी प्रेम कहानी हम लड़कों की क़िस्मत में है आग बहुत सी थोड़ा पानी एक किताबों की अलमारी में थोड़े खुशबू के रेशे कुछ घण्टों की नींद उसी में दुनियाभर के ख्वाब बुरे से मीरा के भजनों को घेरे रहती है कबीर की बानी उम्मीदों की लम्बी सूची जाने पूरी होगी कैसे एक बड़ा बाज़ार सामने छोटी जेब ज़रा से पैसे चेहरे पर तैरा करती है एक झेंप जानी पहचानी एक लड़ाई अंतहीन है सारी उम्र इसी को दे दी गोलों को काला करने में दाढ़ी तक आ गयी सफेदी डीपी तक में रखनी पड़ती है कोई तस्वीर पुरानी ©sampu janagal #फेसबुक वाली कविता
ranjit Kumar rathour
पहले तू लिख तो सही यहाँ वहां और भी कही की लिख तो सही जरूरी नही की कोई कविता बन ही जाएगी लिख न कुछ कहानी ही सही खुद को टटोल नजर आस पास दौड़ा तो सही फिर शब्दो का काफिला बनते देर नही लगेगी मगर शब्दो की कारीगरी में मन लगा तो सही जो लग गयी ये बीमारी तो छूटेगा नही बस अंदर के जज़्बातों शब्दो मे पिरोना कविता बन कागज में उतर जाएगी और बन जायेगा एक कविता मेरी तुम्हारी उनकी और भी किसीकी है बस लिखने की बीमारी लग जाये ©ranjit Kumar rathour कविता दिवस # लिखना कविता
Diva
लिखने वाले भी क्या हकीकत कह जाते है, यूँ तो बहुत कुछ खामोशी से सुन लेते है। पर बिना बोले ही ना मिटने वाली, स्याही के निशान छोड़ जाते हैं। #gif लिखने वाले
Tanendra Singh Khirjan
सहजता, सरलता एवं बंदगी कुछ और थी, लोग थे पुराने मगर जिंदगी कुछ और थी, सुख सुविधाएं परिपूर्ण है मगर कहीं थोड़ा अभाव भी, जीने का सलीका और बदल दिया स्वभाव भी। न जाने क्यूं ये जिंदगी इंसान से खेलती हैं, बचपन और जवानी तो अब बुढ़ापा झेलती हैं, लोग भूल गए हैं बड़ों की बातें बूढ़ों के पास बैठना और उनकी यादें। दिन-ब-दिन हम खो रहे हैं जीवन के सुखद आभास को। न जाने क्यूं जमीं पर रहकर हम भूल रहे आकाश को।। इससे पहले कि हम गुलाम हो जाए, सुबह से पहले शाम हो जाए। इससे पहले कि काम तमाम हो जाए, सीख लो पुरानी बातें जो थोड़ी भी काम आ जाए ये रीति नहीं कहती कि हम पाश्चात्य के गुलाम हैं। हम अटल है भारत देश के कलाम हैं। कविता (प्रेरित करने वाली)
NEERAJ SIINGH
तुम गजल लिखतीं रही और मैं दिल अंदाज दोनों के अलग थे पर मंजिल एक #neerajwrites कविता लिखना
Praveen Jain "पल्लव"
Tum Ghazal Ban gayi पल्लव की डायरी ख्वाबो में सपने बुनने लगा हमसफ़र की तारीफों में शब्दों का जखीरा बढ़ने लगा कोरे कागजो में महबूब का चेहरा पढ़ने लगा चाँद की खूबसूरती को महबूबा के प्यार में पेश करने लगा तुम ही मेरी पहली पसंद सिर्फ तुम्हारे लिये में गजल कविता लिखने लगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" गजल कविता लिखने लगा #GhazalBanGayi