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adhoora_ishqq___

#GaneshChaturthi ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥” May LORD GANESHA keep their blessings all over.

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ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥”

May LORD GANESHA keep their blessings all over. 

On the happy occasion of Ganesh Chaturthi, I wish that good fortune may always be on your side.
 May the grace of God keep enlightening your lives and bless you always. #GaneshChaturthi ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥”

May LORD GANESHA keep their blessings all over.

Himanshi chaturvedi

गणराया,गजानना, विघ्नहर्ता, लंबोदर, एकदंताय, वक्रतुंड, विकटमेव, विनायकम, कृष्णपिंगाक्षम, दशननं, कितने नाम हैं देवा आपके हर स्वरुप मैं आप मेर

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Di Pi Ka

जैसे तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक वैसे ही हमारा ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान है, अगर ढूंढ सको तो ढूढ लो। Kabirj #kabirdas #KabirJayanti #KabirDohe

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कबीर जी कह रहे हैं-
"ज्यों तिल माहि तेल है, ज्यों चकमक में आग ।
तेरा साईं तुझ ही में है, जाग सके तो जाग ।"

©Di Pi Ka जैसे तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक वैसे ही हमारा ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान है, अगर ढूंढ सको तो ढूढ लो। #Kabirj

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । #कविता

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विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।
देवो के वो देवा
बैठी सोचूँ द्वारे ।
प्राणों को मैं हारे ।।
३
राधा-राधा बोलूँ ।
मस्ती में मैं डोलूँ ।।
माई देखो झोली ।
मीठी दे दो बोली ।।
०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।

aman6.1

#Life #Happiness #december #nojotohindi #nojotonews #nojotoapp सैंटा जैसा दिल--Tittle--विद्धवान लेखक ✍️अमनदीप सिंह💥💥 💥(((((((((((विद्धवा #शायरी

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सैंटा जैसा दिल कहाँ से लाऊं इंसान हूं,, नफरत में सेक रहा हुं सर्दी,,चार दिन का मेहमान हूं.

कूडेदान सी सोच है मेरी चाहे कितना भी धनवान हूं,,उठा के पत्थर सर ही तोडूंगा चाहे कितना भी गुणवान हूं.

मजहब के नाम पे ही लड़ना है मैंने,, चाहे कितना,कितना भी विद्धवान हूं.

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⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ #Life #happiness #December #nojotohindi #nojotonews #nojotoapp

सैंटा जैसा दिल--Tittle--विद्धवान
लेखक ✍️अमनदीप सिंह💥💥

  💥(((((((((((विद्धवा

#maxicandragon

मोदी आया तिलक लगाओ योगी आया भस्म लगाओ और आ गए सब संत सभी तो बजा चिमटा कमंडल हिलाओ विजयी पथ पर बढता देखो हर घर भगवा ध्वजा फहराओ देश में बैठे #Poetry #Sadharanmanushya

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मोदी आया तिलक लगाओ
योगी आया भस्म लगाओ
और आ गए सब संत सभी तो
बजा चिमटा कमंडल हिलाओ
विजयी पथ पर बढता देखो
हर घर भगवा ध्वजा फहराओ
देश में बैठे गद्दारों को 
देशभक्ति का रंग दिखाओ
कमल खिला दो देश में इतने
हर हाथों में कमल थमाओ
दुश्मन प्रेमी कोई राग अलापे
बीच चौराहे तुम लटकाओ
और दुश्मन कर बैठे हरकत
विद्धवंश मचा बस भूमि बढाओ
बंद करो सब झूठी बातें
बस हिंद हिंदू हिंदुत्व बढाओ
बंद करो सब झूठी बातें
बस हिंद हिंदू हिंदुत्व बढाओ

#Sadharanmanushya

©#maxicandragon मोदी आया तिलक लगाओ
योगी आया भस्म लगाओ
और आ गए सब संत सभी तो
बजा चिमटा कमंडल हिलाओ
विजयी पथ पर बढता देखो
हर घर भगवा ध्वजा फहराओ
देश में बैठे

वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।। यदर्चिमद्यदणुभ्योऽणु च यस्मिंल्लोका निहिता लोकिनश्च। तदेतदक्षरं ब्रह्म स प्राणस्तदु वाङ् मनः तदेतत् सत्यं तदमृतं तद् वेद्धव्यं

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।। ओ३म् ।।

यदर्चिमद्यदणुभ्योऽणु च यस्मिंल्लोका निहिता लोकिनश्च।
तदेतदक्षरं ब्रह्म स प्राणस्तदु वाङ् मनः तदेतत् सत्यं तदमृतं तद् वेद्धव्यं सोम्य विद्धि ॥

यह जो 'ज्योतिर्मान्' है, जो अणुओं से भी सूक्ष्मतर है, जिसके अन्दर समस्त लोक-लोकान्तर एवं उनके लोकवासी सन्निहित हैं, 'वही' है 'यह'-यह अक्षर 'ब्रह्म' प्राणतत्त्व 'वही' है, 'वही' वाणी तथा मन है। 'वही' है 'यह' 'परम सत्य' तथा 'सत्तत्त्व', 'वही' है अमृत तत्त्व तुम्हारे द्वारा 'वही' है वेधनीय, है सौम्य! 'उसी' का वेधन करो (उसमें प्रवेश करो)।

That which is the Luminous, that which is smaller than the atoms, that in which are set the worlds and their peoples, That is This,-it is Brahman immutable: life is That, it is speech and mind. That is This, the True and Real, it is That which is immortal: it is into That that thou must pierce, O fair son, into That penetrate.

( मुण्डकोपनिषद् २.२.२ ) #।। ओ३म् ।।

यदर्चिमद्यदणुभ्योऽणु च यस्मिंल्लोका निहिता लोकिनश्च।
तदेतदक्षरं ब्रह्म स प्राणस्तदु वाङ् मनः तदेतत् सत्यं तदमृतं तद् वेद्धव्यं

Purohit Nishant

कलम को समर्पित फनकारों की याद में... 'साहित्य-वाचस्पति' गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' इन्होंने 'सनेही' उपनाम से कोमल भावनाओं की कविताएँ, 'त्रिशू #Knowledge #लेखक #देशभक्त #हिन्दी_लेखक #हिंदवी #हिन्दी_युग #पुण्यतिथि_विशेष #गयाप्रसाद_शुक्ल_

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!! पुण्यतिथि स्मरण !!

©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में...

'साहित्य-वाचस्पति' गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
इन्होंने 'सनेही' उपनाम से कोमल भावनाओं की कविताएँ, 
'त्रिशू

vishnu prabhakar singh

तब महोदय,व्यवस्था इस वर्षा ने तो, आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी यह नक्षत्र ही संयोग है मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें कला संस्कृति #Inspiration #yqbaba #yqdidi #bjp #ndrf #विप्रणु #bihargovernment

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"भुगतान"
महाशय,व्यवस्था
अवगत करा दूँ!
मैं मूर्तिकार,नियति मेरी नीर तट
चिकनी मिट्टी पर अधिकार
मेरे संपूर्ण अवधि में बाधा
हथिया नक्षत्र
वर्षा प्रकोप बरसा रही है
मैं बावला होता जा रहा हूँ
वर्ष भर का पूजा
कल्पना आकार ले चुकी थी
मिट्टी भी ज्यादा ली
पिछली बार माँ का सरस्वती मस्तक बहुत चमका
इस बार मैं भी..........,
इसी भाव में ही जी रहा था,सच में
दुर्गा माता की मूर्ति बड़ी ही होनी चाहिए,
इसका अनुमान कर, कितना खुश था मैं
और ये हथिया नक्षत्र
भुगतान की व्यवस्था करें।।
(कृपया,शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) तब महोदय,व्यवस्था
इस वर्षा ने तो, 
आपकी भी मिट्टी पलीद कर दी होगी
यह नक्षत्र ही संयोग है
मेरी तपस्या,की विषय,वस्तु को महत्व दें
कला संस्कृति

vishnu prabhakar singh

"करुणादात्री" विषमता क्या रहस्य है अंतरिक्ष का और ज्ञान का एक का ओर नहीं,दूसरे का छोर नहीं यहाँ रहस्यमय अँधेरा,असंख्य सूर्यो के साथ यहाँ #story #yqbaba #yqdidi #विप्रणु #mahadeviverma_jayanti

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महादेवी जी के स्मरण में

आप सुपुत्री माँ भारती की
जीवन काल आपकी साहित्यिक
निस्वार्थ भाव आपका योगदान
समीक्षकों के भीषण के बीच दो काल खंड में सक्रिय लेखनी
अद्भुत करुणामयी लेखन
अखिल भारतीय स्तर को सम्बोधन
सुख,दुख की साथी एक लेखिका,देश को।

आपके पुण्यतिथि पर मेरी लिखी एक कवितांजली,
(कृपया अनुशीर्षक देखें)
     "करुणादात्री"

विषमता

क्या रहस्य है अंतरिक्ष का और ज्ञान का 
एक का ओर नहीं,दूसरे का छोर नहीं
यहाँ रहस्यमय अँधेरा,असंख्य सूर्यो के साथ
यहाँ
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