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Bhupendra Dongriyal
जनरेशन गैप कुछ देर पहले ही वह दुकान में आया था। जैसे ही उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी उसने अजीब सा मुँह बनाकर मुझे गुड मॉर्निंग कहा और फिर दुकानदार के कान में कुछ कहकर वह बाहर खड़ा हो गया। मैंने दुकानदार से पूछा, "क्या बात है,यह लड़का तुमसे कुछ खास सीक्रेट कह रहा था क्या"? दुकानदार ने हँसते हुए कहा, "यह लड़का आपका स्टूडेंट है क्या? शायद इसीलिए इतनी अदब करता हो आपकी"। मैंने कहा, "नहीं-नहीं,ये तो मेरा स्टूडेंट नहीं है लेकिन इसके पिताजी को किसी जमाने में मैं मुफ़्त में ट्यूशन पढ़ाता था"। दुकानदार ने हँसते हुए कहा, "गुरुजी आप भी अच्छा मज़ाक कर लेते हैं। इस लड़के के पिता तो आपसे उम्र में बहुत बड़े हैं तो आप उनको कैसे ट्यूशन पढ़ाते थे"? मैंने कहा, "ये भी एक सीक्रेट है,दरअसल इसके पिताजी पहले डीग्रेड के कर्मचारी थे और डी ग्रेड से सी ग्रेड में प्रमोशन चाहते थे"। दुकानदार ने कहा, "आपको तो इस डीग्रेड,सीग्रेड का अच्छा ज्ञान है। तभी आप सही समझे कि यह लड़का मुझसे सीग्रेड लेने ही आया था। मैंने कई बार समझाया तो कहने लगा आपका काम माल बेचना है। पीने वाले तो कहीं से भी पी लेंगे"। मैंने सिर खुजलाते हुए कहा, "लाला जी उसने जो कहा वो भी सही कहा। मैंने जो कहा वह भी सही कहा और आपने जो समझा वह भी सही समझा। बस सीक्रेट से शुरू हुई हमारी बात सीग्रेट की ओर बढ़ते-बढ़ते सीगरेट तक पहुँच गयी। बस आप यह समझिए कि आजकल के रिश्तों के जनरेशन गैप की तरह यह भी एक तरह शब्दों का जनरेशन गैप ही है"। मेरी बात सुनकर दुकानदार मेरे चेहरे की ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। भूपेन्द्र डोंगरियाल 20/05/21 ©Bhupendra Dongriyal जनरेशन गैप #WorldEmojiDay2021
Parasram Arora
यौवन पकता है और यौवन की रूह आगे बढ़ती है....... ज़ब दो चार बार यौवन में दिल का टूटना और फिर टूट कर जुड़ना होता है कहते है इश्क कविता और दीवांनगी यौवन के आभूषण है ज़ो गुलाबी सपने सतरंगी आकांक्षाएं और जल प्रपात की भांति यूवाओ क़ो लुभाते है l आज की युवा पीड़ी मानसिक रूप से एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है उनके बुजुर्ग मातापिता और शिक्षक इत्यादि उनसे बहुत पीछे छूट गए है इस दरार क़ो जैनरेशन गैप कहा जाता है ©Parasram Arora यौवन और जनरेशन गैप.
Deepa Sikarwar
बढ़ती उमर के साथ हम माता-पिता से थोड़ा दूर हो जाते हैं उनकी हर बात गलत लगती है और हर बात पर चिल्ला देते हैं यार मम्मी पापा आप नहीं समझोगे फ़िर बातें छुपाने से सीक्रेट बनाने की शुरुआत होती हैं हमें लगता है कि वो हमे समझ नहीं सकते क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं कुछ दिनों की दोस्ती को जान बना लेते हैं अनजान को खास बना लेते हैं और माता-पिता को पीछे छोड़ देते है फिर जब बाहर वाले साथ छोड ते हैं दिल तोड़ते है तो सबसे पहले याद आती है माँ जो तुम्हारी बात सुनने हमेशा तैयार रहती है क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं हम भूल जाते हैं कि कोई है जिसे बार-बार याद नहीं दिलाना पड़ता कि क्या हो तुम मेरे लिए हम भूल जाते हैं पहली बार इन्हीं के सामने रोये थे पहला राज़ इन्हीं को बताया था पहली इच्छा इन्हीं ने पूरी की थी आज उन्ही से बात करने को कई बार सोचना पड़ता है क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं ©Deepa Sikarwar #boat बढ़ती उमर के साथ हम माता-पिता से थोड़ा दूर हो जाते हैं उनकी हर बात गलत लगती है या हर बात पर चिल्ला देते हैं यार मम्मी पापा आप नहीं समझ
नेहा उदय भान गुप्ता
दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख। यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।। नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें। फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।। दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी। एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।। अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां। हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।। बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे। हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।। पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे। नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।। आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप। कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख। यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।। नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें। फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।। दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी। एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।। अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां। हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।। बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे। हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।। पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे। नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।। आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप। कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,
Insprational Qoute
जेनेरेशन गैप* विचारों, पीढ़ी व सोच में आया अंतराल हैं, मिलते नही विचार,बढ़ी तक़रार समस्या यह विकराल हैं, एक देना चाहे नैतिकता,दूजा अपनाता नीति अलगाव हैं, दादाजी कहे यहिं सही हैं, पर पोता चाहे नया बदलाव हैं। #जनरेशन_गैप_team_alfaz #new_challenge *Theme- जनरेशन गैप* There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Shankki Sharma
ना दादी रही ना नानी रही ना रही उनकी स्टोरी आज के बच्चों को पसँद है सिर्फ़ इंस्टाग्राम की स्टोरी लोरी सुनके सोने वाले आजकल तीन बजे सोते है जनरेशन गैप इतना ज्यादा है कि रोज़ ही बवाल होते है। #जनरेशन_गैप_team_alfaz #new_challenge *Theme- जनरेशन गैप* There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Shravan Goud
जनरेशन गैप को दुर करने के लिए प्रेम से नयी परंपरा को अपनाना होता है। नोट:- group के नियमों के अनुरूप ही लिखे गए writeups को ही accept किया जाएगा, नियमों के लिए caption अवश्य पढ़ें....! *🌸Any writer can write a
Ashiq Momin
शीर्षक : जनरेशन गॅप विधा : कविता हर पीढ़ी ने देखा है जनरेशन गॅप का ये भी रूप संस्कारों की लाशें पडीं हैं कभी छांव तो कभी धूप बुज़ुर्गों की नसीहतें अब करतीं हैं परेशान हमें फिर ये पीढ़ी कहतीं है गूगल बाबा दे ग्यान हमें सारे दोस्त मिलकर पहले मैदान में खेलने जाते थे अब मोबाइल फोन के भूत ने सभी से दूर किया हमें दूरदर्शन के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं अभी कितना प्यारा अपना रविवार होता था कभी कदम चूमती कामयाबी में सब खुशी से झूम गए लेकिन इस पीढ़ी के बच्चे चर्ण स्पर्श भी भूल गए आज जब बच्चों को माँ थोड़ी डांट लगाती हैं ओ माॅम जस्ट चिल ये आवाज बच्चों की आती है तरसती है नानी भी अब अपनीं कहानी सुनाने को इंस्टा फेसबुक है नानी आज की रातभर जगाने को Instagram : writer.ashiq #जनरेशन_गैप_team_alfaz #new_challenge *Theme- जनरेशन गैप* There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
DR. SANJU TRIPATHI
हम भी आज की ही पीढ़ी हैं, पर सब मान- मर्यादा निभाते हैं। संस्कार भी संभालते हैं और जमाने के साथ कदम मिलाते हैं। बड़े बूढ़ों की बात मानकर उनका मान-सम्मान बढ़ाते रहते हैं। बच्चों की जायज जिद के आगे भी, हम नतमस्तक होते रहते हैं। दोनों पीढ़ियों के साथ रहते हैं और ताल से ताल मिलाते रहते हैं। कभी सैंडविच से बन जाते हैं तो कभी थाली का बैगन हो जाते हैं। सारी पीढ़ियों के विचार अलग पर फिर भी तालमेल बनाते रहते हैं। सब को समझाते रहते हैं और खुद दो पाटों के बीच पिसते रहते हैं। बड़ों को भाती दाल रोटी बच्चों के लिए पिज़्ज़ा चाउमिन बनाते हैं। बड़े चाहे सुबह जल्दी उठें, सैर करें पर बच्चे देर तक सोते रहते हैं। बड़ों को चाह अखबार की सुबह सवेरे बच्चे बस गूगल करते रहते हैं। खत्म हुआ किस्से कहानियों का दौर, बच्चे गेम व कार्टून देखा करते हैं। सिमट गई सभी की दुनियांँ, सब यहां अपने को सायना कहते हैं। दो पीढ़ियों के बीच के जेनरेशन गैप को भरने की कोशिश करते है। वैचारिक मतभेदों के बीच कभी, हम भी उलझने से लगते हैं। कभी डिजिटल बनने की कोशिश, कभी पुराने ढर्रे पर चलते हैं। नोट:- group के नियमों के अनुरूप ही लिखे गए writeups को ही accept किया जाएगा, नियमों के लिए caption अवश्य पढ़ें....! *🌸Any writer can write a