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मोहम्मद मुमताज़ हसन

धोखे हमने भी खाए हैं बहुत 
अपनों से ही/कई कई बार
धोखे-
और उनके इन्हीं धोखे ने जीवन
का पाठ पढ़ाया है मुझे
जीना सीखा हूं/ इन कड़वे 
अनुभवों से ही मैं
भले ही चोट देते हैं धोखे/किन्तु
जिंदगी जीने का सबक भी
देते हैं #दिसंबर#18

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनान #जानकारी #MerryChristmas

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महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय
महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, हिंदू महासभा के अध्यक्ष, हिंदू समाज के महान सुधारक थे। वो शिक्षा के क्षेत्र में किये गए अपने योगदान के लिए भारतीय इतिहास में अमर हैं। इन्होंने सनातन धर्म और संस्कृति के संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट भी रहे थे,और उनका महत्वपूर्ण कार्य बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना करना था। भारत में स्काउटिंग की शुरुआत उन्होंने ही की थी।
मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर 1861 ईo को ब्रिटिश भारत के प्रयाग में हुआ था। इनके पूर्वज मध्य भारत के मालवा से आकर यहाँ बसे थे इसीलिए ये मालवीय कहलाते थे। इनके पिता का नाम ब्रजनाथ था जो कि अपने समय के संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और और कथा सुना कर अपनी आजीविका चलाया करते थे। इनकी माता का नाम मूनदेवी था। ये अपने माता-पिता की सात सन्तानों में से 5 वें थे।
उन्होंने पांच साल की उम्र में अपनी शिक्षा संस्कृत में शुरू की थी, वो अपनी प्राथमिक शिक्षा को पूरा करने के लिए पंडित हरदेव के धर्म ज्ञानोपदेश पथशाला में गए, उसके बाद विधान वर्धिनी सभा द्वारा चलाए जाने वाले  स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद जिला स्कूल में दाखिला लिया जो कि अंग्रेजी माध्यम का स्कूल था जहां उन्होंने कविताए लिखना शुरू किया, यही कविताएँ बाद में कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। उन्होंने एक उपनाम ‘मकरंद’ के साथ कविताएँ लिखी थी, जिन्हें बाद में ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ पत्रिका में 1883-84 के दौरान प्रकाशित किया गया था। इसके अलावा उनके  समकालीन और धार्मिक विषयों पर उनके लेख ‘हिंदी प्रदीपा’ में प्रकाशित हुए थे। उनके पिता संस्कृत में विद्वान और कथावचक थे, वो ‘श्रीमद् भागवत’ की कहानियों को पढ़ा करते थे, यही कारण था कि मदनमोहन भी उनकी तरह कथावचक बनना चाहते थे।
वर्ष 1879 में, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (मुइर सेंट्रल कॉलेज) से अपना मैट्रिकुलेट का एक्जाम पास किया और इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1884 ईo में इन्होंने स्नातक ( बीo एo ) की उपाधि प्राप्त की। उनका परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं था, जिसे देखकर ही हैरिसन कॉलेज’ के प्रधानाचार्य ने उन्हें मासिक छात्रवृत्ति के साथ मदद की थी। अपनी स्नातक की परीक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने शिक्षक की नौकरी करना प्रारम्भ किया। ये स्नातक के बाद स्नातकोत्तर की पढ़ाई करना चाहते थे, परन्तु इनके घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी इसलिए ऐसा नहीं कर पाए। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पहले जिला न्यायालय और बाद में उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की।
औरस्वतंत्रता संघर्ष के दौरान इन्होने ही उदारवादियों और राष्ट्रवादियों के बीच सेतु का काम किया। रौलेट बिल के विरोध में लगातार साढ़े चार घंटे और अपराध निर्मोचन के बिल पर लगातार 5 घंटे तक दिए गए अपने भाषण के लिए वे आज भी विख्यात हैं। 50 वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहने वाले मालवीय जी ने राजा रामपाल सिंह के हिन्दी अंग्रेजी समाचार पत्र हिंदुस्तान का 1887 ईo से संपादन भी किया था। इसके बाद इंडियन ओपीनियन के संपादन में भी सहयोग किया। 1909 ईo में सरकार समर्थक समाचार पत्र पॉयनियर के समकक्ष दैनिक पत्र लीडर निकाला। 1924 ईo में दिल्ली आये और हिंदुस्तान टाइम्स को सुव्यवस्थित किया। वे चार बार कांग्रेस के सभापति भी निर्वाचित हुए। 1930 ईo के सविनय अवज्ञा आंदोलन में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1931 ईo के द्वितीय गोलमेज सम्मलेन में भाग लिया।
देश के लिए इनका सबसे बड़ा योगदान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ( B.H.U. ) के रूप में जाना जाता है। 1937 ईo में राजनीति से संन्यास ले लिया और पूर्ण रूप से सामाजिक मुद्दों की ओर ध्यान केंद्रित कर लिया। सनातन धर्म में अपार श्रद्धा रखने वाले भारत के महान सपूत मालवीय जी ने दलितों के मंदिर में प्रवेश निषेध का पुरजोर विरोध किया और देश भर में इस बुराई के खिलाफ आंदोलन चलाया। इन्होंने महिलाओं की शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह का समर्थन और बाल विवाह तथा छुआ-छूत जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया। देश की आजादी मिलने के एक वर्ष पूर्व ही 12 नवम्बर 1946 ईo को 85 वर्ष की अवस्था में इनका स्वर्गवास हो गया।
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :
मदन मोहन मालवीय जातिवादी विचारधारा की घोर विरोधी थे, इस कारण ही उन्हें ब्राह्मिण जाति से निष्कासित भी कर दिया गया था।
हरिद्वार के हर की पौड़ी में गंगा आरती की शुरुआत इन्होंने ही की।
उन्होंने मंदिरों में होने वाले सामजिक भेदभाव का ना केवल विरोध किया बल्कि रथ यात्रा के दिन कालाराम मंदिर में हिन्दू दलितों का प्रवेश, और गोदावरी में मन्त्रों के जाप के साथ पवित्र स्नान भी करवाया।
इन्हे महात्मा गांधी ने महामना की उपाधि से सम्मानित किया था, वो पंडितजी को अपने बड़े भाई के जैसा सम्मान देते थे।
गांधीजी ने उन्हें “मेकर्स ऑफ़ इंडिया” भी कहा था।
भारत के दुसरे राष्ट्रपति डॉक्टर राधकृष्णन ने उनके निस्वार्थ काम के लिए करम योगी का टाईटल भी दिया था।
पंडित जवाहर लाल नेहरु का कहना था कि वो एक महान आत्मा हैं, जिन्होंने नवीन भारत के राष्ट्रवाद की नींव रखी हैं।
उन्होंने ब्रिटिश सरकार को इस बात के लिए भी मनाया था कि न्यायालय में देवनागरी लिपि का उपयोग किया जाए, जिसे उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता हैं।
मालवीय जी कट्टर हिन्दू थे, और गौ-हत्या के विरोधी थे।
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए मालवीयजी ने फंड की व्यवस्था के लिए निजाम के दरबार में भी गये जहां निजाम ने उनका अपमान करते हुए  उन पर जुता फैंक दिया, मालवीयजी शांत रहे और उन्होंने उस जुते को बाहर ले जाकर नीलामी में लगा दिया।
1918 में कुंभ मेले, बाढ़, भूकंप, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए अखिल भारतीय सेवा समिति ने कई जगह अपने केंद्र स्थापित किए।
इसी वर्ष इसका सब यूनिट मॉडल जैसा बॉय स्काउट शुरू हुआ, इसकी महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इसमें ब्रिटिश नेशनल एंथम की जगह वन्दे मातरम गाया जाता था।
मालवीय जी ने गांधीजी को कहा था कि देश की विभाजन को स्वीकार ना करे, लेकिन उन्होंने मालवीयजी की बात को सुना नहीं।
1918 में जब वो इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रेसिडेंट थे तब उन्होंने सत्यमेव जयते का नारा दिया था।
सम्मान एवं पुरस्कार :
इनके जन्म दिवस से एक दिन पूर्व 24 दिसंबर 2014 ईo को इन्हे देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विचार और संक्षिप्त जीवन परिचय
महामना मदन मोहन मालवीय भारतीय इतिहास के महान प्रणेता, स्वतंत्रता संग्राम सेनान

Mysterious Girl

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satish gupta

18 दिसम्बर 2022 #कविता

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आज यहाँ है कल कहाँ जायगे
ये बीते पल गुजर जायेगे
नाराज मत होना मेरी शरारतों से
एक दिन हम सब बिछड़ जायेगें.

     👍सतीश गुप्ता 👍

©satish gupta 18 दिसम्बर 2022

sapna prajapati❤

दिसंबर दिसंबर सर्द दिसंबर.... 😍😍

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सर्द दिसंबर    सर्द दिसंबर के इंतजार में अलमारी में पड़े मेरे गर्म कपड़े ... जिनके संग ही बस रहने को जी करता है ....
इनके अलावा कोई tuoch भी कर दे ,, तो ज्यादा कुछ नहीं🤣 बस पानी में फेंकने को  ... और 🤣उन्हें हवा में फुर फुर  😂😂उड़ा देने को जी करता है🤣🤣 दिसंबर दिसंबर  सर्द दिसंबर.... 😍😍

अविनाश कुमार

अभी बीता नहीं दिसंबर...... . #yqdidi #Hindi love #इश्क़ #ग़ज़ल #दिसम्बर #1909avinash .

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बहुत दूर तलक है फैला, मेरे गमों का समंदर
कुछ हिस्सा दिल के तो कुछ आँखों के अंदर

कि समेट रक्खी है मैंने, परतों में ज़िंदगी मेरी
न जाने कैसे खुल रहे हैं, परत अंदर ही अंदर

गुज़र रहा यह साल भी, बस यादों के सहारे
आ भी जाओ, कि अभी  बीता नहीं दिसंबर

किसी ने झाँक कर देखा ही नहीं अब तलक
मेरी रुह ही नहीं बसती, मिरे जिस्म के अंदर

हर कतरा ख़्वाब हो तुम, हर साँस है तुम्हारी
जितना मैं हूँ खुद में, उतना तुम हो मेरे अंदर अभी बीता नहीं दिसंबर......
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#yqdidi #hindi #love #इश्क़ #ग़ज़ल #दिसम्बर #1909avinash 
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