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Mayank Sharma

उड़ती चतुर्दिक खिल्ली मैं दिल्ली हूँ जैसे माचिस की तिल्ली मैं दिल्ली हूँ #delhipollution #Life_experience

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#DelhiPollution उड़ती चतुर्दिक खिल्ली
मैं दिल्ली हूँ
जैसे माचिस की तिल्ली
मैं दिल्ली हूँ
राजनीति की डंडा-गिल्ली
मैं दिल्ली हूँ
संवेदना की ठंडी सिल्ली
मैं दिल्ली हूँ
सरकार लिए निठल्ली
मैं दिल्ली हूँ
मालिक की दुमछल्ली
मैं दिल्ली हूँ
वे सत्ता मद में टल्ली
मैं दिल्ली हूँ
बाँधो घंटी कह बिल्ली
मैं ...
✍️मनीष शर्मा✍️ उड़ती चतुर्दिक खिल्ली
मैं दिल्ली हूँ
जैसे माचिस की तिल्ली
मैं दिल्ली हूँ

#delhipollution

Gaurav Singh

कब से दिल्ली उदास बैठी है कब से दिल्ली उदास बैठी है #GauravKaGyan #dilli #Delhi #

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कोई पहुँचा दे मेरा पैगाम उन तक
कि वो अब जल्दी आ भी जाये,
न जाने कबसे दिल्ली उदास बैठी है
उनके इन्तेजार में।
Gaurav Singh कब से दिल्ली उदास बैठी है
कब से दिल्ली उदास बैठी है
#GauravKaGyan #dilli #Delhi #

Shubham Kumar Dubey

दिल खाली खाली क्यूं है,
दिल्लगी में परेशानी क्यूं है।
दिल से खेलने की आदत जब हो ही गई है,
तो इतनी मेहरबानी क्यूं है। #दिलखाली
#दिल्लगी
#दिलकीज़रूरत

Rakesh Kumar Dogra

नई दिल्ली फिर से बदल रही है पुरानी दिल्ली लगभग पुरानी ही है #Walk #समाज

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वो जो पुराने लोग थे न उनकी कोई न कोई
निशानियां अब भी बाकी है‌
एक हम हैं जंहा रहते थे वो बस्तियां तक
बदल* गई।

*मिन्टो रोड, गोल मार्केट, सरोजनी नगर

©Rakesh Kumar Dogra नई दिल्ली फिर से बदल रही है
पुरानी दिल्ली लगभग पुरानी ही है

#Walk

RS Sumit Sipper

दिल्लगी में है सकूं मरने से अच्छा‌ है कि जी सकूं।
बोतल से छोड़ कर शराब आंखों से जाम पी सकूं।
डर नहीं है खोने का मिलने की धुन का साज हूं।
सारी ख्वाहिशें छोड़ दि अब घूंट सब्र की पी सकूं।

है दिल्लगी मेरी चाहतें मैं जिसमें ढलकर रह सकूं।
कहने से अच्छा है किसी को खुद से ही मैं कह सकूं।
अब दर्द नहीं है आंखों में मोहब्बत की मै आश हूं।
रशमे सारी छोड़ी है ताकि खुद के सपने सी सकूं।

दिल्लगी है नस-नस में अब कतरा-कतरा बह सकूं।
सुनकर सबकी बातें अब मैं खुद की चुप्पी सह सकूं।
अब रस्ता नहीं है नदियों-सा समुन्द्र के जो पास हूं।
बह गया वो सुमित पुराना अब दिल्लगी में रह सकूं।

©RS Sumit Sipper #दिल्लगी है #दिल्लगी बस #दिल्लगी है #दिल्लगी
#holdinghands

NEERAJ BAKAWLE

इंदौर से दिल्ली तक । #अनुभव

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चाहा तो हमने भी इसी नज़र से उन्हे, 
हमारी नज़र भी सही थी, 
पर शायद उनकी  नज़रो मे किसी और की नज़र थी । इंदौर से दिल्ली तक ।
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